मनोवैज्ञानिक उत्पीड़न से गुजरता इंसान ? " श्रीरामधुन "
"मनोवैज्ञानिक उत्पीड़न से गुजरता
हुआ इंसान एक प्रकार से मरा हुआ
जिंदा लाश की तरह होता है"
श्रीरामधुन !
मानसिक प्रत्याड़नाओ का नियम हर जीव जन्तु मे पाया जाता है जिसे महसूस किया जाता है ।इसे देखा भी गया है व पाया भी गया है और सर्वे रिपोर्ट भी बतलाती है । मैने अपने अज्ञातवास मे पाया है कि मानसिक प्रत्याड़ना वर्तमान समय मे अनेको प्रकार से दी जा सकती है और देने वाले लोग एक सरकारी मानसिक प्रत्याड़ना और दूसरा गैरसरकारी मानसिक प्रत्या-
ड़ना होती है जो व्यक्तिगत अथवा
व्यक्तिगत समूह को दी जाती है और गुमराह कर समय व्यतीत करना होता है । इस संबंध मे हलाकि कानून बनाऐ गये है जो कि
मात्र दिखावे से कम नही है । मैने सरकार के विरुद्ध एक अभियान छेड़ा था और उसके ही अंतर्गत यह निर्णय लिया और अज्ञातवास पर चला गया था । मुझे तो कोई लाभ नही मिला लेकिन चक्रव्यूह की रचना मे छेद करने मे तो सफल हुआ ।
हम बात कर रहे है मनोवैज्ञानिक
उत्पीड़न की -" भावनात्मक शोषण के कुछ पहलू जैसे कि लगातार गाली देना चिल्लाना आलोचना करना या बच्चे का अपमान करना आसानी से ध्यान दें जैसे बच्चे से वास्तविक अपेक्षाएं या अंकित मांगे या कुछ विशेषताओं के कारण अनुचित व्यापार हमेशा पहचाने नहीं जाते "
"मानसिक प्रताड़ना एक ऐसा आचरण है जो बार-बार और लंबी अवधि में होता है जो किसी व्यक्ति को बदनाम करता है या उन्हें कम से निकाल देता है यह उन घटनाओं के संयोजन को संदर्भित करता है जिन पर व्यक्तिगत रूप से विचार करने पर हनी सहित प्रतीत हो सकता है हालांकि उसकी निरंतर पुनरावृत्ति विनाशकारी और हानि पहुंचाने वाला प्रभाव डालती है ।"
" मनोवैज्ञानिक उत्पीड़न कष्टप्राथ व्यापार का एक रूप है जिसमें बार-बार शत्रु का पूर्ण और अवांछित शब्द व्यापार या कार्य शामिल होते हैं जो दर्दनाक चोट पहुंचाने वाले परेशान करने वाले अपमानजनक या अपमान करने वाले होते हैं ।"
गुरुजीसत्यवादी श्रीरामधुन
लेखक-आलोचक-काउंसलर
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