झूठा वादा,बना जान का दुश्मन .......

 एक समय की बात है जब पूरा शहर शीतलहर से ग्रसित था । हर साल तो पड़ती ही है किंतू मोसम विभाग की घोषणा के बाद तो और भी ज्यादा लोगों को मनोवैज्ञानिक असर हो ही जाता है । ऐसी ठंड मे सेलेब्रिटीज़  अपना जन्मदिन पर अथवा अपने बुजुर्गो की याद  मे गरीबों को ,भिखारियों को, अनाथालय मे इस ठंड से बचने के लिए कंबल, ऊनी वस्त्र बांटने का कार्य करते है । चुनाव के समय नेताओं द्वारा भी ऐसा कृत्य किया जाता है, सर्वविदित है ।

     एक बार की बात है । एक राजनेता ने अपनी कोठी मे प्रवेश करते समय एक दरबान को देखा जो साधारण फटे पुराने लिबास मे बिना गर्म कपड़े पहना देखा तो उन्होंने दरबान को पास बुलाकर पूछा- "क्या तुम्हें ठंड नही लगती" ! 

दरबान ने कहा-"ठंड तो लगती है, किंतु क्या कर सकता हूं । राजनेता,धार्मिक प्रवृति के अचछे इसान थे । उन्हे उस गरीब का दुख समझते हुए  कहा कि आज वास्तव ठंड बहुत है अत:मै अंदर जाकर गर्म कपडे भिजवाता हूँ । अंदर जाकर नेताजी अपने काम मे व्यस्त  हो गए ,और कपड़े भिजवाना भूल गए ।

    दरवान बार बार कोठी के अंदर झांक झाक कर रहा,कोई नहीं आया । उस दिन ठंड भी अधिक थी अथवा इंतज़ार की घड़ी मे ज्यादा ही ठंड लग रही थी ।

     दूसरे दिन दरवान ठंड से अकड़ा हुआ मृत पाया गया उसके पास एक पत्र बरामद हुआ जिसमें यह लिखा हुआ था  कि "कोई भी  व्यक्ति किसी भी व्यक्ति को धोखे मे रखकर आश्वासन ना दे ,एक व्यक्ति ने मुझे आश्वासन दिया कि मै कंबंल भिजवाता हूँ। रात भर मै इंतजार करता रहा। उस दिन मुझे ठंड भी ज्यादा लगी । ऐसा नही मैने इससे ज्वादा ठंड मे कुछ नही हुआ किंतु आपके आश्वासन ने मुझे मार डाला ।

    नेताजी को यह जानकर बड़ा दुख हुआ, उन्होंने अपने पद से त्यागपत्र दे दिया, कोठी छोड़कर अज्ञात वास मे पश्चाताप करतै क ई सालों लोगो की सेवा मे बिताए ।आज भी सम्मान भरा जीवन बिता रहे हो और लोगो की सेवा कर रहै है ।जरा सी भूल का पश्चाताप अभी भी है किंतु  वे अच्छे पद पर बैठकर गरीबों की सेवा कर रहे है । आप सभी उनको जानते है कि वह शख्स कौन हो सकता हैं ........।


गुरूजीसत्यवादी श्रीरामधुन

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