प्रेम,सम्मान और अपमान का आपसी तालमेल ?
प्रेम,सम्मान और अपमान को सहता हुआ,पिसता हुआ एक ह इंसान के पास आखिरी मे एक ही रास्ता रहता है जिसके पीछे एक ही महिला का हाथ होता है -
ऐसी खबरे हम अखबारो मे,न्यूज़ चैनल्स मे रोजाना देखते है , पढ़ते
रहते है कि अमुक व्यक्ति ने अपने प्रेम को जीवित रखने के लिऐ आखिरी दिनो के संघर्ष किया, सफलता नही मिलने पर डिप्रेशन मे चला जाता है और अंत मे मर जाता है।
इंसान सम्मान प्राप्त करने जीवन भर अच्चे कार्य करता है । किंतु जब उसे सम्मान नही मिलता है तो वह भी डिप्रेशन मे जीता हुआ जल्द ही संसार छोड़कर चला जाता है । इन प्रकरणो मे भी महिलाओं का हाथ होता है । जब कोई औरत अपने पति या प्रेमी का सम्मान नही करती है तब ऐसी स्थिति उत्पन्न होती है । कभी कभी अपने प्रेमी के साथ मिलकर भी पति की हत्या करवा देती है । सम्मान अनेको प्रकार के पाऐ जाते है जिन्है प्राप्त
करने के लिऐ इंसान जी जान लगा देता है और सम्मान ना मिलने के कारण भी अपनी जान का दुश्मन बन जाता है ।
इंसान सब प्रकार का अपमान सह सकता है किन्तु अपनी पत्नी की बेवफाई बरदास्त नही कर पाता है । ऐसी स्थिति मे वह भी डिप्रैशन
मे चला जाता है और नशा लेकर अथवा अपना गम छुपाने के लिऐ नशे का आदि हो जाता है और इतनी ज्यादा शराब पीने का आदि हो जाता है । किंतु नशा करने के बाद भी अपने गमो को नही भुला पाता है तो वह तब तक पीता है कि वह बेहोश ना हो जाऐ । ऐसी वेवाफाई के आलम मे अपने सब रिस्तोदारो को भूल जाता है । वह उस मंजर को भुला नही पाता है जो उसने देखा हो, महसूस किया हो । हलाकि अपना दिल बहलाने के लिऐ गाली-गलोच, मारपीट अथवा किसी से अनैतिक संबंध भी बना सकता है फिर भी उसे तसल्ली नही
मिलती है तो उसके दीमाग मे नाना-
प्रकार की विचार आने लगते है !
जो इंसान अपनी पत्नी को इतना ज्यादा प्यार करता है तो उसे माफ करने के लिऐ भी तैय्यार हो जाता है फिरभी पत्नी और बच्चे नही आते हे तब उसके पास एक ही रास्ता बचता है कि वह इतना ज्यादा पी ले कि उसे होश आऐ ही नही और वह ऐसा करने मे सफल हो जाता है ।
ऐसे प्रकरणो मे यह भी प्रायः यह देखा गया है कि औरत अपनी गलतीयों को छुपाने के लिऐ अपने पति को अन्य महिलाओं से संबंध बनाने की छूट दे देती है और उसी का लाभ उठाती है । नानाप्रकार की धमकीया देती रहती है । नशा करने के लिऐ इंसान को बार बार मरने के लिऐ उकसाया जाता है । तब वह इंसान नशे की हालत मे ही मरना पंसंद करता है । एक नशा करने वाले को बार बार अपमान करना धमकी देना, पारिवारिक रिस्तो को समाप्त करना आदि आदि बातो से मानसिक अघात् पहुचाया काफी होता है ।
अपमान बहुत अच्छा लगता है जब सम्मान पूर्ण होता है पादुका ही सिर शीतल करता है जब जल अभी संचित होता है । यह अनुभव मात्र मेरा नही औरों ने भी महसूस किया है । जहर भी अमृत बन गया सम्मान सहित जब उसे पिया । अपमान सहित अमृत पीने वाला चाहे भले अमर हो जाता है । विश्व पीकर भी योगी महेश कहलाए हैं । जब जहर से नीलकंठ हुआ तब नीलकंठ कहलाए हैं । अपमान सहित जीने वाले जीवित रहते हुऐ भी मरे हुए । अपमान सहित करने वाले मर के जग में अमर हुए । मीराबाई को जब राणा ने भेजा था देश का प्यार सम्मान सहित विश्व भाई वन मीरा ने अमृत बना डाला । चार दिवस का जीवन है आपस में मिलजुल से रहें । यदि कोई अपमान करें तो उसमें भी हम खुश रहे ।अंदर के आए विचारों को मैं कभी रोक नहीं पाता हूं जो आए विचार मेरे अंदर मैं उनको ही लिख जाता हूं ।
स्वाभिमान और अभियान के बीच आखिर कितना अंतर होता है? यह यहां पर प्रदर्शित होता है जीवन में कभी भी अभिमान नहीं करना चाहिए क्योंकि इसके आते ही हम उन चीजों को खो देते हैं जो हमें पास होती है या फिर हमें आसानी से मिल सकती है या अभिमान हमारे भीतर तब आता है। जब हमें लगता है कि हमने कुछ किया है या फिर हमें जीवन में कोई सम्मान मिला है जिस समय हम चीज को दूसरे के सामने अभिमान कर रहे होते हैं तो निश्चित रूप पर हम किसी न किसी का अपमान कर रहे होते हैं। और उसकी नजरों में अपने सम्मान को हो रहे होते हैं । जीवन में जैसा अभिमान के रावण का अंत हुआ वह हमारे जीवन के लिए कितना नुकसानदायक है:-
* कभी भी ज्ञानी व्यक्ति घमंड नहीं करता है और जिस व्यक्ति को घमंड होता है उसे कभी ज्ञान नहीं होता है
* जीवन में कभी भी अपनी शोहरत या उपलब्धियां पर अभिमान नहीं करना चाहिए क्योंकि जीतने वाले को भी अपना पुरस्कार छोड़कर ही लेना होता है
* जीवन में पाप कर एम निश्चित रूप से बहुत बुरी चीज है लेकिन उससे भी बड़ा पूर्ण प्राप्त करने का अहंकार होता है
* अभियान की भी अलग स्थिति होती है व्यक्ति को अपने ज्ञान का घमंड तो होता है लेकिन उसे अपने घमंड का ज्ञान बिल्कुल नहीं होता है
* जीवन में कभी इतना स्वाभिमान नहीं करना चाहिए क्योकि वह अभिमान बन जाए और अभिमान इतना भी काम ना करें की शोभा स्वाभिमान मर जाए
" रिश्तो में आत्मसम्मान का होना बहुत ही जरूरी होता है क्योंकि अगर रिश्तो में किसी के भी आत्म सम्मान का ख्याल ना रखा जाए तो रिश्ते कमजोर हो जाते हैं लेकिन कुछ लोगों को इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता और वह रिश्तों की कदर नहीं करते :-
*" उसकी इज्जत कभी मत करो जो आपकी इज्जत की कदर नहीं करते उसे अहंकार को मत समझना उसे आत्मसम्मान कहते हैं।"
" अगर आपको अपने सम्मान की कोई फिक्र नहीं है तो दूसरों को दोस देना बेकार है।"
* " किसी भी चीज के लिए अपनी अहमियत को कम मत समझो क्योंकि आत्म सम्मान से बड़ा और कुछ है ।"
*" अगर कोई आपका अपमान करे तो उसका भी शुक्रिया अदा करें क्योंकि वह इंसान आपको आपकी जिंदगी की सच्चाई बता रहा है ।"
लेखक-आलोचक-काउंसवर
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