अंतर्राष्ट्रीय क्षेत्र में वृद्धजन दिव्यांगों को हर स्तर पर प्रोत्साहित करे ।
अंतर्राष्ट्रीय क्षेत्र में बहु खेल प्रतियोगिता में उम्रदराज व्यक्ति और दिव्यांगों को प्रोत्साहित नहीं करने के कारण ,आज भारत में 19 पदक की बजाए इससे भी अधिक पदक प्राप्त हो सकते थे ।सरकार दिव्यांगों और वरिष्ठ नागरिकों के प्रति सम्मानजनक और समानता का काउंसलिंग और व्यवहार करने के नारे तो खूब लगाती है किंतु जमीनी हकीकत कुछ और ही कहती है।
विभिन्न कानून और आज की हो रही बरसात वर्ष 1999 की याद दिला रही है। योजनाओं के अंतर्गत इस वर्ग के लोगों को अवसर सुलभ कराने की कोशिश जरूर की गई लेकिन संस्थागत ढांचागत व व्यवहार संबंधित रुकावट को दूर करने में हमेशा की तरह पीछे रह जाती है।
"कोरोना काल "अवधि में भोपाल मध्य प्रदेश के जिला कलेक्टर महोदय ने" वृद्धजन सुरक्षा अभियान" चलाने की घोषणा की थी जो कागजों में सिमट काउंसलिंग रह गई ट्रस्ट" मां आदिशक्ति दरबार धार्मिक एवं परमार्थ ट्रस्ट", भोपाल ने इस संबंध में कार्य भी किया ,ईमानदारी मेहनत और लगन के साथ किया और उसी सरकार ने आज तक ट्रस्ट की मान्यता अनुदान काउंसलिंग सेवा की स्वीकृति आदि-आदि निशुल्क सेवाएं किए गए कार्यों पर ध्यान नहीं दिया।
जनगणना के अनुसार हमारे देश में 260 करोड़ दिव्यांगो में से 20% चलने फिरने में असक्षम है जबकि 19% देखने में असक्षम है ।
केंद्र सरकार ने 2015 में "सुगम भारत अभियान "शुरू किया था इस अभियान का मकसद किया था कि सार्वजनिक स्थलों परिवहन और आईटी सेवाओ को दिव्यांगों और वृद्ध जनों के अंनुकूल कुर बनाया जाना था किंतु ऐसा ना हो कर उस पर लीपा पोती कर 29.7 प्रतिशत ही कार्य हुआ ऐसी समिति की रिपोर्ट है।
पैरालेपिक में भारतीय खिलाड़ियों के शानदार प्रदर्शन मे देश के दिव्यांगों के लिए नीति बनाने की जरूरत है। मूलभूत सुविधाओं व संस्थानों के साथ दिव्यांगों को भी मौका मिलना चाहिए ऐसा मानना है गुरुजीसत्यवादी श्री राम धुन का।
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