मीडिया पर एक प्राहर

टीला जमालपुरा भोपाल में एक बड़े परोपकारी दूसरों की खासतौर पर भूतों को की सेवा करने में उन्हें बड़ा सुकून मिलता था वह हमेशा हाथी के मोटे कपड़े सस्ते कपड़े पेंटर पहनते थे पूर्व रा ज्योतिषाचार्य एवं अंक शास्त्री होने के नाते जनों के हिसाब से होना कपड़े पहनते थे उनके फटे पुराने और मोटे कपड़े देखकर कोई भी सरकारी कर्मचारी अधिकारी उनकी ट्रस्ट का काम नहीं करते थे तब संत उन्हें तथा अन्य लोगों को से कहते भाई बात यह नहीं है कि मैं मानता हूं कि एक इंसान को दूसरे इंसान की मदद करनी चाहिए किंतु इसके लिए अपने शरीर का बिल्कुल भी दाल नहीं करना चाहिए यही धर्म कहता है अधिकारी ने हैरान होकर पूछा धर्म की सीख जरा दिखाइए जिसमें यह लिखा है संत ने कहा मेरे पास एक ग्रंथ नहीं है वह तो मैंने लोगों की सेवा करने हेतु भेज दिया कब उस व्यक्ति ने हंसकर कहा कि कि बेशक बेचा जाता है जो ग्रंथ दूसरों की सेवा करने के लिए अपनी चीजों को भेजता है उपदेश देता है उसे बेचने में उससे बेचने में कोई हर्ज नहीं इस ग्रंथ को बेचने में अथवा अन्य जोत से जोत की रकम मिली थी उससे मैंने जरूरतमंदों की जरूर जरूरत पूरी की है उपयोग में आएंगे वह सफर पढ़ो परोपकारी बनेगा सत्यवादी बनेगा सत्यवादी गुरुजी श्री राम धुन ने कहा कि बेशक अपनी सेवा का फल से प्राप्त धनराशि जो भी मेरी सरकारी पेंशन राशि है का उपयोग आज तक मैंने नीच कार्यों में उपयोग नहीं किया है बल्कि उस राशि का उपयोग ट्रस्ट से संबंधित निशुल्क संचालित सेवाओं में खर्च किया है इसके अलावा अन्य प्राप्त धनराशि जैसे ज्योतिष से प्राप्त धन आवेदन पत्र लिखने से प्राप्त धन और सलाह से प्राप्त धन आदि आदि से प्राप्त राशि का इस्तेमाल लगभग 20 वर्षों से कर रहा हूं जनहित निशुल्क सेवा करने के कारण परिवार के लोगों के साथ-साथ मोहल्ले पड़ोस में रहने वाले लोग आकारा आ कारण ही मुझसे नाराज हो गए हैं सप्ताह में काबिल नेता का के के साथ-साथ कई अफसर सरकारी अफसर भी नाराज हैं इस नाराज लोगों के कारण ट्रस्ट को जानबूझकर परेशान किया जा रहा है कई लोग तो अत्यधिक नाराज हैं उनकी नाराज क्यों को नजरअंदाज कर कार्य किया जा रहा है ट्रस्ट के इन कार्यों से मध्य प्रदेश शासन के अलावा अवसर को याद है फिर भी अंजान बने हुए हैं आज का सत्यवादी का सत्य कभी ना अपने वाला सत्य है ट्रस्ट का कार्य जब-जब बंद होता है वहां पर मौत के बादल मंडराने लगते हैं ज्ञान और भावनाओं दोनों एक साथ हवा में घुलनशील होकर आम जनों तक पहुंचते रहते हैं जिससे उस स्थान पर नकारात्मक ऊर्जा के कारण हर दुखों को हर लेती है आज पहली बार ऐसा हुआ है कि ट्रस्ट की गतिविधियों पर लगभग 1 माह से ऊपर बंद है बंद होने के कारण ट्रस्ट के जुड़े तीन चार वरिष्ठ नागरिक की अकाल मृत्यु हो गई इसका श्रेय उन अफसरों पर जाता है जिन्होंने ट्रस्ट की समस्याओं का निराकरण नहीं किया है ट्रस्ट ने जो भी मांग की है वह उचित है यदि अनुचित है तो वह सजा भुगतने के लिए तैयार के लिए तैयार भी है ऐसे वादे के साथ किया है अपीली आवेदन पत्र संबंधित विभागों को नियमानुसार भेजा गया है 2 वर्ष बीत गए हैं इस प्रपत्र कई बार भेजे गए हैं अभी भी प्रयास पर प्रयास जारी है आता है ऐसी स्थिति में कुछ दिनों का अज्ञातवास जरूरी है।

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