मुसीबत."लड़की और हंस.
कहावतों, मुहावरों, लोककथाओं पर आधारित कहानियों का ......... बहुत समय पहले की बात है। एक गांव मे एक किसान अपनी बीबी और दो बच्चों के साथ रहते थेः
"बेटी"माँ ने लड़की से कहा,"हम लोग काम पर जा रहे हैं, छोटे भाई का ध्यान रखना।"देखभाल ठीक से करना, आकर हम तुम्हें ईनाम देगें।
माँ-बाप दोनो काम पर चले गए, लेकिन लड़की भूल गई कि माँ ने जाते समय क्या कहा था।उसने नन्हे भाई को खिड़की पर बैठा दिया और स्वयं अपनी सहेलीयो के साथ खेलने चली गई।
अचानक एक हंसो का ..झुंड उडंता हुआ आया। हंसो ने जमीन पर झपट्टा मारा और नन्हें बालक को उठाकर आसमान मे उड़ गया ।
लड़की घर लौटी,उसे नन्हा बालक नही मिला, उसने सभी जगह ढूंढा, जोर जोर से आवाज भी लगाई बालक कही नही मिला ।
तब वह बाहर आई मैदान पर इधर-उधर देखा कही पर भी उसे कुछ नहीं दिखाई दिया, अचानक उसकी नजर आसमान की ओर गई जहाँ पर जंगलों की ओर हंसो का झुंड दिखाई दिया।उसके मन मे विचार आया ,हो ना हो भाई को ये उठा कर ले गए है।वैसै भी उसने सुन रखा था कि हंस बुरे पक्षी होते है जो अक्सर छोटे बच्चों को उठाकर ले जाते है।
अब लड़की ने आव देखा ना ताव देखा वह उन पक्षियों के पीछे दौड़ने लगी,रास्ते मे अलावघर के पास पहुंची ।
अलावघर, अलावघर मुझे बताओ कि "हंसो का झुंड मेरे भाई को लेकर किस तरफ गए है "
" पहले मेरी ये जली हुई काली रोटीयां खाओ तब बताउगां" अलावघर ने कहा ।
लड़की ने मना कर दिया और वहां से आगे बढ़ गई फिर जंगल मे जंगली सेव का वृक्ष मिला ।
लड़की ने सेव वृक्ष से वहीं प्रशन्न किया तो उसने भी कहा-"पहले मेरे यह खाओ तब बतलाउगां ? लड़की ने उसे भी मना कर और वहां से आगे बढ़ गई।रास्ते में उसे दूध की नदी मिली।
दूध की नदी से वहीं प्रशन्न और वही ऊत्तर देते हुए पानी पीने से मना करते हुए ,आगे बढ़ जाती हैं ।
दौड़ते-दौड़ते, भागते-भागते,सारी बाधाओं को पार करते हुए निराशा जनक स्थिति मे उसे एक अजीबोगरीब एक कुटिया मे उम्मीद की एक किरण, दिखाई देती है और एक अटूट विश्वास के साथ उस कुटिया मे प्रवेश करती है। "सामने एक डरावनी महिला सूत कात् रही थी और एक नन्हा बालक चाँदी की गेंद से खेल रहा है।
लड़की झोपड़ी के अंदर चली गई।
"नमस्कार, दादी!"
"नमस्कार, लडकी"तुम कैसे और क्यो आई?
"मेरी फ्राक पानी और कीचड़ से खराब हो गई थी, इस वजय से उसे सुखाने आई हूँ।"
"तो ठीक है,बैठ जाओ और यह सूत कातो ।"
चुड़ैल ने लड़की को चरखा दे दिया और बाहर निकल गई। सूत काते समय वहाँ एक चूहा आया और बोला :-
"लड़की, लड़की मुझे कुछ दलिया दे दो तो मै तुम्हे एक राज की बात बतलाउगां ।"
लड़की ने उसे दलिया दे दिया ।तब चूहा बोला- "चुड़ैल आग लगाने गई है । वह तुम्हे नहला धुला कर अलाव मे भूनेगी और खा जाएगी "।
"लड़की रोने लगी और थरथर काँपने लगी,लेकिन चूहा कहते गया" जल्दी करो ,अपने भाई को लेकर भाग जाओ।" तुम्हारी जगह मैं सूत कातता हूँ।
सो लड़की अपने भाई को लेकर भाग गई।बीच बीच मे चुडैल खिड़की से झाँक कर पूंछते रहती।"
"लड़की सूत रही हो ना"
"हा दादी कात् रही हूं।"
गुसलखाने मे आग लगाकर और लड़की को लेने हेतु बुढ़िया आई तो ऊसने देखा कमरा खाली है।चुड़ैल जोर से गुस्से मे चिल्लाई " हंसो,उड़कर जाओ दोनो भाई- बहन ।को पकड कर लाओः।
"नदी माँ, नदी माँ मुझे छुपा लो "लड़की बोली।
"मेरी बनी मिठाई खानी पड़ेगी ।"लड़की ने मिठाई लेकर खा ली और थन्यवाद दिया । तब दूध की नदि ने छुपा दिया और हंस नही देख पाऐ।
लड़की फिर आगे बढ़ी ,हंसी का जोड़ा वापस आता दिखा।वहां सेव का पेड़ था।
लड़की ने सेव के वृक्ष से छुपानै हेतु विनति की तब वृक्ष ने कहा-"पहले फल खाने पड़ेंगे ।लड़की ने फल खाऐ।पेड़ ने अपनी छाओ मे छुपा लिया।"
लड़की अपने भाई. के साथ वहां से निकलकर तेजी से अपने घर की ओर भागी,हंसों का झुंड उनकी तरफ आ रहा धा वही पर अलावघर था लड़की जल्दी से उस मे घुस गई।
"अलावघर ,अलावघर मुझे अपने घर में छुपा लो ।"लड़की बोली ।
अलावघर बोला-"पहले तुम्हें यह जली हुई काली रोटी खाने पड़ेगी।"लड़की ने रोटी खा ली हंसो का झुंड अलावघर के चक्कर काटते रहा अंत मे वापिस चले गए।
लड़की अपनै भाई को लेकर घर चली गई, उसके माता-पिता भी थोड़ी देर बाद अपने काम से लौट आए। बच्चों के लिऐ खिलोने, रुमाल और खाने के लिए ढेर सारा समान लेकर आए, दोनो बच्वे खुश हुऐ।
लेखक, आलोचक,ज्योतिर्विद, गुरूजीसत्यवादी श्रीरामधुन, टीलेश्वर माहराज का कथन है कि - " इस कहानी से बच्चों को यह शिक्षा मिलती है कि हमेशा अपने से बड़े तथा माता पिता का कहना मानना चाहिए ।"
यह लेख कहावतों, मुहावरों, लोककथाओं पर आधारित है ।
गुरूजीसत्यवादी श्रीरामधुन
Comments
Post a Comment