बच्चों को कहानियां सुनना पंसद क्यों?

 किसी भी चीज का इतिहास जानने के लिए, संस्कृति को जानने के लिए ,पीढ़ियों तक पहुंचने के लिए कहानी कथाएं, बोध कथाओ का माध्यम सशक्त है कहानियां सुनने से बच्चों में गुण विकसित होते हैं जो उसके भविष्य के लिए बहुत उपयोगी हैं । बच्चे हो या बूढ़े हो कहानियां ऐसी चीज है जो हर किसी का ध्यान अपनी तरफ आकर्षित कर लेती हैं ।

     कहानियों में इतनी ताकत होती है कि वह बच्चे हो या बूढ़े हैं जो उन्हें दूसरी दुनिया में ले जाते हैं।

     आज का युग  डिजिटल युग है । बच्चे आजकल दादी ,नानी की कहानियों पर ध्यान नहीं देते हैं और मोबाइल ,लैपटॉप ,गूगल की कहानियों को देखते हैं और सुनना ज्यादा पसंद करते हैं ।

     ऐसे समय में यदि हम  सकारात्मक सोच के साथ यदि बच्चों को शिक्षाप्रद कहानियां सुना सकते हैं ,ऐसा प्रयास हम बार-बार करते हैं और सफल होते हैं तो यह हमारे लिए बहुत बड़ी उपलब्धि होगी ।कई बच्चे ऐसे होते हैं जो ठीक से समझ नहीं पाते हैं तो ऐसे बच्चों के लिए कहानी के माध्यम से समझाते हैं तो वे अवश्य समझ जाएंगे ।

     कहानी सुनाते समय बच्चे कहानी की दुनिया में खोकर उसके पात्रों और घटनाओं की काल्पनिक दुनिया में खो जाते हैं और वही सुख महसूस करते हैं।  जिससे उनके कोमल ह्रदय और मन में रचनात्मक सोच और कल्पना शक्ति बढ़ने लगती है । कहानियों में बच्चे जो भी सुनते हैं उनकी छवि उनके दिमाग में बनने लगती है । इतना ही नहीं कभी कभी कहानियों के माध्यम से बच्चे ऐसी ऐसी बातें सीख जाते हैं जो उनके जीवन में कई बार काम आती है ।

     गुरूजीसत्यवादी श्रीरामधुन  लेखक द्वारा छोटी छोटी अथवा बड़ी बडी कहानियों  के माध्यम बतलाने का प्रयास  है।

     बच्चों के दिमाग में ढेर सारी बातें आती है, और जाती है कल्पनाएं भी बनते बिगड़ते रहती है, योजनाएं भी बनती रहती है ,पढ़ाई करना, खाना खाना है खेलकूद करना है आदि आदि बातों के साथ साथ ढेर सारे विचार उत्पन्न होते रहते हैं बच्चे विचारों की दुनिया में खोए रहते हैं इन्हीं विचारों के माध्यम से अपने कार्यों को अंजाम देने में सफल होते हैं ।

    रात्रि में सोते समय शरीर को आराम मिलता है किंतु ंहमारी सांसे चलती रहती हैं, पूरा शरीर अचेतन की स्थिति में रहता है फिर भी हमारे हमारा शरीर की हलचल ना होते हुए भी क्रियाशील रहता है । मंन अंतर्मन चलाएंमान होता है आराम करने पर मन को शांति मिलती है किंतु अंतर्मन की क्रियाएं चालू रहती हैं जो हमें स्वप्न लोक की सैर कर पाते हैं ,डराते हैं ,हंसाते हैं अर्थात पर सभी कार्य करवाते हैं जो हम जागते हुए करते हैं।।

     वैज्ञानिक और रिसर्च सर्वे रिपोर्ट रिपोर्ट मानती है कि हमारे दिमाग का इस्तेमाल बहुत ही कम होता है जो 37% है यदि इसे 100% इस्तेमाल करेंगे तो असंभव कार्य को संभव बनाने में कोई समय नहीं लगेगा।

     बच्चा जब छोटा होता है तो उसके शरीर की रचना कोमल रहती है किंतु सोचने समझने की शक्ति चरम सीमा पर गतिमान रहती है ।तब ऐसे दिमाग में जो  भी चीजें चल रही है , क्रम जारी  रहता है तब ऐसी स्थिति में बच्चे के पैर में सुईया कांटा चुभ जाता है तो उसके दिमाग मैं जो भी चल रहा होता है वह हमेशा के लिए भूल जाता है यह भूली बिसरी बातों पर किसी ने रिसर्च किया हो या ना किया हो कहीं किसी ने कहा हो या ना कहा हो ,लिखा हो या ना लिखा हो अतः ऐसी स्थिति में गुरुजी सत्यवादी श्री रामधुन  का कथन है कि बढ़ते हुए बच्चों के दिमाग में विचारों की क्रियाशीलता शरीर में दौड़ते हुए खून की गति से भी अधिक होती है अतः ऐसी स्थिति में जो भी बच्चे हो उनके  पैरो में कांटा या सुई चुफती है तो उसका प्रभाव उसके दिमाग पर पड़ता है उसकी मेमोरी उस समय की मेमोरी को हमेशा के लिए भूल जाता है अतः आमजनों को को सलाह दी जाती है कि वे इस बात का ध्यान रखकर बच्चों का ख्याल रखें ।

     बच्चों को अच्छी अच्छी सकरात्मक कहानियों सुनाऐ ,बताऐ और ध्यान रखे ।


गुरूजीसत्यवादी श्रीरामधुन

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