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सांझ ढल चुकी है रात्री पहर शुरू ।

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"सांझ ढ़ल चुकी है रात्री प्रहर शुरु" !       "जीवन बीता ,दिन बीता अब तो सांझ ढ़ल चुकी है । कारी अंधेरी रात्री भी शुरु हो ग ई है ,सुबह की पौ होने को है मंजिल की तलाश मे" गुरूजीसत्यवादी श्रीरामधुन !

लार टपकने लगती है !

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    "  लार टपकने लगती है     " आज का इंसान इस हद तक बिगड़ यह कभी किसी ने सपने मे नही सोचा था कि ये सब सहना पडेगा । वैसे इंसान तो वही है । कल भी वही था । आज भी वही है और कल भी वही रहेगा । सब कुछ वही है जैसा पहेला था वही आज है और आने वाले समय भी वही रहेगा ।      इंसान तो वही है किंतु सोचने का नजरिया बदल चुका है । पहले कम था और इंसान डरता था । आज किसी बात का डर नही है और आने वाला समय किसने देखा है ।  इंसान वही है ,समय भी वही है । पहले भी किसी भी ,कैसी भी , सुंदरता हो उसके पीछे भागता रहता  है चाहे वह इंसान किसी भी पद का,किसी भी उम्र का हो सुंदर स्त्रीयो के प्रति आकर्षण हमेशा प्रदर्शित करते आया है और आगे भी करते रहेगा । यह गलती उसकी नही है फिर भी हमेशा दोषी रहा है । यह बात आज तक किसी को समझ नही आई । भूख दो प्रकार की होती है एक तन की दूसरी मन की । दोनो मे ही पूरा संसार समाया हुआ है ।       आज का समय ऐसा आ गया है कि हर इंसान किसी भी सुंदर स्त्री को देखता है तो उसकी लार टपकने लगती है और थोड़ी देर के लिऐ अपनी उम्र भूल जाता ...

कल-आज-कल-का इतिहास मे आज का सत्यवादी श्रीरामधुन

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कल-आज-कल-का इतिहास मे आज का सत्यवादी श्रीरामधुन       28-29-फरवरी 1 मार्च                             इतिहास।          आज का इतिहास                                   मे।   28 फरवरी के इतिहास के पूर्व का  29 फरवरी को लिखा गया जो 1 मार्च का इतिहास ।                                 आज का सत्यवादी समाचार    R,Nl- MPHIN/2012/49082        आने वाले कल की         जाने वाले का कल और               आजकी जानकारी तथा्आने वाले भावी घटनाओं का उल्लेख करते है जिससे इतिहास बनता है और उसीके अंतर्गत है                       आज का सत्यवादी की ...