प्रेम भाव का भूखा हूं ....
मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल के क्षेत्र में कई करोड़पति है जो ,कभी किसी की गुलामी करते थे ,नौकरी बजाते थे वे सब आज करोड़पति बन गए हैं । समय का पहिया चला और फिर से वह अपनी पुरानी स्थिति में धीरे-धीरे पहुंचने लगे हैं। एक करोड़पति बहुत मुसीबत में था। करोड़ों रुपए का घाटा लगा और जीवन की मेहनत डूबने के करीब थी । मंदिर पर मंदिर बनवाया किंतु सही ढंग से पूजा-पठ नहीं की । पूजा के लिए पंडितों को नौकरी पर रखा साथ ही साथ अन्य कार्यो हेतु अनेको नोकर चाकर रखा,किंतु समय पर कोई भी काम नही आया । अपनी तथा अपने परिवार वार के लिऐ सभी प्रकार की सुविधाऐ दी ।
भाई बहनों की स्थिति भी दिनो-दिन खराब होने लगी । घर में सभी बच्चों का प्रतिरोध शुरू हो गया । कुल मिलाकर चारों तरफ से परेशानियों में गिरा हुआ था । दुख की घड़ी में वह भी मंदिर गया। सुबह जल्दी उठकर नहा धोकर मंदिर पहुंचा ताकि वह पहली प्रार्थना लगा सके । लेकिन हैरानी यह हुई कि उससे भी पहले एक फकीर मंदिर में मौजूद था । अंधेरा था । वह फकीर के पीछे खड़ा हो गया और सोचने लगा कि आखिर वह क्या मांग रहा है ।मेरे पास तो मुसीबत है । भिखारी के पास क्या मुसीबत हो सकती है । ठीक इसके विपरीत दिशा में वह फकीर सोचता है कि मेरे पास तो मुसीबत है । धनी आदमी के पास क्या मुसीबत होगी । करोड़पति ने सुना - फकीर कह रहा था " हे परमात्मा अगर आज मुझे पाँच रू० ना मिले तो मेरा जीवन नष्ट हो जाएगा । मैं आत्महत्या कर लूंगा । पत्नी बहुत बीमार है । " भिखारी यही प्रार्थना बार-बार कर रहा धा । ऐसी प्रार्थ ना को करते देख करोड़पति ने उसे ₹5 दे दिए और कहा यह लो ₹5 और यहां से जल्दी जाओ । वह करोड़पति परमात्मा से प्रार्थना करने लगा कि "हे प्रभु मुझे पांच करोड रुपए की जरूरत है । भगवान ने मुस्कुराते हुए कहा " एक छोटे भिखारी को तो तुमने ₹5 देकर मुझ से छुटकारा दिला दिया , लेकिन तुझ से छुटकारा पाने के लिए तो मुझको तुमसे भी बड़ा भिकारी ढूंढना पड़ेगा । तुम सब लोग यहां कुछ ना कुछ मांगने आते हो कभी मेरी जरूरत का भी ख्याल आया ? करोड़पति आश्चर्यचकित था उसने बोला - " प्रभु आपको क्या चाहिए" ? भगवान बोले - " मैं प्रेम भाव का भूखा हूं !" कभी इस भाव से मुझ तक आओ
तुम्हें कभी भी मांगने की जरूरत नहीं पड़ेगी । इस कहानी मे क ई महत्वपूर्ण बाते है जैसे पंडितों को कभी नोकर का काम नही देना चाहिए क्योंकि उन्हें हिंदु लोगो के आदरणीय होते है । भारतभूमि का सम्मान करना चाहिए, उस पर जबरन कब्जा कर अपने आदिपत्य मे लेकर मकान,दूकान और देवालयों का निर्माण नही करवाना चाहिए । इस बदलते युग मे पहलेपहल तो बड़ा अच्छा लगता है बाद हिसाब देने के लिए कोई भी नही बच पाता है। इस बात की पुष्टि हमारा इतिहास करता है ।
गुरुजीसत्यवादी श्रीरामधुन
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