सांझ ढल चुकी है रात्री पहर शुरू ।

"सांझ ढ़ल चुकी है रात्री प्रहर शुरु" !
      "जीवन बीता ,दिन बीता अब तो सांझ ढ़ल चुकी है । कारी अंधेरी रात्री भी शुरु हो ग ई है ,सुबह की पौ होने को है मंजिल की तलाश मे"
गुरूजीसत्यवादी श्रीरामधुन !

Comments

Popular posts from this blog

मेहर जाति व मेहरा जाति का इतिहास। श्रीरामधुन

*20 अक्टूबर. का इतिहास*

आज मेरे बच्चे बुलेट (अर्पित) की प्रथम पुण्यतिथि है , श्रद्धांजलि।