हिस्सा-बटवारा.......
जिस मकान मे हमारा बचपन गुजरा हो, जिस जमीन पर रहकर हमने नानाप्रकार के खेल खेले हो । क्या उसका कौन सा पाने का सुख ,अथवा बेचने का सुख मिल सकता है ? जबकि इसके हम हकदार ही नहीं है । जिसने इसे वनाया है,कैसे बनाया है, क्या सोचकर बनाया है, हमे कुछ नही पता । फिर हम उसके हिस्से को अपना हिस्सा कैसे कह सकते है ?
जिसके पास रहने की छत ना हो,जिसकी पूरी जिंदगी किराए के मकान में कटी है अर्थात जिसके पास कुछ भी नहीं हो, उसे हिस्सा मिलता है तो इससे बड़ी बात कुछ हो ही नही सकती है ।किंतु जिसके पास सब कुछ है और धनाढ्य भी उसे हिस्से-बटवारे की बात करना सरासर बेमानी की बात लगती है । आज समय बदल गया हिस्से-बँटवारे को लेकर आऐ दिनो ज झगड़े, खून खराबे की खबरे रोज पढ़ने और सुनने को मिलती रहती है । यह लोभ लालच,मोह -माया , हिस्सा-बंटवारा यही रह जाएगा ,लेकर क्या आऐ थे और लेकर क्या जाओगे । सब यही रह जाऐगा, साथ जाएगा शोक-संताप, बुराई । मरने के बाद भी अमन चैन नही मिलेगा और जीते जी भी नही मिला । ऐसे हिस्से-बंटवारे से क्या लाभ। लेने मे नही,देने की बात का आनंद कुछ ओर होता है जो हर किसी को नही मिलता है । इसी की तलाश मे सारा जीवन बीत गया । हिस्सा-बंटवारे करते समय दिल की बातो की तरफ विशेष ध्यान देना चाहिए चूंकि उस पर हमारा वर्तमान और आने वाला भविष्य छुपा हुआ है । हिस्सा-बंटवारा मे सदैव हकदार व्यक्ति का ध्यान रखना चाहिए चाहे वह भाई-भतीजा हो, चाहे वह बहन भांजा हो, चाहे भाई-बहन हो, चाहे वह करीबी रिश्तेदार हो और भले ही वह वफादार नौकर ही क्यों ना हो । हिस्सा-बंटवारा को लेकर गुरूजीसत्यवादी श्रीरामधुन ने आमजनो निम्न सलाह दे रहे है:-
(1) हिस्सा-बंटवारा सही पात्र के बीच होना मे
चाहिए ।
(2) अपना हिस्सा जरूरत हो तो ही ले अन्यथा
परित्याग कर जरूरत मंद व्यक्ति को दे ।
(3) हिस्सा बंटवारा मे जोरजबरन नही होना चाहिये अन्यथा पूरा कुल बरबाद होता है ।
(4) मेहनत से कमाया धन सम्पाति मे बंटवारा निर्विवाद होता है । वही छलकपट से कमाई सम्पत्ति मे वाद विवाद के अलावा खून खराबा की स्थिति उत्पन्न होतीं है ।
(5) हिस्सा-बंटवारे मे मरने वाले व्यक्ति का विशेष ध्यान रखना चाहिए ।
(6) युग परिवर्तन युग मे हिस्सा बंटवारा को लेकर प्रायः प्रायः सभी लोग स्वार्थी हो गए है।
फिर भी इंसानियत और हमारे देश का कानून आपके साथ है।
(7) हिस्सा-बंटवारा को लेकर हमारी सरकार ने बड़े-बड़े कठोर नियम लागू कर सही लोगो को उनका हक दिलवाने मे भरपूर सहयोग कर रही है ।
(8) पहले पहल हिस्सा-बंटवारा मे पुत्री,बहन व माता को मरहूम रखा गया था किंतु कानून मे सशोधन कर इन्हे शामिल किया गया है ।
(9) वर्तमान समय में अब माता पिता की जायदाद मे पुत्रियों को भी अधिकार होगा जबकि गुरूजीसत्यवादी श्रीरामधुन के परिवार मे इस नियम का पालन करते हुऐ चार पीढ़ियों से इसका पालन किया जा रहा है । अब यहाँ एक अलोचना भी जोर पकड़ रही है कि "औरतो को जरूरत से महत्वपूर्ण दर्जा दिया जा है। उन्हे माँ -बाप व सास ससुर से भी हिस्सा-बंटवारा मिल रहा है ? आखिर इस बात को सरकार कैसे भूल गई । अतः कानून बनाने वाले इस बात पर नया कानून लावे और .........माननीय न्यायालय
गुरूजीसत्यवादी श्रीरामधुन
Comments
Post a Comment