चलाक किसान

     एक बार की बात है, एक बुढिया एक गांव मे रहती थी । उसके एक बेटे की मौत हो गई थी और दूसरा बेटा घर छोडकर कही चला गया था । उसको गए हुए 3-4 दिन ही गए हुऐ थे कि एक सिपाही ने बुढिया के पास आकर बोला !

       मुझे रात भर यही रहने दो,दादी !

अंदर आ जाओ ,भाई ,तुम कहां से आ रहे हो ?

"मैं तो दूसरी दुनिया का रहने वाला हूं" ! 

"सचमुच ! मेरे लड़के को मरे हुए कुछ ही दिन हुए हैं  । वहां उससे तुम्हारी मुलाकात तो नहीं हुई थी" ?

" भेंट कैसे नहीं हुई ? वह और मैं एक ही कमरे में रहते थे।"

"सचमुच" !

" अब तो दादी वह दूसरी दुनिया में सारस पालता है ।" 

" बेचारा, यह तो बहुत कठिन काम होगा ?" 

" और नहीं तो क्या ! आप तो जानती हैं ,दादी, कि सारस पालना मे कैसी कैसी परेशानियां आती हैं  ? और सारस की कैसी कैसी आदत होती है, हमेशा कांटेदार झाड़ियों की तरफ भागते हैं !" 

" और उसके कपड़े और जूते भी तो फट गए होंगे?"

" अरे, दादी, उसके चिथड़े चिथड़े वाले कपड़े देखकर तुम्हे बहुत दुख होगा !"

" भाई,मेरे पास कुछ कपड़े और पैसे है ! उन्हे मेरे बेटे के लिए ले जाओ "! 

" खुशी से ले जाऊगां, दादी !"

" नमस्ते, दादी !" कहकर सिपाही चला गया !

कुछ दिनो बाद बुढ़िया का बेटा लौट आया ! 

"नमस्ते!प्रणाम माता जी "!

नमस्ते बेटा , तुम नहीं थे तब एक व्यक्ति दूसरी दुनिया से आया था !वह तुम्हारे साथ रहता है, तुम्हारे लिए , मैंने उसे कुछ कपड़े और पैसे भी दिए हैं !   

अच्छा माता जी, अगर यही बात है तो अम्मा जी फिर नमस्ते !उसके बेटे ने कहा  -"मैं चला ,देखूंगा कि इस दुनिया में कोई तुमसे भी बड़ा मूर्ख है या नहीं  ! मिल जाएगा तो लौट आऊंगा वरना वहीं रह जाऊंगा!" वह मुड़ा ,और चला गया !

चलते चलते वह एक गांव में पहुंचा ! और जमीदार के आहते के पास रुक गया ।वहां एक सूअरिया अपने बच्चों के साथ धूप में रही थी कि सुअरिया के सामने घुटने टेक कर बैठ गया और जमीन से माथा छूकर नमस्कार करने लगा ! जमीदारनी खिड़की में से सब देख रही थी ! अपनी नौकरानी से कहा - जाओ जरा उस किसान से पूछो कि जमीन पर माथा क्यों देख रहा है ?

नोकरानी  बाहर आकर बोली :

" औ ,किसान, तुम घुटनों पर बैठकर हमारी सूअरिया के सामने माथा क्यो टेक रहे हो ?"

" भली मानस,जाकर अपनी मालकिन से कह कि उनकी यह चितकबरी सूअरिया मेरी घरवाली की बहन है !मैं उसे अपने लड़के की शादी में बुलाने आया हूं ,शादी कल होनी है ! जरा अपनी मालकिन से पूछ कर आ कि वह अपनी सूअर या को मेरे यहां जाने देगी, उसे वहां ब्याह का सारा काम करना है ।"

जमादारनी ने यह सब सुना तो वह अपनी नौकरानी से बोली :

" कैसा बेवकूफ आदमी है यह कि यह सूअरिया को उसके बच्चे की शादी में बुलाने आया है । अच्छा है लोगों को हंसने दो उस पर । सूअरिया को मेरा रोऐदार कोट पहना दो और गाड़ी में छोड़ दो और  गाड़ी मे जुत्तवाकर छुड़वा दो। यह सब खूब ठाट बाट के साथ गाड़ी में बैठ कर शादी में जाएंगे ।

सो, गाड़ी मे घोड़ों जोत दिऐ गए । उस पर किसान और सूआरिया व उसके बच्चे घोड़ागाड़ी मे बैठकर अपने गांव की तरफ चल दिऐ ।

   जमींदार जब शिकार से लौटकर घर आया । तो उसकी बीबी ने उसे पूरा वृतांत हंसते हुए बतलाया । 

"मै जानता हूँ कि तुमने क्या  किया होगा ," जमींदार बोला "तुमने बच्चे सहित सूआरिया उसे दे दी ,है ना ? "

हाँ प्यारे, मैने सूआरिया के अलावा अपना रूहेदार कोट और घोड़ागाड़ी भी , किसान को दे दी है ।"

"वह किसान कहां का रहने वाला है ? " 

"यह तो मुझे नही मालूम । " 

"इसका मतलब तो यह है कि वह किसान नही, बल्कि तुम मूर्ख  हो।"

जमीदार अपनी बीवी से बहुत नाराज था कि उसने अपने को इस तरह कैसे बेवकूफ बन जाने दिया ।वह फोरन  घर से बाहर निकला और घोड़े पर बैठकर किसान का पीछा करने लगा ।किसान ने अपने पीछे घोड़े की टॉप सुनी तो उसने अपने घोड़ा गाड़ी जंगल में छिपा दिया, और अपनी टोपी जमीन पर रखकर रास्ते के किनारे बैठ 

गया । 

"अरे,ओ दाढ़ीवाले , "तुमंने  इधर से किसी किसान को घोड़ागाड़ी ले जाते हुऐ देखा है जिसमे सूअरिया तथा उसके बच्चे बैठे हो ।" 

"हाँ, मालिक मैने देखा ! क ई घंटे हुए इधर से 

से गुजरा है !" 

"वह किस तरफ गया है ? मुझे उसै पकड़ना है!"

"उसे पकड़ना तो बहुत मुश्किल है , वह तो बहुत दूर निकल गया होगा ।और यह भी हो सकता है कि आप घने जंगल  मे रास्ता  भी भटक सकते है । इस इलाके से आप भली भांति तो परचित हो ना ? 

"सुनो, भले आदमी, तुम जाओ और आदमी को पकड़ कर ले आओ ।" 

"नही, मालिक, यह तो मै नही कर सकता । मेरी टोपी के नीचे एक बाज बैठा है ।" 

तो क्या हुआ तुम्हारे बाज की मैं रखवाली करूंगा

" मगर इसका ध्यान रखिएगा कि वह टोपी के बाहर ना निकल जाए ,बहुत कीमती पास है !मुझ से खो गया तो मेरा मालिक मेरा जीवन दूभर कर देगा !

"क्या कीमत है इस बाज की "

"पूरे 300 रूबल "

अच्छा तो घबराओ नहीं बात "मुझसे खो गया तो मैं तुम्हें उसके दाम दे दूंगा"

अरे ,"तुम मुझ पर यकीन नहीं करते ,अच्छा यह लो ₹300 अब तो हो गया तुमको भरोसा ।"

किसान रुपए लेकर जमीदार के घोड़े पर सवार होकर, घने जंगल की ओर चला गया और गायब हो गया  ! इधर जमीदार खाली टोपी की रखवाली करने लगा । इंतजार करते-करते शाम हो गई किसान का कोई अता पता नहीं था ।

देखता हूं इस टोपी के नीचे कोई बाज है अथवा नहीं । अगर है तो वह जरूर लौटेगा और नहीं है तो फिर इंतजार करना बेकार है ।

उसने टोपी उठाकर देखा तो कोई बाज नहीं था ।

बदमाश ,बेईमान कही का । मालूम पड़ता है यही वह किसान है जिसने मेरी बीवी को धोखा दिया था । 

उदास होकर उसने जमीन पर थूका और फिर पैदल ही लड़खड़ाते  सा अपने घर के लिए रवाना हो गया ।  मगर उसके घर पहुंचने से पहले किसान अपने घर पहुंच गया । 

अच्छा ,मां किसान ने घर पहुंच कर बुढ़िया से कहा हम लोग साथ ही साथ ही रहेंगे  ।दुनिया में तू ही नहीं  है बेवकूफ  । देखा मैं तीन घोड़े एक गाड़ी ₹300 और मय बच्चों के सूअर को एक ले आया और वह भी सब मुफ्त में । 

अत:"जब तक इस दुनिया मे बेवकूफ लोग है ,समझदार लोग भूखे नही मर सकते है " पर आधारित लोककथा अभी भी चरितार्थ है ।

गुरुजीसत्यवादी श्रीरामधुन

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