दुख मे धैर्य रखे...........

 जब सभी कार्य अस्त व्यस्त हो जाऐ,मन  मे नानाप्रकार के सवाल उत्पन्न हो रहे हो ,कुछ ना करने को मन कहे,एक अजीब सा डर,सन्नाटा हो, चारो  तरफ से रास्ता बंद हो गया हो ,पढ़ने लिखने मे मन ना लगे,अजीबोगरीब वातावरण हो, अब क्या होगा, कैसे होगा ?  सोचना बंद कर दिया जाऐ,शांत मन से सभी बातो पर एक एक करके विचार विमर्श करे  । जितनी बड़ी बड़ी समस्या थी धीरे धीरे  उसके हल निकलना शुरू होने लगे है ,दुख के बादल धीरे धीरे छंटने लगे है।

यह चमत्कार कैसे हुआ, किसने किया, क्यू,किंतु परांतु को छोड़िए सब अच्छा हुआ ना इसी का नाम धैर्य है । और यही धैर्य सबके पास होता है सिर्फ उसे जगाने की आवश्यकता होती है ।

आज जितने भी महापुरुष हुए है धैर्यपूर्वक अपने कार्यों को अंजाम दिया है और अपनेमकसद मे कामयाब हुऐ है ।

तपोनिष्ठ आचार्य श्रीराम शर्मा जी मेरे गुरू रहे है ,उनकी बाते मुझे याद है । उनके बताए हुऐ रास्ते मे चला और मेरी हर मनोकामना पूरी हुई ।सबसे बड़ी बात यह है कि आज मैने सभी इंद्रियों को वश करके लोभ,लालच,मोह,माया,ममता  त्याग दिया है ।उनका लिखा हुआ पत्र मेरे पास अभी भी सुरक्षित रखा हुआ है जिसमे निम्न बाते लिखी हुई है:-

  ""अपने चारों तरफ देखो

    एक एक तिनका इक्काठा करो

    और इनको लेकर आगे बढ़ो 

    सफलता आपके इंतेजार मे है""


गुरूजीसत्यवादी श्रीरामधुन

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