अनजान सफर,राहे और अज्ञातवास !

"अनजान सफर,अनजान राहे और
अज्ञातवास !"

   अनजान सफर मे और अनजान राहो पर जब कोई निकलता है तब उसे अपने आप पर विश्वास नही होता और गुस्से मे आकर निकल जाता है तो उसे कितनी तकलीफे उठानी पड़ती है वही व्यक्ति बता सकता है जिस पर बीती हो । जो व्यक्ति अपने एरिऐ से कभी ना निकलता हो ,जो अपने कर्तव्यों से कभी विमुख ना हुआ हो वह व्यक्ति
इतनी बड़ी व्यवस्था टकराने निकला हो जबकि वह अपने लक्ष्यो को कभी पा नही सकता हो । व्यवस्था भी ऐसी जो अच्छे कार्य तो कर रही है किन्तु उसकी आँखो मे सफलता पर सफलता की पट्टी बंधी हुई है उसके पास सभी साधन है और इतिहास रचने मे माहिर है फिर ऐसी व्यवस्था कैसे टकरा सकते है । सरकारी परेशानियों के चलते पारिवारिक परेशानीयों ने भी समय के चलते उसे घेरना शुरू कर दिया । अज्ञातवास की यात्रा पर तो निकल गया यह सोचकर कि पूरी व्यवस्था को तहस नहस कर देगा किन्तु ऐसा ना होने पर एक ही रास्ता यह निकला कि -सर्वप्रथम अपने मन के बैठे चोर को बाहर निकाला जाये । यहां पर चोर का अर्थ यह है कि लोभ,लालच और अहंकार है । अध्यात्मिक यात्रा करने से कोई लाभ नही होगा । ईश्वर भी कर्म करने की सलाह देते है तो कर्म ही करके अपने भीतर बैठे अहंकार को मिटाने हेतु प्रयास किया जावे । बार -बार प्रयास करने से सफलता मिलेगी यह बात समझ मे आ ग ई है । अज्ञातवास मे इस कार्य को करने मे सफलता अवश्य
मिलेगी और मिलना भी शुरु हो गई है ,लेकिन हुआ ये कि मै सरकार के विरुद्ध अज्ञातवास पर जाना पड़ा था वह कार्य अब तुच्छ नजर आने लगा । और मन के भाव ही बदल गये । किन्तु तब तक तो धनुष से पहले ही तीर निकल चुका था उसका क्या होगा ? उसका असर अभी तो नही दिखेगा किन्तु खाली भी नही जाऐगा । यह प्रक्रिया निहति पर आधारित है ।

समस्या जहां की वही है । समस्या का हल सरकार के पास है किन्तु सरकार तो सातवें घोड़े पर सवार है छोटी-मोटी समस्याओं पर ध्यान देगी ही नही । अतः कुछ कहने,बोलने, लिखने से जब कुछ हो ही नही रहा तो सब कुछ निहति पर छोड़ देना चाहिए और कर्म पर ध्यान देना चाहिए यही उचित भी है
        अज्ञातवास का समय 06 माह का होने जा रहा है इस बीच कुछ नही हुआ तो आगे क्या होगा यह सरकार ,सरकारी अफसर और नेता
लोग ही जाने मैने तो इन्है इनके कर्मो को माफ कर दिया है और निहति के उपर छोड़ रखा है ।
 "जो जैसा करेगा उसे फल भी वैसा मिलेगा " मै सत्य की लड़ाई मे इनसे हार गया हूं ।
      सत्य कभी हारता नही है अतः सत्य की लडाई जारी रहेगी । अध्यात्म औरे सत्य के सहारे अच्छे कर्म जारी रहेगी,पर समस्या और मांग को देखते हुऐ निर्णय लिया जावेगा । शेष अगले लेख मे !पढ़ते रहे । कृपया लाइक,काँमेन्स, फारवर्ड करे और जो भी गलत लगता है उसमे अपनी प्रतिक्रिया दे।
गुरूजीसत्यवादी श्रीरामधुन
लेखक-आलोचक-व० सलाहकार


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