आज का तोहफा कुबूल ,कुबूल, कुबूल...

  आज का दिन उस महान व्यक्ति, महानायक, ईश्वर रुपी वैज्ञानिक के नाम से है जिसने इंसान बनाया हैं :-
(1) दिमाग के द्वारा सोचने-समझने की शक्ति प्रदान की है ।
(2) दो आँखे दी है । दोनो आँखों से देखे- एक ही दिखाई देगी  । पास से पास और दूर से दूर तक देखा जा सकता है । एक आँख हो या दो हो,दिखाई देगा । जो हमे सबके साथ एक सा व्यवहार करने की प्रेरणा देता है ।
(3) दो कान दिए है ताकि हम धीरे से जोर से सुनने की प्रक्रिया को महसूस कर सके । दोनो कानो से सुनाई देने वाले आवाजाही की यह व्यवस्था है कि अच्छी बातो को याद रखे और बेकार चीजो को दूसरे कान से बहार निकाल देने की व्यवस्था के अंतर्गत 
है ।
(4) नाक एक है किंतु यह शरीर का महत्वपूर्ण अंग है जो जीवन को नई दिशा बनाने की ओर इंगित करता है । नाक के दो सुर है ।एक से साँस लेते है और दूसरे से छोड़ते है । इसी साँस की प्रक्रिया से जीवन चल रहा है ।
(5) एक मुँह दिया जिसमे 32दाँत दिए ।इस बत्तीसी मे सभी दाँतो के अलग अलग कार्य भी दिऐ गए जिसे आप स्वयं महसूस और अहसास कर सकते है कि कौन सा दाँत का इस्तेमाल ज्यादा हो रहा है तो हमे यह करना चाहिए कि सभी दाँतो का इस्तेमाल करते रहना आवश्यक है ।
(6) गला एक बनाया और उसे इन सभी चीजो से जोड़ दिया जिसमे खाने पीने,साँस लेने-छोड़ने को एक साथ नसो से ताल मेल बिठाते आगे की प्रक्रिया बढ़ाई और
(7) दिल से दिमाग जोड़कर शरीर की धड़कन जोड़ दी ।
(8) खाना, पीने को पचाने की प्रक्रिया हेतु छोटी-बड़ी आँतो के द्वारा मल्लमूत्र निकालने हेतु व्यवस्था की ।
(9) दो हाथ और उसमे स्थित पाँच-पाँच उँगलियों का इस्तेमाल कर इंसान
की कर्मभूमि को अनेको प्रकार से निहित किया जाकर उसके भाग्य को संचालित करने की रूपरेखा बनाई ।
(10)दो पैर बनाए जिसमे पाँच पाँच ऊंगली बनाई अलग अलग प्रकार की।
(11)पूर्ण इंसान बनाने के बाद उसमे अन्य इंसान बनाने कुछ ऐसी शक्तियों भी दी । कुछ संसेशन पांवर भी दिऐ ।इस पांवर को स्वर्ग की अनमोल शक्ति से जोड़ा गया । यह एक स्वाभाविक प्रक्रिया है जो हर इंसान मे पाई जाती है चाहे वह आदमी हो या औरत हो । इनमे एक अजीब एटरेक्शन अपोजिट सेक्सुअलिटी का होना,इंसान की एक आवश्यकता है जिसे बाद मे बदलते युग के अनुसार व्यवस्था कर शादी समारोह का आयोजन कर जनसंख्या वृद्धि हुई । शुरू शुरू मे सर्वप्रथम मे तो एक आदमी और एक औरत की ही
उत्पत्ति हुई थी । धीरे-धीरे सभी चीजों मे विकास होते गया । इन्हीं इंसानों मे से ने अपने उसी दिमाग का इस्तेमाल कर आज 21 वी शदी मे प्रवेश कर कहाँ से कहाँ पहुंच गया है और अभी भी सफर जारी है ।
गुरुजीसत्यवादी श्रीरामधुन

Comments

Popular posts from this blog

दिलिप बिल्डकाँन के कर्मचारी अर्पित कुंवर का निधन !

28 जून 2024-श्रृध्दाजली दिवस !

आज के इतिहास मे 16 जून 2024 का विशेष महत्व !