"कोपभवन" खुल कर रोये

    आज कल तो लोग मकान, कोठी, बड़े बड़े मकान बनवा लेते है किंतु कुछ ना कमी रह ही जाती है जिनके बारे मे वे सोंच ही नहीं पाते है । चूंकि उनके बारे मे कोई वास्तुकार अथवा ज्योतिष जानकार भी नही पाते है ।सब लोग अपनी अपनी राय मशवरा देते है । बेडरूम, बाँथरूम,किचन ,बैठक छं रूम, स्टेडी रूम व  पूजाघर कैसा होना चाहिये, दिशा कौनसी होना चाहिये आदि आदि  तो  बतला देते है । सर्वसुविधायुक्त मकान बनवाने के बाद भी इंसान को सुख चेन नही मिलता है तब वह अपना दुखड़ा किसे बताऐ ,कहाँ जाकर अपना मन हल्का करे ?

    रामचरित मानष मे लिखा है कि अयोध्यानगरी मे भगवान श्रीराम के राज्यभिषेक की तैयारियां चल रही है । पूरी नगरी को दुल्हन की तरह सजाया गया था । जगह जगह मंगल गीत गाऐ जा रहे थे ।

   राजा दशरथ बहुत खुश हो रहे थे कि कल उनके बड़े पुत्र का राज्याभिषेक होने वाला है ।वे बारी से अपनी रानियों से मिलकर खुशी का इजहार कर रहे थे । दशरथ जी कैकेयी के महल जाते है तो उन्हे पता चलता है कि रानी तो अपने महल मे ना होकर "कोपभवन " मे है । इसके बाद के घटनाक्रम से सभी वाकिफ है ।

    उस समय  के राजा महाराजा अपने महल के अलावा कोपभवन भी बनवाते है । जब भी मन उदास होता था अथवा अपना मन हल्का करना होता था तो रोने के लिऐ, कोपभवन का निर्माण जरूर करवाते थे । उस समय सभी के महल अलग अलग उनके नाम से हुआ करता था उन्हीं को देवालय अथवा मंदिर के नाम से भी जाना जाता था ।

   "कोपभवन" मे सभी प्रकार की व्यवस्था का इंतजाम हुआ करता था । जहाँ पर जाकर इंसान अपने दुखो को भुलाने का यत्न करता था और जोर जोर से रोया करता था । ऐसा करने से उसका मन हल्का हो जाता था इसी वजय से "कोपभवन" का निर्माण उस समय के वास्तुकारों की देखरेख मे करवाया जाता था ।

     वर्तमान समय में भारत के बड़े बड़े नेताओं , बड़े बड़े अफसरों तथा राजा महाराजो तथा नबाबो की कोठी, राजमहलों, बंंगलो मे ऐसी व्यवस्था नही है । भू०पू० मुख्यमंत्री अर्जुन सिंह की कोठी हो अथवा भू०पू०सांसद  स्व० कैलाश सांरग के पुत्र श्री विश्वास सारंग मंत्री का बंगला हो , जहाँ पर  नंदी ,कालभैरव तो है किंतु कोपभवन नही है ।

   समय परिवर्तन शील है । जो चीज जहाँ से शुरू हुई हैअथवा शुरू होती है वही पर आकर समाप्त होती है । विज्ञान और अध्यात्म भी इसकी पुष्टि करता है । आज वर्तमान में  मकान, बंगले बनवाने के बाद भी इंसान  खुश नही है तो उसे अपने कर्म अच्छे करना चाहिए जो कि असभंव है । अतः ऐसे लोगों  को कोपभवन की सख्त आवाश्यकता है अर्थात फार्महाउस की जगह पर अथवा अलग स्थान पर "कोपभवन"

जरुर बनवाना चाहिए । आज तक  किसी भी व्यक्ति ने मकान बनवाते  समय गौर नही किया इस संबंध गुरुजीसत्यवादी श्रीरामधुन का मानना है कि हर इंसान को मकान बनवाते समय अपनै माता/पिता यदि  जीवित है तो उनके लिए एक कमरा अलग से बनवाऐ सर्वसुविधायुक्त ताकि समय आने पर दुख तकलीफ के समय मे उनके पास जाकर जोर जोर से रोऐ ।माँ-बाप उस समय भगवान बनकर आपको जो आशीर्वाद देगे  वह अनमोल होगा । इसकै अलावा एक ऐसा कमरा बनवाऐ जहाँ पर आप अपने दुखो को भूल सके । जोर जोर से रोऐ । अपने आप से बातें करे । पश्चाताप करै । अपने दुखों से ना भागे आंसू आना चाहते है तो उसका स्वागत करे और उसे बहने दे । कुछ पलो के बाद सब कुछ शांत  शांत लगने लगेगा ।

   अभी अभी हाँल मे ही स्पेन की राजधानी मैड्रिड मे एक ऐसा ही  रूम बनवाया है जिसमे उदास लोग दिल खोलकर जोर जोर से रोते है,जिसके कारण उनके अंदर व्याप्त दुख,गुस्सा, टेंशन, समाप्त हो जाता है और वे तनाव मुक्त हो जाते है । इस कमरे का नाम "क्राइंग"रखा गया 

है ।

"ज्यौतिर्विद"गुरूजीसत्यवादी श्रीरामधुन"

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