नियम और नियमावलि की बाते !
नियम और नियमविरुद्ध कार्य मे उतना ही अंतर पाया जाता है जितना जमीन और आसमान मे पाया जाता है । नियम स्वतः भगवान होते है तो नियमविरुद्ध उसके विरुध्द कार्य करने वाले होते है ।
नियम की परिभाषा:- कोई भी ऐसा कार्य जो विधी सम्मत है उसे ही नियम क्हते है ।
"योग के संदर्भ में स्वस्थ जीवन आध्यात्मिक ज्ञान तथा मोक्ष की प्राप्ति के लिए आवश्यक आदतों एवं क्रियाकलाप को नियम कहते हैं"
नियम के माध्यम से शरीर और मन को सेहतमंद बनाए जा सकता है अष्टांग योग के दूसरे अंग नियम भी पांच प्रकार के होते हैं सोच, संतोष, तप,स्वाध्याय ,ईश्वर प्राणी- धान । नियमों के अभ्यास से हमें एक सकारात्मक पर दबाव बनाए रखने में मदद मिलती है जिसमें हम हल्के घूमते हैं और हमें योग के मार्ग पर आगे बढ़ने के लिए आवश्यक आत्मानंद आत्म अनुशासन विनम्रता और आंतरिक शक्ति प्रदान करते हैं :-
सरकार हमेशा अच्छै नियम बना तो लेती है और बाते का प्रभाव भी डालती है किन्तु क्रियान्वयन करने मे सदैव असफल रही है :-
सरकार मे अच्छै लोग भी है किंतु उनकी संख्या कम होने के कारण वे कुछ नही कर पाते है :-
सरकारी अफसर का कथन :-
सभी विभाग के अधिकारी अपने दायित्वों को भलीभांति समझे शासकीय कार्यों को स्वप्रेरणा के साथ पूरा करें और किसी को सताए नहीं नियम विरुद्ध कार्य करने या भ्रष्टाचार की शिकायत प्राप्त होने पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी अधिकारियों का रिश्ता विश्वास सच्चाई और ईमानदारी का रहेगा अधिकारी सुनिश्चित करें कि उनके कार्यालय में कर्मचारी किसी भी आवेदक के साथी कर्मचारी को किसी काम के लिए सताए नहीं । नकली शिकायतें प्राप्त होने पर परेशान होने की जरूरत नहीं आज के बाद यदि पाया जाता है कि यह शिकायतकर्ता के विरुद्ध कार्रवाई की जाएगी आत्म सम्मान की रक्षा का दायित्व उनका स्वयं का होगा ।
इस प्रकार के कथन और वक्तव्य देशभर के सभी नेताओं और सरकारी कर्मचारी अधिकारियों के होते हैं किंतु क्या इनका पालन सही तरीके से किया जाता है ? अथवा किया जा रहा है?
दुनिया मे मौजूद सभी प्राणी नियमो के अंर्तगत अपना जीवन व्यतीत कर रहे है । जो नियमो का पालन कर रहै है उनका जीवन सुखमय बीत रहा है । और जो नियमो का पालन नही कर रहे वे ही सबसे ज्यादा परेशानी उठा रहे है। ये नियम सभी जगहो पर लागू होते है । हर किसी पर लागू होते है चाहे पढ़ा-लिखा हो या अपढ़ हो। आफिस हो या किसान का खेत हो,चाहे वह अमीर-गरीब हो ,आदमी हो या औरत हो,पशु-पक्षी अथवा जीव-जन्तु हो। यहां तक कि देवी-देवता हो,भूतप्रेत,पिशाच हो सभी पर नियम लागू होते है।
नियम स्वम कलियुगी रुपी भगवान हे। यह किसे से डरने वाला नही है । आज नियमो के बारे मे गुरुजीसत्यवादी श्रीरामधुन बतला रहै है।
* गर्भ धारण से लेकर मरने तक इंसान नियमो से बंधा रहता है। आज आपको वे सभी नियमो के बारे मे बतलाया जा रहा है ताकि आमजन इन नियमो को अपनाकर जीवन सुधार सकते है
* गर्भ धारण का नियम- मन चाही संतान का स्वामी ही नियम देवता है ।गर्भ मे आते ही बच्चे का लालन-पालन मे विशेष ध्यान देने की आवश्यकता होती है ।घर परिवार वाले लोग गर्भधारित माँ की देखभाल व जतन के साथसाथ शिक्षा,खानपान का विशेष ध्यान रखते है । सभी नियमो का पालन करने वालो की संतानें का सुनहरा भविष्य बनता है ।
*संसार मे जितने भी जीव-जन्तु पाऐ जाते है वे सभी एक नियमो के अंतर्गत जीते है और सभी काम करते है ।
1* नमस्कार,प्रणाम करने के नियम-नमस्कार करने के नियम -हर व्यक्ति का कर्त्तव्य है कि वह सुबह उठते ही माँ-बाप के चरण स्पर्श करे बाकी सभी बड़े छोटो को यधायोग अभिवादन के साथ अपने दिन की शुरुआत करे। सूर्योदय प्रणाम करे।सभी यार दोस्तो को उनके सामने से नमस्कार करे पीछे से ना करे शिष्शात का पालन करे।
* खाना खाने का नियम :-
1* खाना खाते समय बातचीत ना करे। खाने की थाली से बार बार ना उठे। अपनी खुराक के अनुसार भोजन करे। थाली मे कु भी ना छोड़े । खाना खाने से पहले और बाद मे भोजन को नमस्कार करे।
2* बैठने-उठने के नियम :- कही पर भी बैठने से पहले जगह को साफ कर ले । बड़े लोगो का आसन पर कभी भी ना बैठे और ना ही अपने अधिनस्थ कर्मचारी की कुर्सी व उसके स्थान से हटाकर कुर्सी हटाकर ही बैठे । बैठने के बाद सीधे और खुले हुए बैठे । बातचीत करते समय शालीनता के साध बैठे,अदब के साथ बातचीत करे ।साथ ही यह भी देखे कि आप किस जगह बेठे है । यहा पर आप बाँडी लैंगवेज का भी सहारा ले सकते है । म०प्र० के पार्षद की परीक्षा पास कर पिता के सहारे बने श्री विशवास सारंग आज स्वास्थ मंत्री और जयवर्धने की बहसबाजी मे बहुत सी बाते देखी गई है जो नियमविरुध्य औहै ओर दोनो की अपनी अपनी काबिलियत दर्शाता है । इसी पर इनके आने वाले समय का निर्धारण होता है ।
प्रकृति के नियम -
प्रकृति के नियम वर्षो से चले आ रहे है जैसे रोजाना निर्धारित समय पर सूर्य का उदय होना ,मोसम का का बदलना ,पेड़ -पोधो की प्रतिक्रियाए आदि आदि का संचालन होना भी नियमो के अंतर्गत है उससे भी शिक्षा ली जा सकती है।
नियम न०3 - यह बतलाया जा रहा है कि "यदि आपने किसी व्यक्ति को समय दिया है तो उसका पालन हर हालत मे करे । इसके पिछे नियम का पालन करना एक भावनात्मक प्रक्रिया के अंतर्गत है। यह नियम समय की पाबन्दी दर्शाता है।
नियम न०4- रोजाना ऊगते हुए सूर्य के अलावा घर मे रहने वाले बड़े-छोटो को यथायोग्य प्रणाम व स्नेह करे । ऊगते हुऐ सूर्य से आशय् है कि जिसे हम ठीक से देख सकते है उस सूर्य की बात कर रहे है ।
नियम न०5 - बुराई करने से परहेज करना चाहिए यदि हम किसी की बुराई करते है तो वह दूसरे की बुराई हमेशा हमे ही नुकसान पहुचाती है। बुराई करने से दूसरे का बुरा होगा या नही होगा किन्तु हमारा बुरा जरुर होगा यह अनुभव की 100% सही बात है। अतः बुराई से बचे । हमेशा सकारात्मक सोचे और करे दुनिया आपके कदमो और आप निरोगी रहेगें ।
नियम न० 6 - रोजाना करने वाले काम ही नियम होते है उसे हमेशा करते रहो यही नियम आपके बंद दरवाजे खोलेगे ऐसा दावा 100% सही है ।
नियम न० 7 - यदि आप परेशान है और नियमो का पालन भी कर रहे हो चिंतन मनन कर अपनी गलतिथो को ढ़ूढ़े जब अपनी गलती मिल जाये तो उससे माफी मांग लो । सामने वाला माफ करे या ना करे यह आपका काम नही है ?
नियम न० 8- नियमो का पालन करना ही भगवान तक या तरक्की का मार्ग है ।
नियम न० 9 - हर कार्य करने के नियम होते है । ये वे नियम होते है जिन्हे प्रकृति ने ,भगवान ने, शास्त्रो ने,धर्म-कर्मो के अलावा संविधान ने ,सरकार ने,सामाज-षरिवार ने माता-पिता,गुरु ने दिऐ है । हमे उन नियमो का पालन करना चाहिए ।
नियम न० 10 - जो भी नियमो का पालन करेगा वह सफलतापूर्वक अपना जीवन व्यतीत करेगा अर्थात नियम पक्के हो और उस पर हमेदिल से विशवास भी होना चाहिए । हमेशा दिल की सुनो और करो ।
नियम न० 11- इंसान चेहरा मोहरा सब कुछ बिना बोले उसकी हकीकत बतला देता है जो व्यक्ति नियमो का पक्का होता है उसमे बहुत सारी शक्तियों का मालिक बन जाता है । वह लोगो के दिल की बाते व चेहरा पढ़ लेता है।
नियम न० 12- अति महत्त्वपूर्ण है उसे पढ़ने और समझनै के लिऐ लाइक करे ।
लेखक-आलोचक श्रीरामधुन
Comments
Post a Comment