डरावनी रात,मोदी के साथ
रात का सन्नाटा गहरा सन्नाटा दूर-दूर सड़क पर कुत्तों की भौंकने की आवाज दिलों की धड़कन तेज कर रही है ।सड़कें सुनसान और वीरान थी । लाइट भी अचानक चली गई है घरों में से झांकती मध्यम रोशनी झांक रही थी , अचानक किसी गाड़ी के ब्रेक से उत्पन्न आवाज पूरे वातावरण को भयावह स्थिति में डरा देती है । गाड़ी की तेज लाइट थोड़ी देर के लिए चकाचौंध कर देती है ।कुछ भी नहीं दिखाई देता है ।फिर अचानक लाइट बंद । इस बीच बड़े जोरों से बिजली चमकती है और बादल की गड़गड़ाहट से ठंडी के मौसम में पसीना पसीना हो जाना एक स्वाभाविक प्रक्रिया है ।
गाड़ी के अंदर से कुछ अजीबोगरीब आवाजें सुनाई देती है । कभी तो बिल्लियों के रोने की आवाज निकलती है । थोड़ी देर बाद एक औरत की सिसकियां, एक किलकारी में बदलती आवाज सुनाई पड़ती है। इस बीच में दूर से कुत्तों का रुदन , वातावरण के सन्नाटे को चीरता हुआ भयावह स्थिति को उत्पन्न करता है । दूर-दराज तक इंसानों का नामोनिशान नहीं। बिजली का बार-बार चमकना, ठंडी रात रिमझिम पानी का गिरना । पानी का गिरना कभी तेज तो कभी कम , ठंडी ठंडी हवाओं का चलना । ठंडी भी ऐसी जो शरीर की हड्डियों को कड़कड़ाती हुई हो ।
काली रात ,काली गाड़ी ,और दिन शनिवार, अमावस्या की रात, हृदय विचारक दृष्टांत को देखकर अच्छे अच्छे लोगों की रूह कांप उठे । गाड़ी का दरवाजा धीरे-धीरे खुलता है ,जिसकी आवाज है पूरे वातावरण में गूंजती है । जिसे सुनने वाला वहां कोई नहीं है। दरवाजा खुलते ही उसमें से एक औरत का साया नजर आता है । बिजली की चमक मात्र से अंदाजा ही लगाया जा सकता है कि दिखने वाला साया काले कपड़ों में लिपटा हुआ और लंबे लंबे बालों से पहचान, पहचाना जा सकता है कि वह औरत का प्रतिबिंब है । इस प्रतिबिंम को छोड़कर गाड़ी वहां से तेजी से निकल जाती है ।वातावरण में फिर से सन्नाटा छा जाता है ।किसी डरावनी घटना की सोच और भी गहरा जाती है । वातावरण में कोई तब्दीली नहीं हुई ।गाड़ी को गए वह अभी ज्यादा समय नहीं बीता था कि दूसरी गाड़ी विपरीत दिशा से आ कर उसी जगह रूकती है ।गाड़ी का उजाला एकदम बंद हो जाता है । वाहन ,अंधेरे में कुछ भी दिखाई नहीं देता ।गाड़ी थोड़ी देर रूकती है, फिर अचानक स्टार्ट होकर बिना लाइट जलाएं ,वहां से चली जाती है। थोड़े-थोड़े अंतराल में लगभग 8 गाड़ियां आती हैं ,रूकती है और विपरीत दिशा में चली जाती हैं ।।जिस जगह यह गाड़ियां आने का सिलसिला शुरू होता है मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल का पॉलिटेक्निक चौराहा होता है । वैसे यहां पर पास ही माननीय मुख्यमंत्री और राज्यपाल जी का भी बंगला मौजूद है । वहां पर कभी लाइट नहीं जाती है किंतु उस रात को हुई घटना बताती है कि उस समय लाइट गोल हुई थी ।लाइट गोल हो सकती है और घटना भी घट सकती है इसमें कोई शक नहीं है ।
हर गाड़ी मे से एक के बाद दो-दो साए उतरते हैं ।साए में एक लंबी परछाई और एक छोटी परछाई दिखाई दे रही है ।यह सभी साए पास में स्थित पीपल और बड़ के वृक्ष के पास जाते हैं और विलुप्त हो जाते हैं ।थोड़ी देर बाद वहां पर कुछ अजीबोगरीब आवाज आने लगती है ।यह आवाज है थोड़ी खुशी के साथ-साथ डरावनी आवाजें आती है । यह आवाज रुक रुक कर आती है थोड़ी खुशी के साथ-साथ डरावनी आवाजें आती हैं ।यह आवाज रुक-रुक कर आती हैं ।उस समय का माहौल में भय से पूरा शरीर में कंपन होता है तो कभी वही हृदय विदारक दृश्य बड़ा मनमोहक कारक होता है ।यह कल्पना नहीं है बल्कि सच और झूठ पर आधारित एक घटनाक्रम है । अभी भी दुनिया में आध्यात्मिक फैसले कैसे होते हैं इस बात का ध्यान लेखक द्वारा उल्लेख करने की कोशिश की जा रही है। सारे विश्व में चल रही नई प्रक्रिया पर संदेह किया जा सकता है किंतु यहां उस न्याय प्रक्रिया की बातों को भुलाने की कोशिश की जा रही है जो कलयुग में न्यायिक प्रक्रिया को किस प्रकार से चलाया जाता है । यहा पर सभी अदृश्य शक्तियों का संचालन होता है ।भगवान को भी किसी ने नहीं देखा है किंतु उसको मानते सब है ।विज्ञान की सब प्रक्रिया के बाद डॉक्टर भी असफल हो जाते है और आस टूट जाती है तो अंत में डॉक्टर भी यही कहता है कि भगवान ही कुछ चमत्कार कर सकता है ,और भगवान का ही आसरा है, ऐसा कहकर आम मरीजों के घरवालों को कहता हुआ पाया जाता है । इस कहानी का दृष्टांत भी कुछ इसी तरह इस तरफ जाता है ।अब बादल की आवाज ,बिजली की कड़कड़ाहट बंद हो गई है । नजारा बदल चुका है और खुशबू भरा माहौल हो गया है ।अब ये साऐ अपनी अपनी गाड़ियों से निकलकर वहां पर स्थित पीपल और बड़ वृक्ष की ओर जाते हैं । लाइट का फोकस इन्हीं पर होता है ।शेष स्थानों पर काला सा अंधेरा होता है जैसे फिल्मो मे होता है । और अब नगाड़ो और डमरू की आवाज सुनाई देती देने लगती है ।शोर-शराबे के साथ यह धीरे-धीरे आगे बढ़ते जाते हैं पीपल की ओर और बड़ की ओर बढ़ते हैं वहां पर उपस्थित अन्य लोग इनके सम्मान में खड़े हो जाते हैं ।विक्रमादित्य जैसे सिहासन लगा हुआ फूलो से सुसज्जित दरबार वहां पर दोनों राजा अपने मंत्रीयो के साथ विराजमान होते हैं ।राजाओं के बैठते ही उनके मंत्री अदब के साथ खड़े होते हैं ।उस समय का दृश्य ऐसा था कि किसी दरबार में कोई बड़ी न्यायिक प्रक्रिया शुरू होने वाली हो ।
पीपल और बड़ एक ऐसे पेड़ हैं जहां पर अमावस्या और पूर्णिमा की रात में वहां के, उस जगह में रहने वाले लोगों के अच्छे बुरे कार्यों के आधार पर फैसला होता है ।और उसका पालन किए जाने बाबत आदेश होता है । यह प्रक्रिया उस जगह पर होती है ,जहां जहां पीपल और बड़ के वृक्ष एक साथ लगे होते हैं ।यदि इन पेड़ों के साथ कोई आम पेड़ हो तो अति उत्तम होता है जैसे खेर बेल शीशम तथा नीम का पेड़ यह तीनों के फैसले अति उत्तम माना गया है । ऐसी कहावत भी है जिनका वर्णन धर्म शास्त्रों में पाया जाता है ।
कलयुग की विशेषता को ध्यान में रखते हुए यह कलयुग की न्याय प्रक्रिया प्रणाली के अंतर्गत माना जाता है ।यह पूजा का एक असली है जिस पर आज का मानव मानने को तैयार नहीं है ।यह घटित घटना के प्रत्यक्षदर्शी लोग अभी भी इसी दुनिया में पाए जाते हैं ।इस पूजा की विधि का उल्लेख शास्त्रों में नहीं दर्शाई गया है ।इस पूजन प्रक्रिया को जानकर ही लोग बतला सकते हैं, ।जो इस प्रक्रिया को जानते हैं ।बहुत कम लोग । इस पूजा को विधि विधान से किया जाए तो मनुष्य की किसी भी प्रकार की मनोकामना पूरी हो सकती है ऐसा मानना है गुरुजी सत्यवादी श्री रामधुन का ।उनके समक्ष अभी तक कोई ऐसा व्यक्ति नहीं आया है जो इस पूजा पाठ के जरिए अपना मकसद पूरा करना चाहता हो । इसका विधि-विधान बहुत ही साधारण है किंतु कभी-कभी दुष्परिणामों का भी सामना किया जा सकता है ।पूजा की विधि में आदमी अपनी एक मनोकामना पूरी कर सकता है ।इसमें पुराने तौर तरीके और नियमों के पालन का उपयोग होता है
पाठकगण, आप माने या ना माने अभी भी पूर्णिमा और अमावस्या पहले भी आती थी और आज भी माह में एक एक बार आती है यदि आपको कोई विकट समस्या हो और आपने उसे पूर्ण करने के लिए सभी प्रकार के उपाय कर लिए हैं किंतु वह हल नहीं हो ही नहीं रहे हैं तो आपको अमावस्या की रात्रि में पीपल और बड़ के साथ तीसरा वृक्ष जो एक ही जगह पर एक साथ मिले हुए हो विधि विधान से पूजा पाठ करेंगे तो आपकी समस्या का 3 महीने में अवश्य पूरी हो जाएगी । इस प्रक्रिया के माध्यम का उपयोग करना ना भूलें । इस बात का ध्यान रखें विधि विधान से पूजा करने हेतु क्या करें ? कैसे करें ? और कब करें ! आपके भाग्य का भी योगदान अथवा है या नहीं । किस समय किस तारीख को करना है आदि आदि बाते जानने के लिए संपर्क कर मिल सकते हैं ।यह आपके ऊपर निर्भर है यदि विश्वास हो तो मिले ।और यह कोई आमंत्रण पत्र नहीं है ।पता आपको निमंत्रण करना पड़ेगा ।
उक्त सभी प्रक्रिया को होते देख कोई अज्ञात व्यक्ति अपनी जान हथेली में रखकर भयंकर रात्रि में ठंड और बरसात की परवाह न करते हुए अपनी आंखों से देखा । यह वृत्तांत रात्रि 12:00 से 2:00 के मध्य हुआ है ।धीरे-धीरे लाइट की रोशनी कम होने लगी ।आवाजें भी धीरे-धीरे कम होती गई बरसात धीरे-धीरे बंद हो गई अंधेरा धीरे-धीरे बढ़ने लगा । अंधेरी रात में जो हल्का हल्का सा उजियारा होता है हाथों को हाथ सूज नही रहा जैसा लगता है ऐसे नजारे में धीरे धीरे सब कुछ धीरे-धीरे समाप्त होने लगता है ।तभी महाशय एक परछाई सी नजर आती है जो इस प्रकार से है सफेद वस्त्र धारण किए हुए एक साया नजर आता है चेहरे पर बढ़ी हुई दाड़ी वो भी सफेद दाढ़ी कद व डील-डोल हूबहू श्री मोदीजी जैसा दिखने वाला साया प्रगट होता है । इस छवि को देखकर सभी लोग उनकी जय-जयकार करते है। थोड़ी देर तक वह साया दिखाई देता है और धीरे-धीरे विलुप्त हो जाता है । इस प्रक्रिया का चश्मदीद गवाहो ने कहा कि वह साया जो थोड़ी देर के लिऐ दिखा था वह कोई ओर नही हमारे देश के प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी का ही साया था ।वैसे भी भविष्य वक्ताओ ने भविष्यवाणी की है कि वर्ष 2021 मे ऐसे व्यक्ति दृष्टिकोचर ,उदयमान होगा जो पूरे विश्व को नई राह दिखाएगा और विश्व गुरु कहलाएगा । अब भविष्यवाणी फलित होने का समय भी आ चुका है । उक्त घटना भी इसी तरफ इसारा कर रहीं है । वर्तमान समय मे बड़े बड़े महान पुरुषों के कारनामे उजागर हो रहे है अब ऐसे समय मे विश्व को भी एक पद प्रदशक ,मार्गदर्शक की,युगप्रवर्तक, युगपुरूष की आवश्यकता है ।अत: माननीय नरेन्द्र मोदी से अच्छा व्यक्ति कोई दूसरा हो नही सकता ।
गुरुजीसत्यवादी श्रीरामधुन
Comments
Post a Comment