आज " विश्व सामाजिक न्याय दिवस"
आज 20 फरवरी को विश्व सामाजिक न्याय दिवस के रुप सम्पूर्ण विश्व के अलावा भारत मे भारत के सभी प्रांतों मे अलग अलग रूप मे मनाया जाता है।
आज के दिन मनाने का सिलसिला वर्ष 2009 से चल रहा है ।इसे संयुक्त राष्ट्र ने शुरू किया था ।आज भारत मे फैले भ्रष्टाचार और आमजनो मे व्याप्त मतभेदो के कारण हालत बहुत ही खराब होते जा रही है ।
दुनिया में लोगों के बीच कई तरह के भेदभाव पैदा हो रहे हैं जो कि लोगों के बीच एक दूरी का कारण बन गया है इन भेदभाव के कारण कई लोगों को कई तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ता है वहीं दुनिया में इस तरह की बुराइयों को खत्म करने के लिए हड़ताल विश्व सामाजिक न्याय दिवस मनाया जाता है इस दिवस को कई उद्देश्यों को प्राप्त करने के मकसद से बनाया गया है इस दिवस के दिन कई तरह के कार्यक्रमों का आयोजन करके लोगों को जागरूक किया जाता है यह दिवस मुख्य तौर से नस्ल अवर्गलीन धर्म संस्कृति भेदभाव बेरोजगारी से जुड़ी कई समस्याओं को हल करने के उद्देश्य से हर साल मनाया जाता है।
भारत सरकार ओर राज्य सरकारों ने सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय विभागों का गठन कर मानव की रक्षा हेतु अनको उपाय किऐ किंतु आज तक असफलता ही हाथ लगी है
सामाजिक न्याय दिलाने हेतु मानव अधिकार आयोग के गठन के अन्य आयोग का भी गठन कर वर्ष 2005 से लागू किया है ।फिर भी जनहित मे कोई भी ईमानदारी से कार्य नही हुआ जिसके कारण आज सरकारी से निजीकरण को महत्व दिया जाने लगा है । अत: अब वह दिन दूर नही है कि"जब सरकार सभी आयोगों को अचानक बंद कर उनके कार्यो को निजीकरण क्षेत्र मे नीलामी कर दे ।"
सरकार मे व्याप्त भ्रष्टाचार के कारण ठोस कदम उठाने हेतु पहल कर चुकी है फिर भी भ्रष्ट नेता और कर्मचारी मे सुधार नही आ रहा है ।
आज म०प्र०की राजधानी भोपाल के सामाजिक न्याय व निशक्त जन कल्याण विभाग मे अनियमितताओ के कारण एक ईमानदारी से कार्य वाली टूस्ट "माँ आदिशक्ति दर० धार्मिक एवं परमार्थ टूस्ट" भोपाल को परेशान किया जा रहा है । टूस्ट की मान्यता और अनुदान का प्रकरण सरकार के पास 2-3 से विचाराधीन है ।
टूस्ट के अनेको प्रकरण अन्य विभागों-
जिला कलैक्टर भोपाल, नगर पालिक निगम प्रशासन, बी डी ए भोपाल, राजस्व विभाग, संस्कृति विभाग, पुलिस प्रशासन विभाग,धार्मिक एवं धर्मस्व विभाग, सामाजिक न्याय विभाग स्वास्थ्य विभाग भोपाल जनसंपर्क संचालनालय भोपाल मे विचाराधीन है ।
गुरुजीसत्यवादी श्रीरामधुन ।
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