हजरत मूसा

    एक बार की बात है - एक पर्वत की चोटी पर बैठा हुआ गडरिया ईश्वर से प्रार्थना कर रहा था ।" हे मेरे मालिक, अच्छे मालिक, तू मेरे पास आ ,यदि तू मेरे पास आएगा तो मैं तेरा गुलाम बनकर तेरी दिन-रात सेवा करूंगा । मैं तेरी दाढ़ी मे कंगी करूंगा ,तेरे बालों में से जुएं निकालकर तेल लगाउगा । सारे शरीर की मालिश करूंगा, तेरे लिए नरम नरम बिछौना बिछाकर लोरी सुनाउंगा, तू बीमार पड़ेगा तो मैं तेरी सेवा करूंगा । इस प्रार्थना के बीच  में उसी रास्ते से हजरत मूसा निकल कर जा रहे थे ।  उन्होंने गडरिया की प्रार्थना सुनी , और गजरिया से बोले - "अरे मूर्ख क्या बोल रहा है, खुदा के कहीं बाल होते हैं वह कभी बीमार होते है ,वे  तो सर्शक्तिमान है जो कभी बीमार नहीं पड़ते और तू ना ही उन्हें तेरी तेरे जैसे गुलाम नौकर की आवश्यकता है । 
जब  हजरत  मूसा प्रार्थना करने लगे तब एक आकाशवाणी हुई -" मूसा तुम्हें पता होना चाहिए कि सच्चे भाव से की गई प्रार्थना ही ईश्वर प्राप्ति का मार्ग है । उस गडरिया का भाव सच्च  भाव था ,तुमने उसे मना करके आज अपराध किया है ।असल  में गडरिया लोक जनमानस है और मूसा शास्त्र   (मुनि मानस) है । 
ठीक इसी प्रकार से ईश्वरचंद के बचपन में एक ऐसी घटना हुई  जिसके कारण उनकी पूरी जिंदगी ही बदल गई। एक दिन उनके घर एक भिखारी आया उसका हाथ फैलाना देख, उनके मन में दया के भाव उत्पन्न  । विद्यासागर तुरंत घर के भीतर गए और अपनी मां से कहा - भिकारी को कुछ दे दो । मां के पास उस समय कुछ नहीं था ,उनके हाथ में सोने के कंगन थे ।  मां ने अपने कंगन उतारकर ईश्वर चंद्र को दे दिया और कहा - "बेटा जब तुम बड़े हो जाओगे , कमाने लगोगे ,तब मुझे दूसरे कंगन बनवा कर दे देना । अभी तो  तुम इसे  बेचकर जरूरतमंद लोगों की सहायता कर दो ।  बड़े होने पर उन्होंने अपनी मां के कंगन तो बनवा दिऐ और साथ ही मजबूर लोगो की सहायता भी करते रहे ।और इसी को अपने जीवन का सबसे बड़ा मकसद बना लिया । कोई भी पुरुष एक दिन में महान नहीं बनता है , बरसों की साधना और बचपन की छोटी-छोटी शिक्षा ही उनके व्यक्तित्व को महान पुरुष बनाती है।
  उक्त दोनो घटनाओं से हमे शिक्षा मिलती है कि महान बनने के लिए छोटी छोटी बातो पर ध्यान देना चाहिए ,वे छोटी छोटी बाते ही उन्हे महान बनाती है ।
    आज "सेलिब्रेशन आँफ लाइफ डे" है । 
गुरुजीसत्यवादी श्रीरामधुन 

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