21 मार्च "विश्व वानिकी दिवस"
21 मार्च को "विश्व वानिकीय दिवस " मे मनाने का निर्णय यूरोपीय देश मे 23 बार यूरोपीय कृषि संगठन की बैठक मे लिया गया और लागू किया गया और उन्ही नियमो के अंतर्गत 21 मार्च को विश्व वानिकीय दिवस के रूप मे मनाया जाता है।
वर्तमान समय मै वनो की अवैध कटाई के कारण पेड़ो की संख्या दिनो-दिन कम होती जा रही है । सरकार इस पर सतर्कता तो बरत रही है और स्वंय भी क ई जगह सड़क तथा डेवलपमेंट करने के वह भी पेड़ो की कटाई से भी चूक नही रही है ।ऐसे मे नियमो का उलघंन आमजनो के साथ साथ सरकार भी दोषी है ।इसका मुख्य कारण यह है कि सरकारी अफसर और सरकारी कर्मचारियों की लापरवही भी है । ये भ्रष्ट अफसर थोड़े से लोभ लालच के कारण सरकार को गुमराह करते है और सही वस्तुस्थिति से अवगत नही कराते है ।
शहर हो गांव इन अफसरो के कारण वानिकीय आवंटित भूमि का सही इस्तेमाल नही किया जा रहा है जिसके
कारण भूमाफिया इस पर कब्जा करते जा रहा है । बी डी ए भोपाल और हाउसिंग बोर्ड भोपाल म०प्र० भोपाल की राजधानी मे जहाँ म०प्र० शासन के बड़े-बडे नेता और अफसर रहते है वहा-पर खली पार्किंग के लिऐ जमीन छोड़ी गई है जो पर्यावरण (और इनवायरमेंट तथा सड़कों के दोनो तरफ और बीच मे) के नाम से छोड़ी गई है उन सब पर भू-माफिया, नैताओ और अन्य रसूखदारों ने कब्जा कर रखा है । ठीक इसी प्रकार से पूरे भारत की हालात है ? आखिर इसके ऊपर कार्यवाही क्यों नहीं की जाती है ? सब चोर है । ऐसे हम पर्यावरण की कैसे रक्षा कर पाएंगे ? दूषित पर्यावरण से आमजनो के साथ साथ पशु पक्षीयो की कैसे रक्षा कर पाऐगें । यूरोपीय देश मे समझौता हुआ था क्या हम उसका पालन करने कहा तक सफल हुए ?
जबाब तो एक ना एक देना होगा ? शायद जब तक बहुत देर हो जाएगी ।
गुरुजीसत्यवादी श्रीरामधुन
अंतरराष्ट्रीय वन दिवस पर आज का दिन और समय की मांग देखते हुऐ अनेको प्रकार की शौध कर पर्यावरण से लाभ उठाने हेतु सतत् प्रयास किया जा रहा है । पूरे विश्व मे घटते हुऐ पेड़ो की वजय से आक्सीजन की कमी को पूरा करने के लिए, खाने के तेल के बढ़ते दामो और आवश्यकताओ को देखते हुए "काई ,से 4गुना ज्यादा आक्सीजन तथा खाने का तेल भी बन रहा है " ऐसा जर्मन के टेक्निकल यूनवर्सिटी आँफ म्यूनिख मेसिथेटिक बायोटेक्नोलॉजी के हेड डाँ०थामस बुक कहते है और बतलाते हे कि काई बड़ी अद्भुत चीज है । इसके उपयोग करने से विश्व को न ई दिशा मिलेगी ।
अंतरराष्ट्रीय वन दिवस पर आज का दिन और समय की मांग देखते हुऐ अनेको प्रकार की शौध कर पर्यावरण से लाभ उठाने हेतु सतत् प्रयास किया जा रहा है । पूरे विश्व मे घटते हुऐ पेड़ो की वजय से आक्सीजन की कमी को पूरा करने के लिए, खाने के तेल के बढ़ते दामो और आवश्यकताओ को देखते हुए "काई ,से 4गुना ज्यादा आक्सीजन तथा खाने का तेल भी बन रहा है " ऐसा जर्मन के टेक्निकल यूनवर्सिटी आँफ म्यूनिख मेसिथेटिक बायोटेक्नोलॉजी के हेड डाँ०थामस बुक कहते है और बतलाते हे कि काई बड़ी अद्भुत चीज है । इसके उपयोग करने से विश्व को न ई दिशा मिलेगी ।
गुरुजीसत्यवादी श्रीरामधुन ।
Very nice
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