स्वयं के प्राणों की रक्षा . .*****

    प्राचीनकाल मे एक पंडित जी थै जो भूत-भविष्य के ज्ञान के साथ साथ अच्छे भविष्यव्यक्ता भी थे । वे सम्पन्न और ज्ञानी पुरूष  के साथ साथ त्रिकालदर्शी भी थे ।
    एक दिन उन्होंने अपनी योग शक्ति के द्वारा अपने अगले जन्म के बारे मे पता लगा लिया कि उनका जन्म किस समय और किस स्थान मे तथा किस योनी  मे होने वाला है । 
    पंडित जी की मृत्यु का समय धीरे धीरे निकट आने लगा तो एक दिन पंडित जी ने अपने सबसे बड़े  बेटा जो आज्ञाकारी पुत्र था। उसे बुलाकर अपने घरवालों के समक्ष बुलाया और कहा कि "देखो मेरा समय पूरा हो गया है और मेरी मृत्यु फला् दिन,फला् तारीख और  फला् समय और फला् व्यक्ति के  यहा सूअर के रूप मे जन्म होगा । अत: निर्धारित समय पर तुम वहा जाकर सूअर रूपी मेरा वध्द कर देना ।
    आज्ञाकारी पुत्र ने निश्चित समय में अपने पिता के वचनों के पालन  करने में तत्परता दिखाई और उसे अंजाम देने के लिए हाथ में तलवार लेकर जैसे ही नवजात शिशु सूअर पर वार करने हेतु अपना हाथ उठाया तभी सूअर रुपी पिता ने हाथ जोड़कर कहा कि" नहीं बेटा मुझे मत मार मैं इसी जन्म में खुश हूं ऐसा सुनकर पंडित के पुत्र ने अभय दान देकर छोड़ दिया और वापस अपने घर चला गया !"
    इस कहानी से हमें शिक्षा मिलती है कि आत्मा अजर अमर है मात्र शरीर बदलते रहता है आत्मा हर योनी में खुश रहती है ।
    इस कहानी से हमें यह शिक्षा  मिलती है कि हर प्राणी को अपनी जान प्यारी होती है । चाहे वह जान  किसी भी प्राणी की क्यों ना हो । यहां पर सोचने वाली बात यह भी है कि पंडित जी सदाचारी ज्ञानी पुरुष थे  । आखिर उन्होंने ऐसा क्या किया , जिसके कारण उन्हें सूअर योनि में जन्म लेना पड़ा । अब इस प्रश्न का उत्तर पाठक को ही देना पड़ेगा ।कई बार हम देखते हैं,,अथवा हमारे जब मृत्यु का  डर हो जाता है तो हम अपनी जान बचाने की सोचते हैं ,दूसरों की नहीं । इतिहास में ऐसी कई घटनाएं घटी है जिसे लोग अपनी जान बचाने के लिए अपने मां बाप भाई बहन और बच्चों को तक भूल गए  ।   ऐसे समय में यह नजारा भोपाल गैस त्रासदी कांड में देखने को मिला ,जब भी गैस रिसाव शुरू हुआ था ,लोगों मे  इतनी भगदड़ मच गई थी कि ,किसी को भी किसी की कोई परवाह ना करते हुए अपनी जान बचाने ,बचाते हुए देखे गए हैं इस कहानी का आशय्  यह है कि इस संसार में जितने भी प्राणी हैं उन सब को अपनी जान कितनी प्यारी होती है ।
गुरुजीसत्यवादी श्रीरामधुन 
"टीलेश्वर माहराज" भोपाल ।

Comments

Popular posts from this blog

दिलिप बिल्डकाँन के कर्मचारी अर्पित कुंवर का निधन !

28 जून 2024-श्रृध्दाजली दिवस !

आज के इतिहास मे 16 जून 2024 का विशेष महत्व !