भारत मे ही नही अपितु पूरे विश्व मे समलैंगिकता का व्यवसाय फल फूल रहा है । भारतीय लोग नकल करना व करने कराने को अपनी शान समझते है । पश्चिमी देशो की नकल कर अपनी सभ्यता को भूलते जा रहे है और नियमो, कानून-कायदो की धज्जियां उड़ाने मे कोई कसर नही छोड़ रहे है । जिसके कारण भारत दिनो-दिन क्राइम रेट बढ़ता जा रहा है । भारत मे महिलाओं को ज्यादा ही महत्व दिया जाने के कारण क्राइम दर मे कुछ फर्क नही पड़ा बल्कि इसका लाभ उठाने के लिऐ नये रास्ते खुल गये है । अब तो ओरते और लड़किया खुले आम न्यायालय मे बेखौफ कई प्रकरणो को लेकर न्याय की गुहार लगाते हुई पहुंच रही है । आज घरेलू हिंसा के प्रकरण अदालतों के सामने नजर आ रही है जिसमे क ई प्रकरण तो सही है तो कई जबरन बनाए गए है तो थानो मे अड़ीबाजी के अंतर्गत हल कर दिऐ जा रहे है । एक शादीशुदा औरत और एक कुंवारी लड़की एक साथ रहती है और समलैंगिक संबंधों के अंतर्गत शादी की मांग करती है तो माँ- बाप इस संबंध से छुटकारा पाने के लिऐ मान० न्यायालय की शरण मे पहुच रहे है और मांगकर रहे है कि उनकी बच्चीयो के समलैंगिक संबंध से छुटकारा दिलाया जावे ।
इलाहबाद हाईकोर्ट ने "समलैगिंक विवाह को मान्यता देने की दो किशोरी की मांग को नामंजूरी कर दी है ।"
प्रकरण के तथ्य इस प्रकार से है :-
दरअसल एक मां ने अपनी बेटी को दूसरी लड़की के चंगुल से मुक्त कराने को लेकर बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका दाखिल की थी इस पर जस्टिस शेखर कुमार यादव ने याचिका को निर्धारित करते हुए यह आदेश दिया ।
प्रयागराज के अनसूया की अंजू देवी ने याचिका में कोर्ट ने कहा कि उनकी बेटी पारीक है उसे एक लड़की ने अवैध तरीके से जबरदस्ती अपने साथ रखा है उसकी बेटी को मुक्त कराया जाए कोर्ट ने बंदी प्रशिक्षण अर्जी पर सुनवाई करते हुए दोनों लड़कियों को कोर्ट के समक्ष पेश होने का निर्देश दिया कोर्ट के सामने पेश हुई दोनों लड़कियों ने कहा कि एक बालक हैं और अपनी सहमति से समलैंगिक विवाह कर लिया है उनके विवाह को कोर्ट द्वारा मान्यता प्रदान किया जाए इसके साथ ही उन्हें के वैवाहिक जीवन में हस्तक्षेप करने से रोका जाए सुनवाई के दौरान सरकारी वकील ने कहा की भारतीय संस्कृति में समलैंगिक विवाह को अनुमति नहीं वकील ने कहा कि समलैंगिक विवाह को मान्यता प्रदान नहीं की जा सकती क्योंकि इस शादी से संतानोत्पत्ति नहीं की जा सकती वही कोर्ट ने समलैंगिक विवाह को मान्यता देने की मांग खारिज करते हुए बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका निस्तारित कर दी ।
अब माननीय न्यायालय ने इस पर अपनी प्रतिक्रिया तो व्यक्त कर दी है अतः शासन को इसके पालन सख्त कार्यवाही करते हुए ऐसी महिलाओं के विरुद्ध कार्यवाही व जाँच- पड़ताल करना चाहिए और इन लोगो पर तथा इनके साथ रहनेवाले लोगो का भविष्य सुरक्षित करने के उपाय करना चाहिए म०प्र० की राजधानी भोपाल तथा बड़े-बड़े शहरो मे समलैंगिक केप्रकरण कुछ ज्यादा ही हो रहे है अतः इनको रोकने के लिए शासन को उचित कार्यवाही करना चाहिए ।
गुरुजीसत्यवादी श्रीरामधुन
सही तरिके से उनको सजा मिलनी चाहिए
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