वर्तमान सरकार का विकल्प !
आज कोई भी सरकार हो वह कभी भी हमेशा के लिऐ स्थिर नही हो सकती है । सरकारे बहुमत से बनती और बिगड़ती है। हर हालत मे सरकार बनाने के लिए बहुमत हासिल करना होता है। चुनाव प्रणाली के तहत देश मे चुनाव होते हे जिसके लिए चुनाव आयोग बना हुआ है । मध्य प्रदेश भारत का दूसरा सबसे बड़ा राज्य है जो प्राकृतिक संसाधनों स्वास्थ्य का वातावरण और उपजाऊ कृषि वातावरण स्थितियों से संपन्न है पिछले कुछ वर्षों में भारतीय अर्थव्यवस्था में काफी बदलाव आया है बाजार की ताकतों ने वह तो क्षेत्रों में निर्वाह निवेश प्रभाव को निर्देशित करना शुरू कर दिया आर्थिक विकास के लिए बहुत दुख विकास में निवेश बढ़ाना मध्यप्रदेश के लिए प्रमुख केंद्रित क्षेत्रों में से एक आज वर्ष 2011-12 के दौरान 11.1% की वृद्धि के के साथ मध्य प्रदेश भारत में सबसे तेजी से विकसित हो रहे प्रभावशाली राज्यों में से एक हैं तेजी से विकसित हो रहा है आज विभिन्न क्षेत्रों में भारी व्यापार के अवसर प्रदान करता है वर्तमान समय में विभिन्न चरणों में 104 वर्ष से अधिक अमेरिकी डॉलर वाले भावी निवेश प्रस्ताव राज्य के समक्ष हैं मध्यप्रदेश में वो तो काफी हद तक प्राकृतिक संसाधनों पर निर्भर है यहां चूना, पत्थर, कोयला, तिलहन दालें, बॉक्साइट लोहा, हीरा, सिलिका सोया, का पास और अन्य प्राकृतिक संपदा से भरा हुआ है । निवेशकों को प्रोत्साहित करने की रणनीति के साथ आर्थिक विकास के उच्च स्तर को प्राप्त करने के लिए राज्य में तेजी से आर्थिक विकास की जरूरत को मध्य प्रदेश सरकार पहचानती है।
वर्तमान सरकार का कोई विकल्प नजर नही आ रहा हे किंतु जब हम देश के लोगो के मुरझाए चेहरे पर नज़र डालते है तो मध्यम परिवार के ही लोग सबसे ज्यादा परेशान दिखाई देते है । उनके सामने महंगाई और बेरोजगारी उनका जीवन दूभर कर रही है । उन्हे देश की तरक्की से कोई सरोकार नंही है वे तो वर्तमान को देख रहे है । कल का, आज का दिन भी निकाल पाऐगे कि नही ।
ऐसे समय मे चुनावी दौर का शुरू होना । पार्टयो के लिए परीक्षा की घड़ी हमेशा होती है। म०प्र० मे चुनावी बिगुल बज चुका है। कुछ कानूनी अड़चन के निर्णय के उपरांत विधीवद् रुप से घोषड़ाऐ होने वाली है। अभी नगरीय प्रशासन और जनपद के चुनाव के बाद अगला चुनाव विधानसभा का होने वाला है। म०प्र० सरकार बहुत कोशिश के बाद भी चुनाव नही टाल सकी और चुनाव प्रक्रिया शुरु हो गई हे। पंचायत और नगरीय प्रशासन के चुनाव होने के अगले वर्ष विधानसभा के चुनाव होने वाले है। सरकारी खजाना धीरे-धीरे खुलना शुरू हो गया है। सरकारी बजट मे सभी स्वीकृत धनराशि खर्च करना शुरु हो चुका है अतः चुनाव की तैय्यारी शुरु। चुनावी खर्चे का व्यौरा बतलाया जा चुका है । प्रदेश हो पूरा देश हो मंहगाई का मुद्दा बेरोजगारी को विकास कार्यो से जोड़ा जाकर वोट की राजनीति शुरू हो गई है । सरकारी कर्मचारी भी सरकार से खुश नही हे । उन्हे डी ए स्वीकृत किया जा चुका है किंतु सेवानिवृत्त कर्मचारियों को नाराज किया गया है। सरकार के कई ऐसे कार्य है जिन्हे भूल पाना संभव है । सरकार की रणनीति सब को समझ आ चुकी है । मुख्य,प्रमुख पार्टीज को देख चुकी जनता नये विकल्प की तलाश मे है और ऐसी पार्टा भी उन्हे मिल चुकी है अब सत्तापार्टी का पत्ता कटता नजर आ रहा है । वर्तमान समय मे आमजनो के समक्ष एक ही पार्टा है और वह है- !!"आम आदमी पार्टी"!!"जो पढ़ी-लिखी तो है साथ ही समझदार!!
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