विश्व मे राजनीति की दिशा और दशा
कुछ देशों की मिलीभगत से विश्व में खतरा के बादल मंडराते जा रहे हैं अभी हाल में तालिबानियों का कब्जा अफगानिस्तान पर हुआ है। इसका ज्वलंत उदाहरण माना जा सकता है ।तालिबान आतंकवाद का दूसरा नाम है ।ऐसे में पाकिस्तान का उसको सहयोग देना भी किसी षड्यंत्र को जन्म देता नजर आ रहा है ।इन सब गतिविधियों में चीन की भी अहम भूमिका को जन्म देना भी किसी खतरे की ओर इशारा करती है। इससे मुस्लिम देशों की भी भागीदारी, ज्यादा प्रबल करती है।
अमरीका, ब्रिटेन ,ऑस्ट्रेलिया के बीच एक रक्षा समझौता ने भी बहुराष्ट्रीय कूटनीतिक संकट खड़ा कर दिया है ।इस समझौते का नाम "आँक्स' अर्थात ऑस्ट्रेलिया,यू के यू एस ।इसके समझौता के अनुसार ऑस्ट्रेलिया को परमाणु पनडुब्बी बनाने की तकनीकी मुहैया कराई जाऐगी ।इस समझौते का एक ओर पहलू - हिन्द प्रशांत क्षेत्र में चीन की बढ़ती ताकत से अमेरिका खासा चिंतित है ।चीन के खिलाफ एक और हथियार बनाया जा रहा है ।चीन छोटी सोच रखने वाला देश है ।
चीन की बौखलाहट तो समझी जा सकती है "आँक्स" समझौते पर फ्रांस के सख्त रवैया भी देखने को मिल रहा है । फ्रांस ने अमेरिका तथा आस्ट्रेलिया से अपने राजदूत भी बुला लिया है क्योंकि इस समझौते से उसे आर्थिक नुकसान होता नजर आ रहा है ।फ्रांस ने बड़े देशों के रिश्तो में दरार पड़ जाने से अमेरिका में एक बैठक भी होने वाली है ।यह संगठन भी हिंद प्रशांत क्षेत्रों में शांति चौक का काम करने के लिए बनाया गया है इसमें अमेरिका ऑस्ट्रेलिया भारत और जापान शामिल है। आस्टूलिया पहले ही कह चुका है कि वह फ्रांस के साथ अपने रिस्तों को महत्व देता है ।लेकिनफ्रांस इस दोस्ती को महत्व ही नहीं दे रहा है और अपनी जिद पर अड़ा हुआ है। भारत और फ्रांस पुराने सहयोगी हैं तो अमेरिका आस्ट्रेलिया ब्रिटेन से भी अच्छे संबंध है ।भारत इस में मध्यस्था कर सकता है और बढ़ते हुए तनाव को कम कर सकता है और यही तनाव की स्थिति बनी रही तो चीन मौके का फायदा उठा सकता है जो भारत के लिए घातक सिद्ध हो सकता है । अतः भारत अपनी कूटनीति से इस समस्या को हल करने कर सकता है और करना भी चाहिए।
गुरूजीसत्यवादी श्रीरामधुन
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