महिला दिवस पर "सम्पादकीय लेख"

   गुरुजीसत्यवादी श्रीरामधुन
संस्थापक, संपादक, काउंसलर, अध्यक्ष की संपादकीय लेख -
आज महिला दिवस पर गुरुजीसत्यवादी श्रीरामधुन , संस्थापक,सम्पादक, अध्यक्ष, काउंसलर , लेखक की सम्पादकीय:-
   आज दैनिक पत्रीका के स्तभ "महिला सशक्तिकरण जैसा कोई शब्द बचा ही नही" की "सोच यह" पर इत्तेफाक रखते हुऐ कथन है कि - आज की नारी इतनी सबल हो चुकी है कि उसे निर्बल कही से भी नही कहा जा सकता है ।सरकारी बढ़ावा देने के ऐसा हो रहा है । उनके पक्ष मे अब नये नियम व अधिकार घोषणा करना बंद कर देना चाहिए चूंकि उनका गलत इस्तेमाल भी होने लगा । यह मै नही कह रहा हूँ ,ऐसा आऐ दिनो प्रकाशित समाचार व घटित घटनाएं कह रही है ।
"समान अवसरों की ओर आगे बढ़ रहा है हमारा देश । पुरुषों की तरह महिलाओं को भी मेहनत कर आगे बढ़ना चाहिए तभी उनकी योग्यता तथा काबिलियत होगी ।" हमारे देश में ऐसे अनेको नियम है जो आमजनो पर जबरन थोपे जा रहे उनमे संशोधन किया जाना चाहिए । ऐसे मे सरकारी नौकरी मे भी पक्षपात रवैया को समाप्त किया जाना चाहिए । एक सरकारी नौकर अपनी योग्यताओं के अनुसार उस विभाग मे देश के प्रति सच्ची लगन और मेहनत ईमानदारी के साथ नौकरी करता है, चाहे वह विभाग शिक्षा,स्वास्थ्य, सेना, आदि आदि कोई भी हो सभी को सम्मान, एक सा सम्मान होना चाहिए । चाहे वह आदमी हो या औरत हो सभी को समान अवसर मिलना चाहिए । अब 
महिलाओं के लिऐ सरकार ने सभी रास्ते खोल दिए है । अत:महिला सशक्तिकरण जैसा कोई शब्द बचा ही नही है । हर जिम्मेदारी को बखूबी सम्भाल सकती है, आज की नारी  यह वही नारी है ,जो युगोयुंगातर से चली आ रही है ,और चलते रहेगी ।महिला सशक्तिकरण का सही मायना महिलाएं तो समझ रही है तथा इसका भी लाभ उठा रही हैं । किंतु सरकार और पुरुष ही नही समझ पा रहे है ।
21 वी शदी मे आप जी रहे है तो अपनी सोच का भी दायरा बढ़ाना होगा । 
गुरुजीसत्यवादी श्रीरामधुन ।


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