विकासपथ पर यात्राऐ
भारत की आजादी की शुरुआती यात्रा से हुई थी और उस यात्रा की शुरुआत महात्मा गांधी की उस अफ्रीका की रेलयात्रा से हुई थी जब अंग्रेजो ने रंगभेद और भारतीय होने के कारण रेल के डिब्बे से समान सहित बाहर फैंक दिया था । उसी समय गांधी जी ने कसम खाई कि वे इसका बदला लेगे और उसी दिन से वे अग्रेजो के खिलाफत मे आंदोलन शुरु की और पूरे भारत मै गांव,शहरो यात्रा कर लोगो को जागरूक बनाया । उनकी दाण्डी यात्रा नै इतिहास रच दिया । फिर आऐ श्री नरेन्द्र मोदी जिन्होने विदेशो की यात्रा शुरु की जो कभी ना थमने वाला है ।
फिर अंतिम यात्रा आती है जो इतिहास रचती हुए आज चुनावी दौर आगे बढ़ते हुए काग्रेस "भारत जोड़ो "पैदल यात्रा" पर श्री राहुल गांथी की भारत पैदल यात्रा पर निकले है ।
श्री राहुल गांधी ने भारत पैदल यात्रा गुजरात मे यात्रा करने को महत्व नही दिया है चूकि गुजरात मे श्री मोदी जी का शहर है जिसमे उनके प्रमुख प्रतिध्वदी है ।
गुजरात की राजनीति में भूचाल। कांग्रेस मान रही है कि गुजरात चुनौतीपूर्ण है पर कर्नाटक में जीत के आसार प्रबल होंगे यह प्राण राहुल के लिए अच्छा अवसर प्रदान करेगा गुजरात में आज आपा एक अजीबो विरोधाभासी स्थिति में उल्टी हुई है एक तरफ बैठती है कि आम आदमी पार्टी को मिलने वाला कोई भी वोट सिर्फ कांग्रेसक वहीं वह यह भी नहीं चाहती है कि आम आदमी पार्टी को इसका बहुत ज्यादा फायदा मिले क्योंकि जहां पर एक बहता प्रतिद्वंदी उसके लिए वरदान है वही एक नए प्रतिद्वंदी का ऊपर ना किसी बड़े खतरे से कम नहीं है ही होना चाहिए।
भाजपा को अब पूरी तरह भरोसा होने लगा है कि पिछले एक दशक से जारी कांग्रेसका पतन अब उस मुकाम पर पहुंच चुका है जिसके बाद उससे कोई खास खतरा नहीं रह जाता है वैसे यदि कांग्रेसी से गायब हो भी जाती है तो जैसे दिल्ली और उड़ीसा और बंगाल में हुआ तो उसका निष्ठावान बोर्ड आमतौर पर भा जा पा के खाते में नहीं जाता वह हमेशा दूसरे ठिकाने तलाक लेता है मसलन ममता की टीएमसी पटनायक की बीकेटी या फिर केजरीवाल की आप जैसे दिल्ली और पंजाब में हुआ यदि आप गुजरात में 15% से ज्यादा वोट हासिल कर लेती है तो क्या होने वाला है कांग्रेश लगभग तीन दशक के गुजरात में आ जा पाते हार रही है लेकिन उसको वोट शेयर स्थिर और खाता बड़ा 30% से ऊपर रहा है तब भी 2014 और 2019 में के आम चुनाव में कांग्रेस का सूपड़ा साफ करके मोदी ने आज की सभी सीटें जीत ली थी 2017 में कांग्रेस फिर 20 सीटों से भाजपा से पीछे रह गई पर उसका वोट शेयर 41.4% था ।
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