नाम और काम पंसद, नापसंद ।
पूरे विश्व मे विभिन् विभिन्न प्रकार के इंसान पाऐ जाते है । साथ ही साथ यह भी कहा जाता है कि पूरे विश्व में एक जैसे सात इंसान पाऐ जाते है । यह मात्र कहा जाता है किंतु देखने मे अभी तक हकीकत सामने नही आई है । ऐसा भी कहा जाता है पढ़ा भी है और सुना भी है कि सद्दाम हुसैन ने अपने ही जैसे सात लोगो को इक्काठा कर रखा था । उन्हे अपने जेसा बनाने के लिऐ प्रशिक्षण भी दिया था ताकि उनका उपयोग कर अपनी जान बचा सके किंतु वह ऐसा ना कर पाया । इन बातो से स्पष्ट हो जाता है कि आम इंसान कुछ भी कर ले लेकिन अपने जैसै नही बना सकता है । हर इंसान सुंदर है तो सब एक जैसे नही है बल्कि एक से बढ़कर एक सुंदर है । सबकी बनावट,रंगरुप,नक्स अलग अलग मन- मोहक है ।ठीक इसके विपरीत बद्सूरती के बारे मे भी कहा जाता है, माना जाता है और होते भी है ।
अब ऐसे लोगो को उनके काम से पहचाना जाता है । उनकी सूरत और सीरत से भी पहचाना जाता है । कुछ लोग इतने अछे होते हे कि उनसे बार बार मिलना चाहते हैं तो कुछ लोग ऐसे भी होते है जिनसे हम मिलना ही नही चाहते है । अर्थात उनके चेहरे के भाव से ऐसा होता हे ।
अब इंसानों की पहचान उनके रखे हुऐ नामो से भी होता है । जैसे नाम होता है इंसान वैसा ही होता है यह बात को जानने के लिऐ उसके नामकरण करने वाले के इतिहास को भी देखते है तो सब कुछ स्पष्ट हो जाता है । नामो की धारणा भी उसके कर्मो पर अच्छा, बुरा प्रभाव डालती है
मुझे नरेन्द्र मोदी पंसंद है तो शिवराज सिंह बिलकुल भी पंसंद नही है । ऐसे भाव मेरे मन मै क्यो उठते है मुझे इसका विश्लेषण करना चाहिए ।तभी उसके तथ्यात्मक प्रमाण से उसके अच्छै बुरे के निष्कर्ष पर पहुंच सकते है । इन सब बातो मे मनोवैज्ञानिक रुप से पाऐ जाने लक्षणो को भी ध्यान रखना पढ़ता है । बात करते समय,भाषण देसमय,उद्घघोषणा करते समय उसके मन-अंतर्मन मे चल रहे भाव ,उसके हाव-भाव और बोलता है और चीख चीखकर सच्चाई बयान करता है ।
एक ही नाम के,एक ही कदकाठी के,एक ही राशी के,एक ही अंक गणना के ,धार्मिक ,समाजसेवको के,महान पुरूषों के नाम रख लेने से उनके समान व्यक्तिव्य का बन पाना बहुत मुश्किल हे ,मिलना असभव है ।
जैसा देश वैसा भेष का आशय् रह है कि जैसा राजा अथवा मुखिया होगा वैसे ही वहां की प्रजा और साथ मे रहने वाले होगे । शरद पंवार की तबियत खराब हो गई थी, लकवा ग्रस्त हो गए थै , बोलते भी नही बन रहा था फिर भी वे मंत्री पद पर बने तो रहे बाद मे उन्हे इसका भुगतान करना पड़ा ,उनकी पार्टी की छवि भी खराब हुई ।
कहने का मतलब यह है कि जब देश को चलाने वाला स्वयं बीमार हो तो आमजनो की सेवा कर ही नही सकता है ।अब हम यहां पर शरद नामक व्यक्ति का बैकग्राउंड पर नजर डालते है तो उनकी वस्तुस्थिति पता चल जाती है ।
श्री नरेन्द्र और श्री शिवराज के बारे मे भी व्याख्या करते है तो इनकी योग्यता, कर्म तो आवाम जानती है, समझती है और सब जानती है ।श्री नरेन्द्र मोदी के द्वारा किऐ जाने वाले कार्यो और उनका जीवन परिचय का इतिहास किसी से नही छुपा है ठीक इसीप्रकार से शिवराज सिंह के किऐ गए कार्य और उनका इतिहास बतलाता है कि इनके कोई भी कार्य ठीक नही है ।अत:इस नाम के व्यक्ति ठीक नही होते हैं । गुरुजीसत्यवादी श्रीरामधुन को ये व्यक्ति शुरू से ही पंसंद नही है जबकि उनसे कोई लेना-देना,जान-पहचान नही है । उनके द्वारा किऐ कार्य और कार्यप्रणाली बिलकुल ही पंसंद नही है । यदि वै प्रधानमंत्री के कहने पर ऐसा कर रहे तो वे भी उन्ही के श्रेणी मे आते है ।
इन्सान के कार्य और उनके कर्मो के कारण महान बनता है ।पंसंद -नापंसद से कुछनही होता है ।
गुरुजीसत्यवादी श्रीरामधुन
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