बड़बोली-बीबी
किसी जमाने में एक किसान और उसकी बीवी रहते थे। बीवी को गप्पे मारने का बहुत शौक था ।कोई भी बात उसके पेट में नहीं पचती थी ।जो कोई बात सुनती उसका ढिंढोरा पीट पीटकर जब तक तो हो बतला ना दे उसका खाना नहीं पचता था ।
एक दिन किसान जंगल गया उसने लकडिय़ों को बांध के लिए गड्ढा खोदा तो उस में गड़ा हुआ खजाना पाया । किसान ने अपने आप से कहा अब मैं क्या करूं ? जैसे ही मेरी बीवी को इस खजाने का पता चलेगा वैसे ही, वह सब जगह खबर फैला देगी और जागीरदार को भी पता चल जाएगा ।
किसान ने बहुत सोचा बहुत कुछ विचार किया आखिरकार उसके दिमाग में एक तरकीब आई ,उसने सजाने को वही दबाकर ,निशान लगाया और घर चला गया । समुद्र तट पर एक एक तड़पती मछली देखें और उसे निकाल आगे चल दिया ।शीघ्र ही अपने बनाए जाल के पास पहुंचा और वहां एक खरगोश को फंसा पाया ।
किसान ने खरगोश को हजाल से निकालकर उसकी जगह मछली को ,खरगोश के जाल में रख दिया ।अंधेरा हो जाने के बाद घर पहुंचा ! अच्छा यात्रा जलाकर चलती चलती बहुत शुक्रिया बना दो
इसलिए क्या रात में चूल्हा जलाने की बात सुनी है आखिर किस वजह से झंझट करवाना चाहते हो
ऐसा करो और वही करो जो मैंने करने के को कहा है सुनो तक के आना सुनो मैंने एक दबा हुआ खजाना पाया है और आज रात में अवैध घर लेकर आना है
उसकी बीवी बेहद खुशी हुई उसने तुरंत सब काम कर दिया
स्वामी इसे गरम-गरम खा लो उसने कहा
खेतान ने एक पूरी खाई और बीवी की आंख बचाकर दो-तीन पुरिया थैले में डाल दी और ऐसे क्रम में तभी उड़िया इकट्ठे करते गया
आज तो तुम बहुत पुरिया हड़प पर जा रहे हो मैं तो इतनी जल्दी बना भी नहीं सकती उसकी बीवी ने कहा
हमें बहुत दूर जाना है और खजाना भी बेहद भारी है इसलिए मुझे पेट भर खा लेना चाहिए
किसान ने बेहतर खेला था सार्थक भर दिया और बोला
अच्छा मैंने पेट तो पेट भर खाना खा लिया है अब तुम खा लो तो चले हमें चलती कर रहा है
बीपी ने जल्दी-जल्दी खाना खाया और चल पड़े
अंधेरा हो गया था कि साथ आ गया है चल रहा था और कुड़ियों को पेड़ों की टहनियों पर लटकाना शुरू कर दी
कुछ देर बाद बीवी में पुरिया देखी
अरे देखो वृक्षों पर पुरिया लगी हैं और टंगी है
तो इसमें हैरानी की क्या बात है क्या तुमने अभी अभी पूरी यू की बरसात नहीं देखी
नहीं मैंने मेरी आंखे नीचे डगर की ओर थी कहीं ठोकर ना लग जाए इसलिए देख नहीं पाई ।मैंने खरगोश के लिए फंदा लगाया था उसे भी देखते हैं ।
"फंदे के पास गए ,उसमें से मछली निकली"
प्यारे पति -" इस फंदे में मछली कैसे पकड़ी है" उसकी बीवी ने उससे पूछा!
क्या तुम जानती हो -"जमीन पर चलने वाली मछलियां भी होती है !"
"मैं इस बात पर विश्वास नहीं करती ,जब तक मैं उसे देख ना लूं !"
"वे तट पर आए"
तुमने नदी में तो जाल भी बिछाया है ना ,उसकी बीवी ने कहा - लगे हाथों से भी देख लो !"
उन्होंने जाल को खींचकर बाहर निकाला तो उसमें से एक खरगोस दिखा !
"हे भगवान ,उसकी बीवी जोर से चिल्लाई ,"मछली पकड़ने के जाल में खरगोश !
यह कैसा अजीब दिन है मछली पकड़ने के जाल में खरगोश !
तुम इस तरह हैरान क्यों हो रही हो - क्या तुमने पानी में खरगोश नहीं देखे सचमुच में मैंने पहले कभी नहीं देखी !
ऐसी बातें करते करते थे वहां पहुंच गए जहां पर धन दबाया था उसे खोज कर जितना ले जा सकते हो उठा कर ले गए ।
सड़क जमीदार के घर के सामने से होकर जाती थी । जब उसके समीप आए तो उन्होंने भेड़ों की को मेमीयाने की आवाज सुनी ।
हाय यह क्या है मेरी तो डर के मारे जान निकली जा रही है । और अब तो सुनकर कर बोली -
"जल्दी से भाग चल यह शैतान जो हमारे जमीदार का गला घोट रहा है ! यह शुक्र मनाओ कि वह हमें देख ना पाए ।
"वे जान छोड़ कर घर की ओर भाग गए!'
किसानों को ना छुपा दिया और घर जाकर बिस्तर में जा लेटे !
देखना तुम इस सोने के बारे में किसी को भी मत बताना ,वरना समझ देना मुसीबत आ जाएगी !
अगले सुबह को वे लोग देर से सोकर उठे !औरत ने चूल्हा जलाया ,बाल्टी घड़ा उठाया और कुएं पर पानी भरने चली गई !!
कुए पर पड़ोसन ने पूछा !
आज तुमने अपना चूल्हा देरी से जलाया !
हां बड़ी देर से जलाया है ,बात यह है कि मैं रात भर घूमते रही थी इसलिए जल्दी उठ नहीं रखी
"तुम रात भर क्या करती रही "
"मेरे पति को दबा हुआ खजाना मिल गया था " "पिछली रात हम उसे लेने गए थे !"
उस दिन पूरे गांव में यही यही चर्चा चलते रही
शाम होते-होते यह खबर जागीरदार के पास पहुंच गई उसने किसान को बुला भेजा ।
"तुम्हें ,मुझसे खजाना छुपाने की हिम्मत कैसे हुई ? "
"खजाना ,मैंने तो कोई खजाना देखा न सुना" किसान बोला !
सच-सच बताओ जागीरदार चिल्लाया मैं सब कुछ जानना चाहता हूं खुद तुम्हारी बीवी ने की सबको बतलाया है !
"ओ ,मैं समझा हुजूर किंतु सरदार उसका तो दिमाग ठीक नहीं है । वह तो आपको ऐसी ऐसी बातें बता सकती है जिसको कभी आपने कल्पना भी ना करी हो ।
"हम स्वयं इसकी जांच पड़ताल करेंगे" "जागीरदार ने किसान की औरत को बुला भेजा
क्या तुम्हारे पति को खजाना मिला है ?
"जी ,हुजूर मिला है !
"तुम दोनों खजाना लेने जंगल गए थे " !
"जी ,हां गए थे !"
मुझे इसके बारे में विस्तार से बतलाओ !
पहले हम जंगल गए वहां पर पेड़ों में पूरिया लटकी हुई थी !
पुरिया जंगल में पुरिया !
"हां ,जंगल मे पूरीयो की बरसात भी हुई थी, जब हमने हर रोज के जाल को देखा उसमें एक मछली दिखाई दी हमने मछली निकाल ली और आगे चल दिए !
उसके बाद हम नदी तट पर पहुंचे जो ही हमने नदी में से जाल बाहर निकाला तो उसमें एक खरगोश फसा हुआ पाया । हमने खरगोश को जालने में से बाहर निकाल दिया ।
नदी के किनारे मेरे पति ने खजाने को खोज कर निकाला ।हमने सोने का एक थैला भरा और लौट पड़े । जिस समय शैतान आपका गला दबा रहा था उस समय हम आपके घर के पास से गुजर रहे थे ,ऐसा किसान की बीवी में कहा !
इस पर जागीरदार अपने गुस्से पर काबू नहीं रख पाया जोर से जमीन पर पांव पटका और चिल्ला कर कहा -
"जा री मूर्ख औरत यहां से निकल जा "
"हां ,तो उसके पति ने कहा - "अब आप ने देख लिया कि यह पागलों की बातें करती है , इसने मुझे जिंदगी भर किसी ना किसी मुसीबत में फंसाए रखा है !"
अब मुझे यकीन हो गया है ! तू जा जागीरदार ने निराशा से हाथ झटक ते हुए कहा !
किसान घर चला गया वह आज भी मजे की जिंदगी बिता रहा है ।
गुरुजीसत्यवादी श्रीरामधुन
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