गर्भावस्था से ही भाग्योदय होता है !
गुरुजीसत्यवादी श्रीरामधुन का मानना है कि इंसानो का भाग्य माता-पिता की दी हुई एक नियामत
है । गर्भ मे आते ही घीरे घीरे उसका
विकास होता है और यह विकास माता के आचार-विचारों के साथ साथ उसके खान-पान व व्यवहार के कारण होता है । जैसे-जैसे शिशु
बड़ा होता है उसे असली शिक्षा गर्भ से ही मिलती है इसलिए माँ को गुरुमाता भी कहा जाता है । गर्भ मे पल रहा बच्चा की उम्र भी उतनी ही
ही होती है जितना कि एक इंसान की वास्तविक उम्र होती है । अब आप सोचेगे कि ऐसे कैसे हो सकता तो जनाब सुनिऐ वह ऐसा होता है- इसांन जब गर्भ मे रहता है तो उसे नो माह की समयावधि 100
वर्ष के समान लगती है ।
गर्भावस्था से मुक्ति
गर्भ से इंसान को जब मुक्ति मिलती है और जैसे ही घोर अंधकार भरी दुनिया से आता है उसे बाहरी उजाला और मनमोहक दुनिया को देखता है वह गर्भावस्था को एक दम भूल जाता है । इस दुनिया मे कोई भी ऐसा इंसान आज तक पैदा
नही हुआ है जो गर्भावस्था की बात
को बता पाया हो ।
महाभारत में एक वृत्तांत जरुर पढ़ने
अपनी माँ के गर्भ मे चक्रव्युह की रचना की कहानी सुनी थी किंतु अधूरी सुनी चूंकि इस बीच सपने के अंति भाग मे माँ को नींद आ जाती है तो गर्भधारित शिशु को भी नींद आ जाती है । इससे यह सिध्द होता है कि बच्चा जो गर्भ मे रहता है वो वही वही कार्य करता है जो माता करती है अतः वह जागृतावस्था मे तभी तक रहता है और माता का कहना मानता है । अब माता का भी कुछ फर्ज बनता है कि उस शिशु को कैसा बनाना चाहती है ,
अच्छा या बुरा ? यह माता पर निर्भर करता है । ठीक इसी प्रकार
का दूसरा प्रकरण अष्ठावक्र का भी है जो बड़े गुणी या यूं कहा जा सकता है सर्वगुण सम्पन्न थे जिन्होने शास्त्रार्थ कर अपने पिता को राजा की जैल से मुक्त कर आजाद करवाया था ।
अतः सभी माताओं से अनुरोध
है कि वे अपने गर्भ मे पल रहे बच्चे
को अच्छी अच्छी बाते बतलाऐ ,अच्छे से अच्छे आचरण करने वाली बातो का पाठो का अध्ययन करे । हमेशा सकारात्मक बातो पर
ध्यान दे और फोकस करे ।
स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने हाल ही में उन कारणों का पता लगाने का दावा किया है जिसके जरिए घर में ही बच्चे का आईक्यू लेवल विकसित किया जा सकता है ऐसे में अगर मां चाहे तो वह घर में ही बच्चे के आईक्यू को को बूस्ट करने में अहम भूमिका निभा सकती है*
* आवाज का एहसास अच्छी किताबें पढ़ना और सुकून भरे गीत व कविताएं मां की आवाज में सुनना बच्चे के लिए बहुत फायदेमंद होता है इससे उसका मस्जिद तेजी से बढ़ता है
* सही खानपान गर्भावस्था के दौरान सही खानपान ना केवल मां के लिए फायदेमंद होता है बल्कि इससे बच्चे के विकास पर भी सकारात्मक असर पड़ता है
* बाहरी चीजों का असर मां की छुअन भी बच्चे के मानसिक विकास को प्रभावित करती है साथ ही कोशिश की जानी चाहिए कि घर पर कभी भी सीधी रोशनी ना पड़े यह बच्चे के लिए खतरनाक हो सकती है साथ ही मां के सोने का तरीका उठने बैठने और चलने का तरीका भी बच्चे के मानसिक विकास के लिए जिम्मेदार होता है
* तनाव से दूर रहे गर्भावस्थ के दौरान अगर मैं तनाव लेती है तो इसका नकारात्मक परिणाम बच्चे को खोजना पड़ता है इसलिए हम आपक
कोशिश करनी चाहिए कि वह हर तरह के मानसिक तनाव और चिंता से दूर रहे
* बुरी आदतों को छोड़ दें अगर गर्भवती महिला धूम्रपान करती है या तंबाकू का सेवन करती है तो इसका असर बच्चे के मानसिक विकास पर भी हो सकता है गर्भावस्था के दौरान धूम्रपान या तंबाकू सेवन किसी भी तरह का नशा करना बच्चे की सेहत के साथ खिलवाड़ हो सकता है इसलिए इससे बचें
* प्रेगनेंसी के तीसरे सप्ताह के आसपास शिशु सुनने लगता है
* मां की कोख में लड़का है या लड़की इस बात को चाटने का सबसे अच्छा तरीका है कि महिला का पेट का आकार अगर गर्भवती स्त्री के पेट का निचला हिस्सा पूरा हुआ और उभरा हुआ हो तो यह घर लड़के के होने का संकेत देता है वहीं अगर किसी महिला के हाथ सुंदर दिखने लगे और हथेली मुलायम हो जाए तो यह लड़की होने का संकेत होता है
* प्रेगनेंसी में नमकीन या खट्टा खाने का मन करता है तो इसका मतलब है कि आपका बेटा पैदा होगा तब इस बात को साबित करने के लिए कोई वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है हार्मोन और बदलाव पोषण की कमी और कुछ मानसिक कारकों की वजह से ग्रेविंग होती है हालांकि इस दिशा में अभी और रिसर्च किए जाने की जरूरत हैऐ
* बाहरी दुनिया से मौन आवाजें सुन सकते हैं और आपके पाचन तंत्र द्वारा की जाने वाली कोई भी आवाज साथ ही साथ आपकी आवाज और हृदय की आवाज भी सुन सकते हैं आंखें की रोशनी के प्रति संवेदनशील होने लगती है
* प्रेगनेंसी में खट्टी चीजें जैसे आंवला केरी और गाजर के अचार का सेवन करना आपकी रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ावा दे सकता है क्योंकि इन चीजों में कई पोषक तत्व जैसे आयरन विटामिन पोटेशियम तथा कैल्सियम आदि पाए जाते हैं जो गर्भावस्था में महिलाओं के स्वास्थ्य को बेहतर बनाने में मदद कर सकता है
* 2 गज के अनुसार रिसर्च में शामिल 100 में से एक तिहाई महिलाएं गर्भवती हुई है यह वह महिलाएं हैं जिनके सोने का समय रात 10:30 से लेकर सुबह 6:30 तक था शोधकर्ताओं का कहना है कि यह महिलाएं रात 2:30 से 3:00 के बीच गहरी नींद में थी वहीं देर रात सोने वाली महिलाओं का गहरी नींद का समय सुबह 6:00 बजे था
* मां बनने बनना चाहती है तो जल्दी सोने जल्दी उठने का फार्मूला अपनएं इसका सीधा संबंध प्रेगनेंसी से होता है।
* गर्भावस्था में रहने वाले बच्चे और मां के बीच में आपस में एक लैबकता रहती है जो अच्छे या बुरे परिणाम देती है तो क्यों ना हम अच्छे परिणाम देने वाली प्रक्रिया पर ध्यान दें अतः ऐसी स्थिति में जो भी आप करेंगे वह बच्चे के लिए फायदेमंद अथवा नुकसान होगा अता अता कोशिश करें कि सकारात्मक सोच के साथ हमेशा खुश रहें अच्छी-अच्छी बातें सोचें दूसरों की बुराई पर ध्यान ना दें आदि आदि बातों का ध्यान रखा जाना चाहिए ।
लेखक-आलोचक-काउसलर
श्रीरामधुन
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