आम-आदमी लखपति फिर भी गरीब................

    हम इतिहास पर नजर डालते हैं तो आम आदमी अपने पूर्वजों से ज्यादा बेहतर स्थिति में है ।हर इंसान की कीमत तो लगाना मुश्किल है किंतु लखपति से कम भी नहीं है ।

     जैसे-जैसे आबादी बढ़ती गई वैसे-वैसे तरक्की के साधन भी बढ़ते गए आज उच्च जनसंख्या वृद्धि के विरोध कर रहे हैं वैसे उनकी मांगे भी अपने स्थान पर सही है किंतु हम बढ़ती हुई आबादी में से तरक्की करें देश को गौरवान्वित करने वाले व्यक्ति को छोड़ते हैं तो इस आबादी में से निकल कर आते हैं जिससे कि आज का निर्माण होता है अब ऐसी स्थिति में बढ़ती हुई आबादी के बारे में क्या कहें पहले साधना और साधक कम आवश्यकताएं कम तो साधन भी सीमित है जैसे-जैसे परिवार बढ़ते गए आबादी बढ़ती गई वैसे-वैसे गुजर-बसर करने के लिए लोग अपना अपना साधन जुटाने लगे एक खेती हर इंसान की सीमित भूमि का भी बंटवारा होते-होते कम हो गया ।

     आज तलक पति का महत्व खत्म होकर कौन बनेगा करोड़पति हो गया पहले लखपति बनना मुश्किल था और आज करोड़पति बनना भी मुश्किल हो गया है यह है कि समय का परिवर्तन इसी युग में दुनिया चलती रहेगी जैसे-जैसे जनसंख्या में बढ़ोतरी होगी वैसे वैसे उसके मूल्य की भी प्रतियोगी बदलाव के साथ साथ सभी चीजों में परिवर्तन होगा आज का इंसान जब घर से निकलता है तो अपने खाली जेब में लाखों रुपए के साथ निकलता है मोबाइल मैं आज ऑफिस व अन्य लोगों से सीधा जुड़ा हुआ होता है बैठे-बिठाए कोई भी कार्य कर सकता है मेहनत करने के बजाय आरसीबी होते जा रहा है सब जानकारी उसे गूगल से प्राप्त हो जाती है

    जिस दिन से अमिताभ बच्चन कौन बनेगा करोड़पति का कार्यक्रम सोनी टीवी चैनल पर शुरू किया था उसी दिन बुद्धिजीवी लोगों का मानना है कि लखपति इंसान का वजूद समाप्त हो गया है आज का सत्यवादी आज का लखपति फिर आज का करोड़पति आज का अरब खरबपति कौन बनेगा का क्रम चलते हुए 1 दिन आज का सत्यवादी कौन इस बीच की दूरियों मिटाने बनाने में युग परिवर्तन निर्माण की प्रक्रिया में बरसों बरस लग जाएंगे दुनिया कहां से कहां पहुंच जाएगी इसकी कल्पना कर पाएगा कि नहीं कर पाएगा इंसान इस विज्ञानिक युग की रचना है इंसान ही करेगा तब भगवान ईश्वर खुदा का वजूद समाप्त हो जाएगा और धार्मिक ग्रंथ एक कोरी बकवास की तरह लाइब्रेरी की शोभा बढ़ाते नजर आएंगे ।

     वैज्ञानिक युग में भी वही चलेगा जो अभी चल रहा है मात्र उसमें थोड़ा बहुत परिवर्तन के स्वरूप पाया जाएगा आंतरिक मूल्य की वैल्यू मुद्रास्फीति के अंतर्गत करेंसी चलती हुई समय अनुसार परिवर्तित होना भी एक सिद्धांत है उसी के अनुसार एक पहले पर महल बढ़ता हुआ करो पर पहुंच गया है ।

    एक व्यक्ति का मूल्य ₹100000 से 5000000 रुपए होता हुआ एक करोड़ पहुंच गया है इसी प्रकार से एक घर परिवार में मौजूद सदस्यों के अनुसार उसकी इनकम क्या होनी चाहिए किंतु ऐसा बिल्कुल नहीं है अभी भी बीपीएल अति गरीबी के अंतर्गत जी रहे लोगों का आकलन कैसा हो रहा है वास्तविक स्थिति और परिस्थितियों का आकलन कर उस घर अथवा परिवार का कर उस घर अथवा परिवार का आकलन सही ढंग से करने के बाद ही उन्हें गरीबी का प्रमाण पत्र दिया जाना चाहिए किंतु सरकार ऐसा नहीं कर रही है बल्कि उनके गलत जानकारियां देने पर उन्हें प्रोत्साहित कर भ्रष्टाचार को बढ़ावा दे रही है यह नीति निर्धारण की व्यवस्था ही गलत है इसमें सुधार लाना अति आवश्यक है यह मूल्य नीति का एक हिस्सा है वोट बैंकिंग प्रणाली की वजह से सब अनदेखा किया जा रहा है और देश की अर्थव्यवस्था पर कुठाराघात किया जा रहा है फिर भी हमारा भारत देश महान भारत है क्यों और कैसे

    आप ऐसी स्थिति में के माध्यम से आम जनों से बड़ी बड़ी सिद्धांतों की बात करता है तो वह सभी बातें बेमानी साबित होती है हर चीजों को हम ग्राउंड और जीरो मान का सुधार करेंगे नियम बनाएं और लागू कर कानून बनाएंगे कानून बनाकर लागू करेंगे तभी यथार्थ बातें का सामना हो हो सके हमारा बेसमेंट मजबूत होगा तो हम उसका उपयोग सही कर सकें ऐसा बेसमेंट बनाने में हमें अपने पूर्वजों के रास्तों पर पर चलना होगा जो असंभव है फिर भी प्रयास तो किया ही जा सकता है ।

   कोरोना काल में भारत की आर्थिक मुद्रा स्थिति स्थिति जीरो बैलेंस में आ गई है लोगों के बैलेंस बैंक बैलेंस समाप्त हो गए हैं नौकरियां छीन गई है बेरोजगारी बढ़ गई है धन दौलत और जेवरात के साथ-साथ जमीन जा जात भी गिरवी रख दिए गए हैं इन सब चीजों का आकलन अलावा सरदार हो गए ।

    लखपति होना लखपति बनना अलग बात है इसमें घर की रोजी रोटी नहीं चलेगी रोजी रोटी के साधनों में उलझे यह लखपति लोगों का अंत धीरे-धीरे होता जा रहा है इसका प्रमुख कारण है राजसत्ता और अफसरशाही योजनाएं बनती हैं पैसे भी आते हैं किंतु सही इस्तेमाल ना होने से कार्यप्रणाली दुरुस्त न होने के कारण आमजन परेशान हैं  ।

    80 90 हजार की दोपहिया गाड़ी पर बैठकर 20 30 हजार का मोबाइल रखकर आम आदमी आज बेरोजगार घूम रहा है दर-दर में भटकते लखपति कैसे बेरोजगारी के आलम में परेशान है अपना अस्तित्व की पहचान में गुम होता हुआ यह लखपति आखिर किस काम का है ।

   लखपति जब तक करोड़पति नहीं बन जाता तब तक वह परेशान ही रहेगा हमारे देश की अर्थव्यवस्था को कमजोर करने वाले सत्ताधारी सरकार और अफसर हैं जिनके ऊपर पूरे देश की न्यू की बागडोर है अतः इन लोगों पर कार्रवाई करने हेतु कोर्ट को ही आगे आना पड़ेगा इस अफसरों और सत्ताधारी लोगों के विरुद्ध आयोग अलग से गठन करना चाहिए और सजा देने के अधिकार देना चाहिए इससे आमजन को सीधा त्वरित न्याय मिलेगा और कॉपी बना रहेगा और वह ईमानदारी से कार्य करेंगे तभी भ्रष्टाचार का अंत की पहल की शुरुआत होगी ।


गुरूजीसत्यवादी श्रीरामधुन

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