षड़यंत्रकारी परिकल्पनाऐ
आम मानव का ऐसा समूह जो समूचे विश्व मे एक षड़यंत्रकारी योजनाओं की परिकल्पना कर अफवाहों को जन्म देते है और उसका अंजाम तक पहुंचाने की शुरूआत तो करते है फिर उसमे से हट जाते है ।
इन षड़यंत्रकारी इंसानो की सोचने- समझने की शक्ति एक सी नही होती है इन्हे वर्गीकृत किया गया है । सभी इंसानो की फितरते अलग अलग होती है । एक सी विचारधारा के लोग आपस मे अपना तालमेल बिठा लेते है और अपना एक अनजाना समूह बना लेते है । इस समूह कौन कौन है, कैसे लोग है,क्या करना है,कैसे नही करना आदि आदि बातो से अनभिज्ञ होते हुए भी पड़यंत्रकारी योजनाओं की परिकल्पना को जन्म देते है और किसी को भी पता नही चलता है ।
एक सी विचारधारा के लोग आपस मे मिलते जुलते है ,विचार विमर्श कर देश-परदेश के जनहित मे,राष्ट्र हित की गतिविधियों पर चर्चा करते हैं और उस संबंध कुटिल नीति को अपना कर प्रभाव छोड़ देते है ।और आमजनो को मजबूर कर देते है । उनका यह प्रभाव ही असरदार होता है ,आमजनता उसे ही स्वीकार कर लेती है ।यह एक ऐसा संगठन ,जो दिखाई नहीं देता है और ना ही इसके कोई मेम्वर होते है । ये लोग विचारधारा के साथ अंतर्मुखी होते है और अंतर्मन से काम करते हैं । आज परिवर्तन युग है, इस युग में सभी समाजों में विघटन की स्थिति आ गई है । समाज के बटे होने से एक तहबीज समापन की ओर बढ़ रही है। एक ही परिवार में सब की सोच एक सी नहीं ,चार लोग हैं तो एक से नहीं सोचते हैं सब की विचारधाराएं अलग-अलग होती है । इसी विचारधारा समूह जो परिवार समाज से निकलता हुआ एक नए समूह का निर्माण करता है । इससमूह में अनेक प्रकार के ही लोग पाए जाते हैं ।.यह लोग बोलते नहीं है, बातें नहीं करते हैं ,बस उनके अंदर उत्पन्न एक ऊर्जा बुरे लोग , बुरी बातें सोचते हैं । अच्छा सोचने वालों की संख्या कम पाई जाती है किंतु बुरा सोचने वालों की संख्या अत्यधिक मात्रा में पाई जाती है । इन बुरी विचारधाराओं वाले लोगों में एक सरकारी विचारधारा के लोग भी होते हैं, जो देश विदेश के बारे में अच्छा नहीं सोचते और ना ही उनके बारे में षड्यंत्र करने की रूपरेखा बनाकर परेशान करने से बाज भी नहीं आते हैं। इस प्रकार कई देशों में भी षड्यंत्रकारी योजनाऐ बनाई जाती है के अंतर्गत , कार्य इनकी विचारधारा के बारे में हमेशा सोचते रहते हैं । यह भावनाएं उनके अंदर विकसित होती है । ऐसे लोगों को समय परिवर्तन की भी सहायता मिलती है । यह लोग हमेशा नेगेटिव सोचते हैं अच्छी बातें, सुंदर लेख से उनकी सोच नेगेटिव पाई जाती है । ऐसे लोग राष्ट्रहित के लिए नासूर होते हैं इनके दिमाग में हमेशा सरकारी कुयोजनाएं चलती है । कई बार सफल भी हो जाते हैं ।तो कई प्रकरणों पर सफलता हासिल भी नही होती है ।यह बड़े धैर्यवान होते हैं असफलता में भी सरकारी योजना बनाने में का रास्ता खोज कर फिर भी करते हैं और सरकारी योजनाओं को कार्य करने के लिए एकजुट हो जाते हैं ।
सभी षड्यंत्रकारी एक साथ मिल जाएं तो वे लोग अपनी ऊर्जा से पूरे विश्व में दहशत फैला सकते हैं । ऐसे दहशत फैलाने वाले लोग उनका साथ देने के लिए ,उनके कार्यों में मदद करने के लिए स्वयं आ जाते हैं । लोगों के संपर्क में सभी लोग जो उनके जैसे विचारधारा के होते हैं, अपने आप संपर्क में आ जाते हैं ।और कार्यों को अंजाम देते हैं ।वर्तमान समय में इन लोगों की संख्या पूरे देश में 35 परसेंट है ।
इनके संपर्क में बड़े-बड़े राजनेता, अभिनेता ,लेखक, पत्रकार मीडिया कर्मी दहशत गर्द लोग हैं । यह षड्यंत्र- कारी लोग बड़ी दूर की सोचते हैं । इनकी सोच जहा से शुरू होती है वहां से आम इंसान की सोचने की शक्ति समाप्त होती है ।
आज हम वर्तमान में जी रहे हैं तो इसके पीछे भी हम लोगों का कोई न कोई मकसद छुपा हुआ है । आज पूरे विश्व में जो भी घटनाएं घट रही है वो षड़यंत्रकारी के कार्यों की गई कल्पनाओं पर आधारित है । इनका नाम कोई भी रखा जा सकता है ।यह दुनिया जब से बनी है उसी समय से यह लोग भी बने हैं ।उस समय बहुत समझदार लोग थे । अतः उनकी संख्या बहुत ही कम है ।जैसे जैसे विश्व भर के देशों की आबादी बढ़ने लगी वैसे वैसे इनकी जानकारियां गतिविधियां गतिविधियां बढ़ने लगी ।
आज चोरी डकैती डालने से पहले उसकी रेकी की जाती है । योजनाएं बनाई बनाई जाती है। एक ठीक इसी प्रकार से इनके कार्य होते हैं इनके कार्य जनहित में होते हैं किंतु मानववाद के विपरीत होते हैं ।समय और परिस्थितियों को देखते हुए समय की मांग हैं कि इस प्रकार के षड्यंत्रकारी योजनाओं में विश्व के कुछ देश भी शामिल है ।जो विश्व की बढ़ती हुई जनसंख्या के विरोध में है। ऐसे लोगों की संख्या दिनों दिन बढ़ती जा रही है वैज्ञानिकों के रिसर्च से ज्ञात होता है कि कौन सा केमिकल है जिसको एक बार उपयोग करने से आम जनों को खत्म खतरा उत्पन्न हो सकता है ।और अधिक संख्या में लोगों की जाने जा सकती हैं । ऐसे केमिकल्स का उपयोग करना से जान जाने, अथवा ना होने की आशंका होने के बाद भी उस पर कार्य करने की अनुमति सरकार द्वारा दी जाने पर प्रश्न चिन्ह अंकित होता है ?
विश्व के साथ भारत देश में ऐसी घटनाएं बहुत हुई है ।जिसमें अनगिनत करोड़ों लोगों की अभी तक जाने जा चुकी हैं । फिर भी सरकार उन पर रोक लगाने में असमर्थ रही है, बल्कि नई योजनाओं की स्वीकृति भी देती रहती है । ऐसी स्थ ति पश्चात उस पर मेंटेनेंस की लापरवाही बरतने के बाद लाखों लोग व्यक्ति मौत की काल में समा चुके हैं ।तथा सरकारें आर्थिक लाभ लेने के लिए आम जनों की जाने दे रही है । यही सरकारी योजनाओं का एक रूप है जिसे आज का सत्यवादी बदला ना चाहता है।
विश्व के साथ-साथ कई देशों में भी जो भी हादसे अभी तक हुए हैं उन सब में सरकार ही जिम्मेदार है । जिसे आज तक आमजन नहीं समझ पाए हैं। 21वीं सदी का मानव अब जागरूक मानव हो चुका है । उसे धीरे-धीरे सब ज्ञात होने लगा है कि षड्यंत्रकरीयोजनाओं को विफल करने वाली शक्ति के रूप में उनका सामना करने में सक्षम होते जा रहा है । इन सरकारी योजनाओं के विरुद्ध कार्य करने की तैयारी में जुटे हैं ,सरकारी योजनाओं में शामिल होने वाला इंसान प्रत्यक्ष अथवा अप्रत्यक्ष रूप से होता हुआ अपने कार्यों को अंजाम देता हुआ अगली रणनीति की ओर अग्रसर रहता है ।
ये यह षड्यंत्र कारी जीव आत्मा।है । अपनी अंतरात्मा की आवाज में, आवाज पर कार्य करते रहते हैं । षड्यंत्रकारी मानव किसी भी समाज राजनीतिक सरकारी कर्मचारी अधिकारी व्यवसाई जाति देश का व्यक्ति हो सकता है जो भी सरकारी होता है उनका एक समूह बन जाता है। उन्हें स्वयं नहीं मालूम होता है कि वह क्या कर रहे हैं , किसके लिए कर रहे हैं , और क्यों कर रहे हैं ।बस उनका काम होता है ,चरित्र कार्यों को बढ़ावा देना । वह ऐसे बात का समर्थन करते पाए जाते हैं जो नियम विरुद्ध कार्य होते हैं किंतु समाज और देश के प्रति हितकारी होते हैं । दीर्घकाल तक प्रभावशाली कार्यों को विशेषण कर उसका हिस्सा बनाते हैं ।
अब तो यह षड्यंत्र कारी लोग खुलकर सामने भी आने लगे हैं ।हमें अमेरिका जैसे विकसित देशों में रहने वाले लोग इसका हिस्सा बन चुके हैं । जिसे क्युनान समूह के नाम से जाना जाता है । इस समूह के वैरीअंट तेजी से दुनिया भर में फैल रहे हैं । आकड़े बता रहे हैं कि समूह 70 देशों में अपने जाल बिछाने में सफलता प्राप्त कर चुका है । अंग्रेजी शासन काल मैं भारत में प्लेग का खेल खेला जाता था जिससे गांव के गांव चपेट में आ जाते थे । ये बीमारी कैसे फैलती थी उस समय की बीमारी जनसंख्या नियंत्रित को माना गया था ।अर्थात यह एलिमेंट उस समय भी थे ,कई कंपनियां है और माय सरकारी उपकर उपक्रम है जिससे सीधे भारत सरकार को पहुंचता है अभी भी जारी है जिसके जिन से आर्थिक लाभ के साथ-साथ जनसंख्या को कम करने हेतु जानबूझकर किया गया अथवा किया जा रहा है बिल्डिंग हो सरकारी भवन पुल हो आदि आदि के मैं आज समाप्त होने पर भी सरकार का ध्यान ना देना इस बात का संकेत करता है कि सरकार जानबूझकर जनसंख्या नियंत्रण का कार्य कर रही है चास नाला का भोपाल गैस कांड एक बहुचर्चित कांड है इनमें मैं भी लापरवाही बरती गई जिसके कारण लाखों लोग प्रभावित हुए और अनेकों लोगों की जानें गई इसके एलिमेंट भी उस तरफ इशारा करते हैं।
षड्यंत्र की परिकल्पना गढ़ने वाले के दिमाग की उपज का कोई ओर ,छोर नहीं है। गोविंद कोविड-19 की तरह दुनिया भर में फैल चुका है यूनान का प्लेटग फ्रीडा गई टिस निवासी वाशिंगटन अंतरराष्ट्रीय मामलो के विशेषज्ञ है उन्होंने रूपसरी से लिखा है कि इसमें क्यों ना मुंह पर स्पष्ट हाथ है उन्होंने कई तथ्यों की तरफ इशारा किया है आकर वह यह भी कहती हैं कि यूनान समूह पूरे विश्व में खेलते जा रहा है समूह ने वर्ष 2016 में पिज्जा में उछाला था जिसमें दावा किया गया था कि हिलेरी क्लिंटन और अन्य डेमोक्रेटिक वाशिंगटन डीसी के 1 बिजोरिया के वेबसाइट से वीडियो कॉल रैकेट चलाते थे वीडियो फाइल के अंतर्गत बच्चों का यौन शोषण किया करते थे ।
इसके बाद सोशल मीडिया के दिग्गजों ने यूनान को फैलने से रोकने की कोशिश भी की थी लेकिन वह यूनान समर्थकों को कांग्रेसमें चुने जाने से रोक नहीं पाए जबकि कई अन्य 6 जनवरी को यूएसए कैपिटल पर हमने मैं भी शामिल हुए ।
बीएफ 22 दिन यूज़ वर्ड कार्ड के मुताबिक पिछले वर्ष अकेले यूरोप में 448000 से भी ज्यादा लोग यूनान समूह से जुड़े थे एक आंकड़े के अनुसार 70 देशों में अपनी जड़ें जमा चुका है जिससे मैं से एग्जाम पास में भी है इनका मानना है कि द्वितीय विश्व युद्ध में के समय वहां के सम्राट हीरो की तो आइए या ब्रिटिश एजेंट है जिनके पास हिरोशिमा नागासाकी को तबाह करने वाले परमाणु बम का पेटेंट था इसी समूह का दावा यह भी है कि वर्ष 2011 की सुनामी में सम्राट आती ही तो कहा था इस तरह की संयंत्र की घटनाएं इस समूह के लोग फैलाते हैं ।
षड़यंत्रकारी नागरिक समूह खौफनाक है । एक सर्वे में पिछले वर्ष उजागर हुआ था कि 17 परसेंट ब्रिटिश वासियों ने मान लिया था कि कोरोनावायरस कम करने की साजिश का एकत है फ्रांस में स्थानीय वेबसाइट को मेक फ्रॉम ग्रेट ऑर्गन कहा जाता है जर्मनी नीदरलैंड क्यूटन ऑसलिया और न्यूजीलैंड के साथ डेटिंग अमेरिका देशों में इसका दायरा पड रहा है ऐसे आरक्षक भूत गढ़ने वालों की कोई सीमा नहीं है सच के रूप में बढ़ावा दिया जा रहा है इन्हें नकार कर ही हम बोलने की आजादी की प्रति रक्षा कर सकते हैं ।
भारत में व्याप्त भ्रष्टाचार बढ़ती हुई बेरोजगारी और महंगाई के पीछे भी इन्हीं संयंत्र सोच वाद इकाइयों का विस्तार जोड़ने का आशंका पर भी गौर किया जा सकता है और इसके लिए ठोस कदम एवं उचित कार्रवाई करने की आवश्यकता है क्योंकि यूनान समूह के सदस्य भारत में सक्रिय हो सकते हैं आप यहां पर प्रश्न यह उठता है कि कोरोना संक्रमण आक्रमण के इंजेक्शन व्यक्ति लगवाने हेतु सहयोग ना देना भी एक षड्यंत्र कारी चाल हो सकती है इसी प्रकार भारत में चल रहे आंदोलन किसान आंदोलन भी इसका एक हिस्सा हो सकता है कहीं ऐसा तो नहीं है कि यूनान समूह का टारगेट भारत हो ।
क्योंकि वर्तमान समय में भारत एक सक्षम देश के रूप में उभर रहा है अतः ऐसी स्थिति में भारत अभी भारत के पास पुख्ता सबूत नहीं है अन्यथा अब तक यह षड्यंत्र कारी सोच रखने वाले समूह पर कार्रवाई हो चुकी होती इन समूह में बड़े-बड़े दिग्गज नेता और व्यवसाई भी शामिल होने की आशंका व्यक्त की गई है अतः यदि दूसरा कारण हो सकता है संदेह के दायरे में सभी लोग हैं जब तक हकीकत सामने ना आए ऐसा सुनने में आ रहा है कि किसने कब कब कितनी बार विदेश की है ,उन पर भी सूई का काटा घूमता हुआ नजर आ रहा है ।हकीकत जो भी हो हर नागरिक को इससे बचने की कोशिश करना चाहिए । वे किसी षड़यंत्रकारी योजनाओं का हिस्सा ना बने । अबे किसी भी सरकारी का समर्थन ना करें आज हमारा देश भारत विकासशील देशों में आ गया है अतः इस की गरिमा को बरकरार रखना है और देशद्रोही करने वालों को बचना की हर संभव कोशिश करना है ।
षड्यंत्रकारीयो की कल्पना का कोई हिसाब किताब नहीं होता है यह घटनाएं कहां से शुरू होती है और उसका अंत क्या होगा किसी को पता नहीं चलता पता तो तब चलता है जब इन पर प्रतिक्रिया होने लगती है प्रतिक्रिया है जब चरम सीमा पर पहुंचते हैं तो यह लोग वहां से अपना ध्यान हटा देते हैं और नहीं खोज में नई खोज में लग जाते हैं जैसे भोपाल मध्य प्रदेश का व्यापम घोटाला भी इसका ज्वलंत उदाहरण माना जा सकता है नागालैंड में रहने वाले आदिवासियों जो वर्षों से वहां के जंगलों में निवास कर रहे हैं उन्हें अभी तक भारत की नागरिकता प्राप्त नहीं हुई है और वह अस्तित्व की लड़ाई लड़ रहे इस पर भी आज तक कुछ नहीं पता लगाया जा सका ।
ऐसे अनेकों उदाहरण पूरे विश्व में देखने को और सुनने को पढ़ने में आने आते रहते हैं यह सब क्या है सोच सोच कर लोग परेशान हो जाते हैं आखिर इसका अर्थ क्या है इनकी बातें कुछ जगह तारीफे काबिल भी पाई गई है और कुछ पूरी करके आएं दर्शाती हुई दहशत फैल आती हुई धीरे-धीरे समाप्त हो जाती है।
कल्याणकारी योजनाओं का समूह सीधा दिमाग से दिमाग मानसिक इच्छाशक्ति का संचालन जैसा भी प्रतीत होता है ।अब इन बातों पर अन्य लोग भी विचार विमर्श कर ,इनका अंत में पहुंचने में सफल हुए अथवा हो रहे हैं । जैसा इनका मानना है कि कोरोना संक्रमण बीमारी बुजुर्गों के लिए घातक है और जनसंख्या कम करने हेतु चलाए ग ई हैं इसी बात को भारतवासी कोरोना बीमारी पर उस लोगों को बचाने के लिए अनेकों उपाय किए हैं । और आगे भी कम नहीं होने दिया और कंट्रोल कर पूरे देश के नागरिकों को बचा लिया ।आज भारत में बुजुर्गों की ओर ध्यान दिया जा कर एक धरोहर के रूप में अनेकों योजनाएं लागू कर उनकी हिफाजत भारत सरकार कर रही है ।और जनसंख्या कम करने हेतु सोच नहीं रही है बल्कि जीवन दान हेतु तत्पर है। ।
विश्वास सूत्र बताते हैं कि षड्यंत्रकारी कल्पना करने वाले समूह के विरुद्ध भारत की ओर कदम उठाकर इसकी पहल कर इनकी योजनाओं को विफल कर उन्हें नेस्तनाबूद भी करेगा ।
भारत में भी कुछ षड्यंत्रकारी सोच वालों का समूह चल रहा है इस पर ध्यान दिया जाना आवश्यक है ।
"क्यूनान" बिमारी भी प्लेग की तरह होती है, जो कोविड 19 की तरह पूरी दुनिया में फैल चुका हे ।
अमेरिका में जन्म लेने वाले और षड्यंत्र की कल्पनाएं फैलाने वाले क्नयूनान समूह आज दुनिया के देशों में फैल चुका है इस समूह के नए वेरिएंट तेजी से विश्व भर में फैल रहे हैं ।इस समूह के नए वैरीअंट तेजी से पूरे देश भर में फैल रहे हैं चुनाव तंबू में ही वर्ष 2016 में पिज़्ज़ा गेट उछाला था और दावा किया था कि हिलेरी क्लिंटन और अन्य डेमोक्रेटिक वाशिंगटन में डीसी के 1 बिजोरिया के बेसमेंट से पीडीएफ फाइल रैबिट चलाते हैं ।
वीडियो फाइल ऐसे लोगों को कहते हैं जो बच्चों के लिए के यौन शोषण करते हैं यह एक उदाहरण स्वरूप बतलाए गया है लेकिन इसके बाद सोशल मीडिया के दिग्गजों ने यूनान करन चुने जाने से रोक नहीं पाए जबकि कई 6 जनवरी को यूएस कैपिटल में शामिल भी हुए थे ।
बेब सचडाँग न्यूजबर्ड के मुताबिक वर्ष 2020 अकेले यूरोप मे 4,48,000 से ज्यादा लोग क्यूनान समूह से जुड़े धे । एक आंकड़े के अनुसार यह समूह 70 देशों में अपनी जड़ें जमा चुका है यूनान नेट पर के सबसे चकरी समूह में से एक समूह जापान में स्थित है इनका यह भी मानना है कि द्वितीय विश्व युद्ध के समय वही के सम्राट हीरो की तो सीआईए अथवा ब्रिटिश के एजेंट थे जिनके पास हिरोशिमा नागासाकी को तबाह करने वाले परमाणु बमों का पेटेंट था इसके अलावा इस समूह ने यह भी दावा किया है कि वर्ष 2011 की सुनामी में सम्राट अकीहितो का हाथ था इसी तरह के षड्यंत्र के लोग आते रहते हैं ।
नागरिक समूह को नोट 8 के सर्वे में पिछले 2020 में उजागर हुआ था कि 17 परसेंट ब्रिटिश वासियों ने मान लिया था कि कोरोनावायरस कम करने की एक साजिश है का एक हिस्सा है फ्रांस में यूनान की स्थानीय वेबसाइट को मैदान ग्रेट अगेन कहा जाता है जर्मनी नीदरलैंड रिटर्न ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड के साथ लैटिन अमेरिका देशों में भी इसका डायल बढ़ रहा है ऐसे अराजक झूठ करने वालों को की कोई सीमा नहीं है जिन्हें सच के रूप के रूप में बढ़ावा दिया जा रहा है ।
अत: अमेरिका के साथ-साथ जर्मन नीदरलैंड जीवन ऑस गुप्त तरीके से पता लगाकर पर्दाफाश किया जाना आवश्यक है । किंतु इस कार्य में टीम की तरफ से ध्यान भी नहीं हटाना चाहिए ।अमेरिका शुरू से ही चीन के विरुद्ध की गई कार्यवाही में अपना समर्थन देते रहा है और विरोधियों को हर तरह से मदद देने तथा देते रहा है ।
इसके अलावा भी कई कारण व तथ्य सामने आएंगे जब इनकी छानबीन गुप्त छानबीन करने के आदेश किसी जानै मानी वाली संस्था को दिए जाएंगे इसके पहले पीटीईटी ऐसा अंतरराष्ट्रीय मामले की विशेषज्ञ बासित वाशिंगटन पोस्ट से और और भी जानकारी लेना ,लेकर जांच पड़ताल करना सही एवं उचित होगा ।
गुरुजीसत्यवादी श्रीरामधुन ।
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