पुरुस्कार ,सम्मान मिलने का ना मिलने का आशय् ! "श्रीरामधुन "
"पुरुस्कार, सम्मान मिलने ,ना मिलने का आशय् -" ?
पुरस्कार और सम्मान मिलना बहुत
बड़ी बात होती है । इसके लिऐ बहुत मेहनत,कड़ी मेहनत करनी पड़ती है और यहां तक कि अपना जीवन तक को दांव पर लगाना पड़ता है । यह तन,मन,धन से भी अधिक महत्वपूर्ण होता है। अपने घर परिवार की जिम्मेदारी पूर्ण कर जनहित मे कार्य करने होते है तब कही जाकर सम्मान मिलता है । सम्मान लेने वाले और देने वाले दोनो का चरित्रशैली देखना पड़ता है । कौन पुरस्कार दे रहा है और कौन ले रहा है यह भी देखना बहुत जरूरी होता है यह नहीं की हर कोई पुरस्कार ले ले और दे दे ऐसे में पुरस्कार का शाब्दिक अर्थ ही समाप्त हो जाता है आता सम्मान देने वाला लेने वाला दोनों की एक श्रेणी होती है आजकल प्रयास यह देखने में आ रहा है कि हर कोई किसी भी काम के लिए किसी को भी सम्मानित कर फोटो विजन करवा रहा है और आपकी फाइल तैयार करके आगे बढ़ने का रास्ता खोज रहा है यह अब ऐसा बिल्कुल नहीं चलेगा इस बदलाव के युग में तो ऐसा बिल्कुल भी नहीं चलेगा आम जनता में खासपुर बुद्ध की भी वर्ग तो इसकी और ऐसे कार्यों की अभिन्न करते हैं आज समाचार पत्र न्यूज़ चैनल में इस तरह के सम्मानों का वितरण बड़ी आसानी से किसी को भी किया जा रहा है जो कि देश और राष्ट्रहित में बिल्कुल भी उचित नहीं प्रतीत होता है ऐसे में पुरस्कार देने वाले सम्मान देने वाले और लेने वाले दोनों को लेने और देने से पहले बहुत सोच विचार कर सम्मान लेना और देना चाहिए ।
विधानसभा अध्यक्ष ने दिए शांति उत्कृष्ट सम्मान यह क्या है और क्यों हो रहा है मंत्री गोपाल भार्गव तुलसीराम सिलावट और मीना सिंह मांडवे को उत्कृष्ट सम्मान मंत्री सम्मान दिया गया है विधानसभा अध्यक्ष गिरी गौतम ने क्या ऐसा करना उचित है अथवा नहीं वह भी उसे समय जब सर पर चुनाव का खतरा मंडरा रहा है सस्ती उत्कृष्ट सम्मान समारोह में मंत्रियों विधायकों पत्रकारों और अधिकारियों कर्मचारियों को सम्मानित किया पूर्व मुख्यमंत्री सुंदरलाल पटवा की स्मृति में उत्कृष्ट विधायक सम्मान लक्ष्मण सिंह देवेंद्र वर्मा शैलेंद्र जैन हिना लिखी राम कहां पर आशीष गोविंद शर्मा और बंदे लाल मार्को को दिया गया वहीं पूर्व नेता प्रतिपक्ष जमुना देवी की स्मृति में मीडिया कर्मियों को सम्मानित किया गया रितेश के प्रथम विधानसभा अध्यक्ष पंडित कुंजीलाल दुबे की याद में उत्कृष्ट विधान सभा अधिकारी पुरस्कार म मनमानी अमित अवर सचिव नरेंद्र कुमार मिश्रा अवर सचिव और अन्य को दिए गए प्रथम विधानसभा सचिव रंगीली की याद में उत्कृष्ट विधानसभा कर्मचारी पुरस्कार हुए इस अवसर पर सस्ती कार्य मंत्री डॉ नरोत्तम मिश्रा पूर्व विधानसभा अध्यक्ष डॉक्टर सीतारमन शर्मा लोक लेखा समिति के सभापति पीसी शर्मा आदि आदि उपस्थित थे ।
क्या यह पुरस्कार देना जरूरी था क्या इससे सिद्ध होता है जरा गौर फरमाएंगे तो आपको पता चलेगा कि इसमें कोई भी व्यक्ति सम्मान लेने और देने वाला नहीं है किसी भी व्यक्ति ने ऐसा कोई कार्य नहीं किया है जिसके कारण इन्हें सम्मानित किया जाए क्योंकि इस सम्मान से यह सिद्ध जरूर होता है कि कि यह सम्मान चुनाव प्रणाली का एक हिस्सा है इस सम्मान को मिलने से क्या होगा इनका सम्मान देने से क्या होगा बल्कि इस सम्मान प्रोग्राम आयोजन में लाखों करोड़ों रुपए खर्च कर दिए गए इससे क्या होगा यही आम जनता को सोचना है और इसके विरुद्ध आवाज उठाना है जो उत्कृष्ट का सम्मान ऐसे ऐसे बहुत से हैं जिनको शासन द्वारा बंद कर दिया गया है और नए-नए उत्कृष्ट सम्मान लेकर आ रहे हैं ऐसा सम्मान तो अभी तक किसी को भी प्राप्त नहीं हुआ है इस सम्मान से यह सिद्ध होता है कि वर्तमान सरकार जो चाहे वह कर सकती है उसे रोकने रोकने वाला विपक्ष है ही नहीं तो इसका दर्द आम जनता को ही सहना पड़ेगा क्योंकि इन सभी कार्यों में काम जनता के पैसों का ही दुरुपयोग किया जा रहा है ऐसे में हमें सोचना पड़ेगा इन नेताओं के बारे में ।
आज कैलाश बरगी का बयान अपनी जगह पर कितना सटीक बैठता है वह भी देख लीजिए टिकट से मैं खुश नहीं हूं कहां-कहां जनता से हाथ जोड़ने पर पढ़ने जाऊंगा यह शब्द उन्होंने कहा है इसका यह मतलब है कि सिर्फ बोर्ड की राजनीति ही खेली जा रही है और बाकी कुछ नहीं ।
ये सभी नेता,अफसर,मीडिया और समस्त कर्मचारी ,व्यवसाही, उद्दोगपति छोटे हो बड़े हो क्या अपना काम ईमानदारी से कर रहे
है ? अपनी ईमानदारी का सबूत वे
नही दे बल्कि उनके कार्य बोलेगे ! तो इतना पेसा विज्ञापन पर व दौरो
भाषणबाजी मे क्यो खर्चा करते है !
इसका जबाव कोई भी नही दे सकता !
लेखक-आलोचक-काउसंसर
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