आज 25 मार्च"दासता समापन दिवस"
भारतवर्ष मे प्रथाओं का चलन एक कानून की उपयोग किए जाता था और उसी के अनुसार नियम कानून बन कर देश विदेशों के अलावा देश के प्रदेशो व ,राज्यो तथा गांवो की पंचायतो मे प्रचलन था । उसी के अनुसार से सब कुछ चलता था । उस समय दासता प्रथा का प्रचलन बहुत ही जोरो से चल रही थी । यह प्रथा राजा महाराजाओं तथा नबाबों मे ज्यादा प्रचलित थी ।यहा तक कि शादी-विवाहो मे भी जो दहेज दिया जाता था उसमे भी दास-दासीयो को उपहार के रूप मे देने का चलन था । सेठ-साहूकारों मे भी यह प्रथा उधारी के लेन-देन मे पीढ़ी दर पीढ़ी चल रहा था ।
जैसे-जैसै भारतवर्ष का विकास होते गया । लोग पढ़कर समझदार होने लगे । तब धीरे-धीरे कुप्रथाओं का समापन हौने लगा । और इन कुप्रथाओं के स्थान पर कानून बनने लगे किन्तु अभी भी आदिवासी बाहुल क्षेत्रो मे अभी भी क ई प्रथाऐ.चल रही है ।तो कही कही दास प्रथा अपना चोला बदल कर अभी भी विद्यमान है जिसे हम चालू भाषा मे चमचे कह सकते है । इन चमचो को फालोवर्स भी कह सकते हे । इनही फाँलोवर्स के कारण काग्रेस पार्टी समाप्ति की कगार पर खड़ी है किंतु अपना मुखिया को नही छोड़ पा रही है और उनके ही गुनगान कर अपना तथा अपनी पार्टी का नुकसान कर रही है ।
इस प्रकार की दासता, स्वामी भक्त हनुमान को आप क्या कहेगे ?
आज के दिन 25 मार्च को दासता प्रथा का समापन किया जाकर समाप्त किया गया था ः इसी वजय आज महत्वपूर्ण यादगार दिवस के रूप से मनाया जाता है । आज के टूस्ट माँ आदिशक्ति दर० धार्मिक एवं परमार्थ टूस्ट के डे-केयर सेंटर मे इक्काठा हुए वरिष्ठ नागरिकों ने अपने अपने विचारो से अवगत कराया और अपने अनुभव शेयर किऐ ।
गुरुजीसत्यवादी श्रीरामधुन
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