आज 19फरवरी "छत्रपति शिवाजी माहराज जयंती"श्री गुरूजीजंयंति ।
आज 19 फरवरी को पूरे माहराष्टू राज्य मे छत्रपति शिवाजी माहराज की जयंती बड़े धूमधाम से मनाई जाती है।
आज के दिन अवकाश रहने के साथ साथ अनकोअनेक रंगारंग कार्यक्रम का आयोजन किया जाता है ।उन्हे टूस्ट"माँ आदिशक्ति दर० धार्मिक एवं परमार्थ टूस्ट" भोपाल की ओर से छत्रपति शिवाजी महाराज की जयंती पर कोटि कोटि नमन् ।
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के द्वितीय सरसंघसंचालक "परम पूज्य, माधवराव सदाशिवराव गोलवलकर की जयंती भी आज है । इतिहास रचता हुआ संघ परिवार आज उन उन लोगो को ढूढ़ आमजनो के समक्ष ला रहा है जो इतिहास के पन्नो मे गुम हो चुके थे ।
शिवाजी एक कुशल सफल नेतृत्व -नायक थे ।
" छत्रपति शिवाजी महाराज अपने संपूर्ण जीवन काल में राज व्यवहार करते हुए ,किसी भी क्षण किसी परिस्थिति का ,आकलन करने में भूल नहीं की । उनके शासनकाल में इस है कि 100% त्रुटि शून्य दिखाई देती है ।बड़ा काम और महत्व जिम्मेदारी प्राप्त करने की इच्छा हर नायक की सामान्य इच्छा होती हैः।किंतु इसके लिए वह त्रुटिपूर्ण कार्य शैली का विकास करने का कितना प्रयत्न करता है यह विचारणीय है ।
गुरु गोलवर जयंती
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ विश्व का सबसे बड़ा गैर सरकारी संगठन है वैचारिक स्तर पर आज संघ जहां खड़ा है उसे निर्मित करने में यदि किसी एक व्यक्ति का सर्वाधिक योगदान है तो वह है माधव सदाशिव गोवलकर है संघ का संपूर्ण वैचारिक चाचा उनका ही द्वारा खड़ा किया गया है संघ के निर्माता डॉ केशव बलीराम हेडगेवार तो इसका निर्माण करने में केवल 15 वर्ष बाद ही परलोक सिधार गए थे उन्होंने संघ का केवल मूत्र ढांचा गाना खड़ा किया था लेकिन उसका वैचारिक आधार माधवराव सिंधिया गोविलकर जिन्हें गुरुजी कहा जाता है कि सोच से निकला उनकी पुस्तक बंच आफ थॉट्स आज भी को दिशानर्देश करता है
प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने "ज्योतिपुंज "पुस्तक में लिखा है अपने जीवन काल के ध्देय के रूप में उन्होंने "गुरुजी" लिखा था - मैं नहीं ,तू ही,मैं नहीं तू ही मैं नहीं केवल तू ही केवल तू ही कह कर केवल शब्द मात्र नहीं थे । वह उनके जीवन की श्रद्धा थी उनका जीवन व्यवहार था इन्हीं 4 शब्दों में श्री गुरु जी का संपूर्ण जीवन समाया हुआ है इस तू का अर्थ है संघ समाज ईश्वर इन तीनों को एक रूप करके चलते थे तीनों की सेवा में विरोध नहीं विसंगतियां ने "एक साधे सब सधे "की तरह संघ की साधना और संपूर्ण समाज व राष्ट्र की साधना में लगे रहे। इसीलिए जीवन के अंतिम समय में गुरु जी ने जो तीन पत्र लिखे थे उनमें से दूसरे पत्र में लिखा हे -"स्वयंसेवकों को मेरा आदेश है, कि मेरी मृत्यु के पश्चात मेरा कोई भी स्मारक ना बनाया जाए ।
ऐसे महान व्यक्ति को टूस्ट की तरफ से कोटि कोटि नमन् ।
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