कहा गया सांझा चूल्हा,और संयुक्त परिवार ?
कहां गया साझा चूल्हा,कहां गया संयुक्त परिवार ? कही इसका उत्तर बढ़ती आबादी तो नही,किन्तु ऐसा नही है । तो फिर कही बेरोजगारी, भुखमरी व मंहगाई तो नही ! ऐसा भी नही है ! तो फिर क्या हो सकता है ? इस बारे मे सर्वे करने से ज्ञात हुआ कि - लोगो के अंदर दिनोदिन कुविचार आ रहे है जिसके कारण संयुक्त परिवारो का विघटन होता जा रहा है । लोग सोचते है कि शादी करने के बाद " अकेले रहेगे,खाऐगे,मौज करेगें आदि आदि सोचकर मा-बाप परिवार से दूर हो जाता है । कुछ लोग इसे स्वीकार लेते है तो कुछ लोग नही कर पाते है जिसके कारण वे डिप्रेशन के शिकार हो जाते है । " परिवार मे वापिसी जाने का रास्ता भी नही होता । यदि वह संयुक्त परिवार मे होता तो ऐसा नही होता । फिर कोरोनाकाल मे भी ऐसी ही घटनाऐ घटित हुई जिसमे संयुक्त परिवार का महत्व बढ़ाया किन्त फिर धीरे-धीरे वही पुराने ढर्रे पर आ गये । लोग अपनी जिंदगी बिताने के लिऐ परीवार से बगावत करके प्रेम विवाह तो कर लेते है जिसमे एक ही परिवार मिलता है वो भी जोर जबरदस्ती मे फिर चला ,ना चला कोई गाँरन्टी नही । अभी प्रेम विवाह बहुत ही कम सफल हुऐ है । ज्यादातर असफल हुऐ है फिरभी प्रेम