मौत के सामने मौत

  बहुत समय पहले की यह सत्य घटना है। आदिवासी बाहुल इलाके में धटित धटना है । ग्राम जुन्नारदेव जिला छिंदवाड़ा  एक गाँव, जहाँ पर आदिवासी समुदाय के लोग रहते है। यहां पर उस समय शिक्षा और आवागमन  का अभाव था। इस गांव में एक आदिवासी परिवार रामू और उसकी पत्नी शांति रहते थे उनके दो लड़के और एक लड़की थी लड़की का नाम शगुन था जिसकी शादी पास ही के गांव में हुई थी ।

     कुछ दिनों बाद बड़े बेटे और छोटे बेटे टीवी शादी हो गई दोनों बहुओं के साथ घर पर रहने लगे दोनों बहुओं की आपस में नहीं बनती थी आता अलग अलग रहने लगे खेत और  मकान का हिस्सा बंटवारा हो गया। दोनों भाई का धरमू और करमू था।

     समय कभी रुकता नहीं है। दुख सुख आते जाते रहते हैं । एक दिन धरमू  खेत गया हुआ था खेत में काम करते समय किसी जहरीले जंतु ने उसके पैर में काट दिया ।दूसरे दिन उसका जहर पूरे शरीर में फैल गया । पूरे शरीर में सूजन आ गई  सूजन भी इस तरह से आई  कि उसका शरीर डरावना और विभत्स हो गया कि मोहल्ले पड़ोस वाले लोग उसको देखकर डरने लगे । बीमारी का बहुत इलाज करवाया गया किंतु  बिल्कुल भी ठीक नहीं हुआ और एक जिंदा चलती फिरती रलाश के समान हो गाया घरवाले और मोहल्ले वालों ने परेशान होकर उसे खेत वाले मकान में रख दिया।  पीने के लिए एक घड़े मे  पानी थथा लोटा गिलास खाने-पीने का समान आदि रखकर सुबह-शाम खाना पहुंचा दिया करते थे । अब धरमू खेत  रहकर  अपनी जिंदगी के बकाया दिन बमुश्किल काट रहा था ।

    एक दिन करमू अपने ससुराल किसी आयोजन में गया था । वहां उसने ना जाने क्या खाया तो उसकी तबीयत खराब हो गई उसने भी बहुत इलाज करवाया किंतु ठीक नहीं हुआ  ।

 उस समय डॉक्टर तथा एक्सपर्ट डॉक्टरों की कमी थी जो उसके इलाज का पता ठीक से लगा सके । उस समय वैध हकीम जाने-माने हुआ करते थे ।ये वैध लोग नाड़ी देखकर इलाज किया करते थे । करमू को पता चला कि उसके गांव  से दूर 15 -20 किलोमीटर की दूरी में एक बीहड़  जंगल के पास एक जाने-माने वेदराज रहते हैं वे सभी प्रकार का इलाज करते हैं ।

     गांव के जानकार लोगों की सलाह मानकर करमू ने एक दिन उस गांव में जाकर इलाज करवाने हेतु तैयार हुआ  । दूसरे दिन सुबह उठकर करमू  उस गांव की के लिए रवाना हुआ।

     गांव दूर और दुर्गम रास्ते को देखते हुए, घोड़े पर बैठकर निकल पड़ा और उस स्थान पर पहुंचा ,वैद्य से मिला ,वैद्य ने उसकी नारी देखकर रोग का पता लगा लिया कि आखिर उसको क्या बिमारी है ?  बीमारी का राज क्या है ,अतः उसने कहा कि यह तीन पुड़िया लेकर  3 दिनों तक का डोज देकर परेहेज बतलाया कि वह पानी से बचकर रहें । चूंकि पानी से उसे खतरा है ऐसा  बतलाया । 

     करमू  वहाँ से वापिस आकर वैध के बताऐ हुए  परहेज़ का पालन करने लगा । अब सप्ताह-माह मे एका्द्  बार नाहता था । बरसात के दिनो मे घर से बाहर निकलता ही नही था । कही पर भी जाता था तो वहां रास्ते मे नदी-नालो को पार नही करता और लोट जाता था ।

     लोगो के लिए जल ही जीवन हैं किंतु करमू के लिऐ जल अभिशाप बन गया था ।

                                  -------/---

     उधर उसका बड़ा भाई धर्रमू अपने जीवनकाल  खेत में अकेला रह कर अपना समय व्यतीत कर रहा था ,अपने बेजार जीवन से तंग आ गया था अचानक उसके जीवन में एक अनहोनी घटना घटीः।

    " बरसात के दिन मे अचानक एक जहरीला सर्प फन उठाएं उसके बिस्तर के पास आकर बैठा गया  सर्फ को देख कर धर्रमू घबराया नहीं बल्कि हाथ में कुल्हाड़ी लेकर नागराज के सामने बैठ गया और बोला है "नागराज आज आप मुझे काटकर ,डसकर कर मेरे जीवन को समाप्त कर दें वरना मैं आपका जीवन समाप्त कर दूंगा"। नागराज ने उसकी यह विनती सुनी और घबरा गए उसके सामने भी मौत खड़ी थी नागराज की स्थिति सांप के मुंह में छछूंदर जैसी हो गई , दोनों तरफ खतरा था । काटता है तो जहर से मर जाएगा और काटता नहीं है तो कुल्हाड़ी से मरना दे नागराज को अपनी जान के लाले पढ़ते देख वहां से निकल जाने में ही भलाई समझी अत: वह वहां से धीरे-धीरे हटने लगा धर्मू ने गुस्से से उसके ऊपर हमला कर दिया और मार डाला ।उसे भूख भी लग रही थी । उसने सांप को पास पड़ी हड़िया घड़ा में  पका कर ,आग लगाकर उबाला और नमक मिर्च डालकर खाया और सो गया ।

    उस दिन वह बड़ी आराम की नींद सोया जैसे कि बहुत दिनों तक नींद नहीं आई हो और सच भी यही था ।सुबह उठकर अपने आपको तरह तरोताजा महसूस किया उसके शरीर की सूजन उतर गई वह पहले की तरह ठीक-ठाक हो गया था । 

     दूसरे दिन सुबह-सुबह धर्रमू अपने घर पहुंचा तो सभी लोग अचंभित हो गए और खुश हुए । कहते हैं ना खुशी और गम सुख और दुख जीवन में कभी भी एक साथ नहीं आते।

     जब  यह खुशखबरी करमू  के घर तक पहुंची करमू उस समय खाना खा रहा था ।खाना खाने के बाद पानी पीया और पानी साँस  नलि मे चला की मौत हो गई पानी पीते पीते कैसे कैसे मर गया लोग समझ नहीं पाए जब सच सामने आया तो पता चला कि कर्मों में पास गांव में घोड़े का मांस आया था तभी ऐसे ने उसे पानी से बचने के लिए कहा था वह पानी से बदतर किंतु होनी को कौन टाल सकता है आखिर पानी पीने से ही उसकी मौत  हो गई ।    दोनों भाइयों के घर अगल बगल में थे। एक जगह खुशी आई तो दूसरी तरफ गम आया और प्रकृति का भी यही नियम है । 

गुरूजीसत्यवादी श्रीरामधुन

Comments

Popular posts from this blog

दिलिप बिल्डकाँन के कर्मचारी अर्पित कुंवर का निधन !

28 जून 2024-श्रृध्दाजली दिवस !

आज के इतिहास मे 16 जून 2024 का विशेष महत्व !