मन की शांति के उपाय..... श्रीरामधुन...

 मन मे उठ रहे ढेर सारे सवाल हो अथवा कोई भी बड़ी से बड़ी संक्रमण बीमारी हो ,जो पहले कभी नही हुई हो। हमने कभी सोचा भी नहीं होगा कि ऐसा समय आएगा और हमे इस प्रकार की  परेशानी से परेशान होना पड़ेगा । हम सब मे एक डर,चिंता और भय के दौर से गुजरेगें । डर एक स्वाभाविक प्रक्रिया है ।यह किसी भी वजय से आ सकती है । अब ऐसे समय और ऐसे वातावरण से घबराए ना ही सामने वाले को डराऐ । बड़ी शांति के साथ परिस्थितियों का अवलोकन कर अगला कदम उठाए साथ ही यहां पर बहुत जरूरी हो जाता है कि स्वयं को संभाल और अपने परिवार के साथ साथ अन्य लोगो को इस प्रकार से संभाले कि नाकारात्मक वातावरण मे अच्छी तरह से रह सके और अपनी साकारात्मक सोच कै साथ आगे बढ़ सके ।

हम अपनी परेशानी को पहचाने :-

    (1 )कभी कभी हमें लगता है कि  कोई बुरी  खबर  फोन पर ना मिले तो फोन की घंटी बजने से डर जाते है ।

    (2)समाचार पत्र पढ़ने से बुरी खबर दिन सोचते रहने से ,कही मेरे साथ ऐसा तो नही होगा सोचना

    (३) संक्रमण बीमारी होने से निगेटिव सोचना   ।

    (4)भूख ,नींद ना आना। खाने मे लापरवाही ।

    (5)निगेटिविटी ।

    (6)सपने मे डरना,बार बार निगेटिविटी पर सोचना अथवा चर्चा करना,बोलना, बतलाना ।

    इस प्रकार के डर,चिंता और बेचैनी है तो अपने मन को समझाईऐ और साकारात्मक सोच से उसे दूर करने का प्रयास करते रहे । सभी कार्यों का समय निर्धारित कर अपने लक्ष्य की ओर ध्यान दीजिए  । कठिन समय मे अपनी जड़ें मजबूत करे । अच्छे विचारों पर अपनी ऊर्जा खर्च करें ।अनुशासन का दूसरा नाम ईश्र है । 

कैसे करे मन को वश मे  --

(1)टी०वी०चेनल,समाचार पत्र पर संक्रमण बीमारी के बारे में देखे या पढ़े ,वह अपने ज्ञान के लिए है ।ज्यादा ना सोचे।उपाय करते रहे ।

(२)स्वयं को शरारिक रुप से तन्दुरुस्त रखें ।

(3) कठिन समय मे अपने दुख-दर्द को भूल कर दूसरों की मदद करो ,हर संभव मदद दिलासा दे।

(4)अपने आपको व्यस्त रखे । 

(5)अधूरे कार्यो पर फोकस करे ।नकारात्मक कार्यो से बचे ,सोच सै बचे ।सकारात्मक सोच जरूरी है ।

   यदि आप इसी तरह की छोटी छोटी आदतों को बदलते है तो सिर्फ दो-तीन सप्ताह मे अपने अंदर बदलाव महसूस करेंगे ऐसा मानना है गुरूजीसत्यवादी श्रीरामधुन ...का ।

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