सत्संग से मिली प्रेरणा

भोपाल म०प्र०की राजधानी के टीलाजमालपुरा क्षेत्र में एक पंडित रहते थे। वे सदैव खुश रहते थे और  लोगो को खुश रखते थे। सभी से प्रेम का व्यवहार रखते थे । लोगो को उचित सलाह देते थे । कौन उन्हे गुस्सा भी बहुत आता था । गुस्सा इस बात का आता था कि जब कोई व्यक्ति जानबूझकर छल कपट धोखा और झूठ की राह अपनाता  था ।ऐसे व्यक्ति को बार-बार उचित सलाह कब  तक दी जाए ,तभी उन्हें गुस्सा आता था । फिर भी लोग के पास आते थे सत्संग में हिस्सा लेते थे ।दिनों दिन संत की ख्याति अत्यधिक फैल गई । संत सदैव दूसरों की भलाई मैं अपनी भलाई ढूंथढते थे । लोकप्रिय होने के कारण उनके अनेक दुश्मन भी बन गए थे ।                                                                  एक दिन दुश्मनों ने उन्हें रास्ते से हटाने के लिए योजना बनाई योजना बनाने वाले लोग सभी संत के पास आया करते थे और उनके पास सत्संग भी किया करते थे । सत्संग करने के बाद भी नफरत करते थे । नफरत का मुख्य कारण संत का सच बोलना और उस  सच को सबके सामने उजागर करना । इस वजह से षड्यंत्रकारियो ने उन्हें मारने की योजना बनाई और उसे अंजाम देने हेतु एक व्यक्ति को कार्य सौंपा ।वह  व्यक्ति संत के पास सत्संग हेतु रोजाना आने लगा मौका ढूंढते रहा है ,रैकी करते रहा ,संत की दिनचर्या की गतिविधियों पर ध्यान रखता रखने लगा । संत की सब पता था किंतु के कुछ नही बोलते  थे एक दिन मौका पाकर वह व्यक्ति गलत इरादा लेकर संत के पास संत के घर उन्हें मारने के लिए पहुंचा । रात्रि में सब सो रहे थे ।गहन अंधेरा था । सड़क की बिजली भी जल भी नहीं रही थी  ।इस मध्यम रोशनी में का लाभ उठाते हुए वह व्यक्ति संत के घर पहुंचा ।संत साधना कर रहे थे । घर में मध्यम रोशनी फैली हुई थी । घर का दरवाजा हमेशा की तरह खुला हुआ था ।व्यक्ति आया उसे भी भरपूर मौका मिला था । उसने अपनी जेब में से औजार निकाला । उस समय संत का ध्यान भंग हुआ तो उन्होंने देखा कि कोई व्यक्ति एक यमराज की तरह मारने के लिए खड़ा है पहले तो वह घबराए किंतु थोड़ी देर में सभल गए और हाथ जोड़ता प्रभु से प्रार्थना करने लगे कि हे भगवान इस व्यक्ति को माफ करना और इसे सद्बुद्धि प्रदान करना इस अपराध के लिए उसे क्षमा करना ।यह सुनकर हत्या करने वाले व्यक्ति का मन आत्मग्लानि हाथ से भर गया उसे बड़ा पश्चाताप हुआ और उसने संत से क्षमा मां गी   संत ने उसे उसके हृदय परिवर्तन की स्थिति को देखते हुए उसे क्षमा कर दिया ।और उसे एक सपना समझा कर समझ कर भूल गए ।           

ऐसी घटनाएं रोजाना किसी न किसी के साथ घटते रहती है उसे अनदेखा करने में ही हमारी भलाई है सत्संग दुनिया की सबसे बड़ी ताकत है जो इंसान को कहीं से कहीं पहुंचा देती है

गुरूजीसत्यवादी श्रीरामधुन

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