कल-आज-कल का इतिहास
स्वभाव से विनर कल्पनाशील कलात्मक तथा रोमानी होते हैं हमेशा बेचैनी बनी रहती है अपनी योजनाओं एवं विचारों से रिश्ता रहती है बहुत संवेदनशील प्रवृत्ति होती है सुखद वातावरण ना मिलने पर निराश और उदास हो जाते हैं खतरनाक मामलों में अत्यंत सावधानी की जरूरत है बड़े विचित्र ढंग से अप्रत्याशित रूप से भारी धन लाभ हो सकता है ।
भाग्यशाली दिन- सोमवार शुक्रवार रविवार
भाग्यशाली तारीख -2,11,२0 तथा 7,1,
रंग-सफेद, हरे रंग की झलक
रत्न- मोती,चंद्रमणि स्फाटिक
अंक - 2-7-1-4 दिशा - पूरब,पश्चिम
स्वास्थ्य/उपचार- पेट,पाचशतंत्र,नसो, अमाशय, जिगर और पित्ताशय की बीमारी हो सकती है ।बुढ़ापे मे रक्तसंचार,सिर पीठ दर्द,आदि आदि होने की शंका बनी रहती है ।
उपाय :- सलाद,गोभी,कुम्हड़ा, खीरा ,तरबूज़ ,करम का ससाग ,केला आदि आदि का सेवन करे ।
दान:- सोमवार को साय:काल समर मे चांदी,सीप ,मोती ,चावल,मिश्री,कपूर,सफेद वस्त्र
प्राकृतिक पेड़ पोधो :- अतीक, नीम,अशोक,खैर,गुलाब आदि दान करे और स्वयं लगाऐ । माता का आशीर्वाद ले ।
ज्योतिष हो अथवा तंत्र इनके अतिरिक्त भी अनेक ग्रह ऐसे हैं जो केवल अनुमान पर आधारित रहते हैं । यह अनुमान सदैव गलत ही होता है, ऐसा नहीं है, और ना ही संभावित क्षेत्र में वैज्ञानिक उपकरणों के सहयोग से अनेक जटिल स्थितियों मे बीमारियों का विश्लेषण कर लिया जाता है किंतु जितने सुख यह वैज्ञानिक यंत्र और अध्ययन में उनसे भी अधिक जटिल हमारे शरीर की रचना और कार्यविधि है। इसलिए हमारे निष्कर्ष अनुमान की श्रेणी में अधिक आते हैं । चिकित्सा क्षेत्र में जिन व्यक्तियों ने व्यापक हो चुकी है और उन निष्कर्षों को सार्वजनिक रूप से बतलाया है ।निसंदेह प्रशंसा के पात्र हैं यह तथ्य पूर्ण साधारण व्यक्ति को कई बार बेहतर भरोसा देते हैं और उन सर्वेक्षणों के निष्कर्षों को जानकर उपाय भाव से हतप्रभ रह जाया करता है ।
जिस चिकित्सक के पास वह गया है उसके निष्कर्ष कितने सही थे अथवा गलत है यह वह नहीं जान सकता और ना ही यह समझ पाता है। कि उसे जो दवा दी गई है वह कितनी हानिकारक है । स्मरण रखें जितनी भी तेज प्रभाव वाली औषधियां हैं वह उसकी स्वाभाविक क्षमता और रोग निरोधक शक्ति को क्षीर्ण कर देती हैं, और परिणाम तो उसे परिवर्तित प्रभावी और वह प्रभावों के कभी ना समाप्त होने वाले चक्र में फस जाना पड़ता है । स्वस्थ होने पर चिकित्सा के पास गया था और कभी ना समाप्त होने वाली चिकित्सा सदैव प्रतिकूल प्रभावशाली होती है। मैं यह नहीं कहता और ना ही किसी को निदान प्रक्रिया एवं ज्ञान को दोषपूर्ण बतलाने का मेरा उद्देश्य है ।क्योंकि प्रकृति के नियम के अनुसार कोई भी मानव संपूर्ण नहीं होता है ।और किसी परिस्थिति के मूल प्रभाव और विस्तार को ही समझ लेना बहुत कठिन है ।
कुंडली में पाए जाने वाले ग्रह नक्षत्रों का अवलोकन करने से ज्ञात होता है कि कौन से घर में कौन सा ग्रह बैठा है उसी के अनुसार उसका उपचार बतलाए जाने की व्यवस्था की गई है जैसे कि कुंडली के उपरी भाग में स्वास्थ्य देखा जाता है । अतः इस घर में अर्थात स्वास्थ्य वाले घर में कौन सा घर अथवा ग्रह बैठा है उसका उपाय करने से निदान संभव है। ऐसी स्थिति में उसकी रोकथाम करने हेतु आप स्वयं उपचार कर सकें ऐसी व्यवस्था गुरुजी सत्यवादी श्री राम धुन ने अपनी लेखनी के माध्यम से आम जनों को बतलाया है । अतः इस संबंध में निम्न बातों का भी अध्ययन किया जाना उचित होगा ।
प्रत्येक ग्रह अपने से सातवें भाव को पूर्ण दृष्टि से तीसरे और दसवें भाव को एक चरण दृष्टि से पांचवे नए भाव को दो चरण दृष्टि से तथा चौथे आठवें भाव को तीन चरण दृष्टि से देखते हैं पर मंगल चौथे व आठवें भाव में तथा शनि तीसरे दसवें भाव को भी दृष्टि से देखते हैं ।
हमारे यहां प्रत्येक मनुष्य की सनातन धर्म कुंडली अवश्य बनती है । भारतीय परंपरा की अपनी कुंडली रचना है ।भारतीय पद्धति में 12 खाने होते हैं और इन 12 खानों पर इसमें लग्न की राशि सबसे ऊपर लिखी होती है तथा उस राशि का अंक भी उसमें लिखा होता है भारतीय पद्धति में सबसे ऊपर का जो स्थान होता है वह सदा सदैव लगन का स्थान की होता है । जिस कुंडली में 3 का अंक है इसका तात्पर्य है कि मैं शादी क्रम से इस कुंडली का लग्न मिथुन है इसके बाद कर्क ही आदि राखियां समझनी चाहिए :-
भाव परिचय
(1) प्रथम- लग्न उदय तनु खाद्य जन्म कल्प विलगन पूरा अंक
(2) द्वितीय- राजकोट समिति बाग अर्थ नैन कोच द्रव्य मारी
(3) तृतीय- दृश्य क्या सहोदर पराक्रम वीर्य धैर्य छात्र विक्रम करण
(4) चतुर्थ - अशोक पता पाताल बुद्धि क्षति मात्र सूर्य यान इबुक वाहन अंबू
(5) पंचम- जी बुद्धि चित्र नंदन राज राज पंचायत भक्ति पित्र नंदन
(6) षष्ठम - रॉक अंग है रितु शास्त्र अंत अंश माथुर
(7) सप्तम- जाए तो काम कमल कल कल अत्र अस्तु संपत अंगना दारा भार्य युद्ध अस्त सप्तम
(8) अष्टम- आयु रंद्र मृत्यु दिनांक मृत्यु राणा बिना सन
(9) नवम - मुक्ति भाग्य गुरु शुभ तक धर्म नव अंक
(10) दशम- व्यापार भवन ज्ञान राजकरण पद पिता आकाश मकान
(11) एकादश- बसपा नेता भाव आय
(12) द्वादश- ड्राइवर हनी अनंत्य रिस्क
कुंडली के षष्टम भाव मैं रोग और उसके उपचार के बारे में दर्शाया गया है अतः हमारा विषय भी रोग और उपचार से संबंधित हैं अतः हम इसी का अध्ययन करने के लिए तत्पर हैं ।
भाग्य में जो लिखा है वैसा ही होगा अगर यह बात सच है तो किसी भी रोग की चिकित्सा कराने की आवश्यकता नहीं है ।परंतु हम ऐसा नहीं करते छोटी-छोटी बीमारी के इलाज के वास्ते भी डॉक्टर के पास जाते हैं ठीक उसी तरह से ज्योतिष विज्ञान में भी ग्रहों का उपाय लिखा हुआ है ।उपाय लिखने के पूर्व दो चार बातें आवश्यक जानकारी के वास्ते की जा रही है अगर यह सत्य है कि जातक के सभी कार्य ग्रह द्वारा संचालित होते हैं तो यह बात भी सत्य है कि - "शरीर में जो कुछ भी होता है या होगा ,वह सभी कुछ ग्रह के द्वारा ही हो ता है । अगर हमारे कार्यों में अड़चन उत्पन्न होती है या विवाह होने में अनावश्यक विलंब होता है या दुर्घटना होती है वह सभी एक तरह के रोग हैं ।जिस प्रकार रोग को दूर करने के वास्ते डॉक्टर के पास जाते हैं और सलाह लेते हैं और समय अनुकूल रोग ठीक हो जाता है उसी तरह ग्रहों का उपाय करने से लाभ होता है ।कभी भी एक ग्रह जातक को कष्ट नहीं दे सकता जब भी कष्ट होता है एक से अधिक ग्रह का साथ होता है जब कभी जन्म कालीन ग्रह अशुभ नक्षत्र भाव या अशुभ ग्रह से मिलते हैं तो कष्ट देते हैं ।अब कुछ उपाय प्रस्तुत किए जा रहे हैं कृपया उनका निदान करें ।
सूर्य :- सूर्य के लिए गुण रोली मिलाकर चोरी को 8:00 दें बहते पानी में खून बहा पर रविवार को केवल मीठा भोजन करें ।
चन्द्रमा :- दूध और जल मिलाकर चंद्र को आज दे या भगवान शंकर पर चढ़ाएं दूध या पानी रात को सिरहाने रख कर सुबह सीकर में डाले सोमवार को केवल खीर खाए या लौकी की सब्जी का प्रयोग करें
मंगल :- गेहूं का आटा चींटी को दें गुड़ दान करें रेवड़ी या बहते पानी में बहा दें मीठी रोटी कुत्ते को दें ।
बुध:- पीतल का पैसा अथवा वर्ण विच्छेद कर गले में पहने हथवा साबुत मूंग दाल व्यवहार करें हरी सब्जी का प्रयोग करें या दान करें सुराग वाला तांबे का पैसा बहते पानी में डाल दें
गुरू :- सफेद चंदन में हल्की हल्दी मिलाकर तिलक लगा दे दूध में हल्दी मिलाकर पिए गुरुवार को हल्दी का उबटन लगावे केसर का तिलक लगाएं खाएं और नाभि पर भी लगाएं
शुक्र :- गाय को प्रातः नियमित मैदे की रोटी दें गाय को नमस्कार करें शुक्रवार के दिन चावल मूंग की दाल का भोजन करें गाय का दान करें गाय को जो आर्या जरी दान करें
शनि :- सनी को बैगन का भरता काली उड़द की दाल का सेवन करें शनिवार के दिन सरसों के तेल की मालिश करें और स्नान करें स्नान के पूर्व पानी में 11 दाने काले तिल के डालें घर के नौकर को दान दे तेल सरसों का छाया पात्र में दान करें
राहू:- खिचड़ी का सेवन करें दाल चावल काली उड़द लाल मसूर एवं मूंग की दाल श्मशान में धूप और दीपक जलाएं पुराने वस्त्र का दान करें उड़द नौकर को दान करें मूली दान करें या कच्चे तेल काले कच्चे कोयले पानी में बहा दें
केतु :- चिड़िया कबूतर को दाना डालें पक्षी को स्वतंत्र करावे साबुत मसूर की दाल सेवन करें कुत्ते को खाना दे बिल्ली को ना मारे कुत्ते को मीठी रोटियां केवल तंदूर की ही डालें ।
भारतीय ज्योतिष: कमाल का ज्योतिष :-
कुण्डली का छठवां घर शत्रु और स्वास्थ्य से संबंथित होता है । इस घर में राहु अथवा केतु होने से जातक बहादुर बनता है वह अपने विरोधियों पर छाया रहता है मित्रों की बजाय उसके शत्रु बहुत होते हैं जातक एवं समृद्ध होता है। छठे घर में राहु -कमर के दर्द कहां होता है छठे घर में केतु होने का परिणाम माना- कैसे हो अन्य संबंधियों की कहानी अथवा जोड़ना होता है ।घर में किसी पूरी राशि में राहु या केतु निराकरण भी होता है - ऐसे जातक के दांत खराब होते हैं ।ग्रह में यदि राशी 1 4 8 9 10 में राहु होने का परिणाम ,दो विवाह के रूप में हो सकता है ।और पति कला फ्री होती है। राशी क्रमांक 3 -5 में राहु होने पर विवाह में विलंब अथवा इसकी समाप्ति हो जाती है । सातवें घर में केवल राहु होने पर जातक का दुख का है । अगर राहु के साथ कोई अन्य ग्रह पापी ग्रह हो अथवा राहु पर दृष्टि रखता है ।वृश्चिक राशि में सातवें घर में होने पर समृद्ध बनाता है ।केतु अन्य किसी भी राशि में सातवें घर में यात्राओं से धन हानि तथा व्यवहारिक अनबन का कारण होता है ।ऐसे जातक को जल्द से रहता है जातक को अपने व्यवहार करके जीवन सुखी बना सकता है । आठवे घर में राहु या केतु होने से जातक को पशुओं जंतुओं से भय रहता है । अगर किसी का राहु आठवें घर में राशी क्रमांक 2 4 8 या 12 में हो तो दीर्घ आयु का होता है । लैंगिक रोग आठवें घर में राहु या केतु होने से होते हैं महिलाओं के नवजात शिशु की हानि के कारण प्रसव में कष्ट होता है।
नवमे में घर में राहु भाग्य का ज्यादा होता है राशि क्रमांक दो तीन चार पांच या छह में हितकर होता है । अन्य राशीयो में भी वह विपत्तियों का और विरोध में से समृद्धि की ओर ले जाता है । ऐसा जातक नौवे घर में केतु होने पर सम्मानित होता है ।जातक में अपना धन, समय ,और शक्ति सामाजिक कार्य में दान करने की ओर झुकाव होता है । राहु नौवे घर में होने पर यशस्वी बनाता है।दसवें घर में राहु या केतु होने पर व्यक्तियों को उतना पैतृक सुख नहीं मिलता ।जितना सामान्य रूप में अपेक्षित होता है वह पेट के रोगों से पीड़ित होता है ।अन्यथा राहु दसवें घर में जातक को सौभाग्य शक्ति तथा महत्व प्रदान करता है राहु दसवें घर में राशि क्रमांक 2358 बाद 10 में होने पर जातक को राजनीति बनाता है राहु या केतु दसवें घर में विरोधी राशि में होने पर तथा एक या अधिक पाप ग्रहों की दृष्टि पड़ने पर जातक को निलंबित करता है दसवें घर में राहु एक बहुत बड़ी संपदा है जो जातक को धन आने की स्थिति में पहुंचा सकती है किंतु दसवें घर में केतु बहुत सा एक नहीं है राहु जातक के जीवन में हितकारी परिवर्तन लाता है।
केतु 11 घर में होने पर नेत्रों और गुप्त भागों के रोगों को को प्रदान करता है और जातक को कंजूस बनाता है राहु अथवा केतु 11 घर में होने पर संतति से संबंध रखने वाले दुख देता है अगर राहु या केतु किसी पाप ग्रह के साथ 11 वे भाव घर में बैठता हो तो कम से कम प्रथम संतोषी अत्यंत खतरे का कारण बन जाती है राहु ग्यारहवें घर में केतु के अपेक्षा अधिक हितकारी होता है राहु जातक को धन संबंधी चिंताओं से दूर रखता है ।राहु या केतु वाले घर में होने पर जातक को शत्रुओं से संरक्षण प्राप्त होता है केतु बारहवें घर में होने से ज्यादा को आनंद भी कटु प्रवृत्ति पर आती ।गुप्त रोगों का रोगी बनाता है और बुरा बनाता है ।
प्रत्येक राशि और प्रत्येक ग्रह किसी ना किसी तत्व से संबंधित रहते हैं इनके असंतुलन से कब बात आधी के कारण कई रोग हो जाते हैं ।इस समस्या को समझने के लिए हमें यह समझना चाहिए कि निरोगी होने और रोगी होने में क्या अंतर होता है ।स्वस्थ वह है जिस जातक की देन है पुष्ट है और वह अपना कार्य नियम अनुसार करते हैं जो भी वह है जिससे प्राणी का कोई भी अंग कार्य को ठीक प्रकार से नहीं कर सकता है यह रोग जो प्रकार से उत्पन्न होते हैं एक तो वंशा गत वातावरण और रहन-सहन के का रोग का । दूसरा कारण है दुर्घटना जहर छुआछूत की बीमारी मौसम में परिवर्तन रोक के पहले कारण जन और वातावरण के कारण होते हैं ।यह जातक के बस में नहीं होता परंतु दूसरे लोग का पता लगाकर उनसे किस प्रकार मुक्ति पाई जा सकती है इस विषय में ज्योतिष विज्ञान से बहुत सहयोग लिया जा सकता है ।मनुष्य के शरीर में 12 राशीयो में बांटा गया है और प्रत्येक मनुष्य के अंगो के विषय में ज्ञान देती है जैसे मेष राशि - आंखें दिमाग दूसरा - नेत्र ,हड्डी ,मान तीसरा - मिथुन -सांस लेने की नदी चौथा कर्क -बक्सर पेपर पांचवा -पीठ जिगर कन्या पेट के ऊपरी भाग वीडियो हड्डियां सातवा तुला -कमरिया आठवां वृश्चिक -जैनेंद्र या गुर्दा नवा धनु -जान और इनकी नशे मल स्थान दसवा मकर -जोड़ की हड्डियों और मांस 11 कुंभ -घुटने घुटने की हड्डी मांस और स्वास्थ्य क्रिया 12 मीन -चरण संपत्ति और पैर की उंगलियों और उनकी नसे ।
इसी प्रकार जन्मकुंडली को भी 12 भागों में बांटा गया है प्रत्येक भाव का जातक के शरीर से संबंध का विवरण इस प्रकार हैं :-
प्रथम भाव से -मुंह दास जी मस्त है दूसरे भाव से दाहिना नेत्र तीसरे भाव से -कान गर्दन आप चौथे भाव -से पेट गंदा पांचवे भाव से- कमर के ऊपर का भाग छठे भाग से -डायना पार्क गुप्त भाग सातवें भाव से -नाभि पेट का मध्य भाग आठवें भाव -से बाया बाबा गुप्त भाग नवम भाव से- कमर के ऊपर का भाग दशम भाव से वेट कंधा 11 वे भाव से -बाया हाथ कान गर्दन बारहवें भाव से -बाई आंख पैर का तलवा ।
कुछ लोग ऐसे आस्था की दृष्टि से देखते हैं उनके लिए अच्छी बात तो यही होगी कि यह अपने विचारों को अपने तक अथवा अपने वर्ग तक ही सीमित रखें और ज्योतिष व दोषियों की उड़ता और श्रेष्ठा का उल्लंघन ना करें अगर वह अपने भविष्य के स्वयं निर्माता होने के प्रति अत्यधिक विश्वासी हैं तो उन्हें अपनी समस्त शक्तियों को जनता का कल्याण करने में लगानी चाहिए या फिर अपने दुखों जीवनों को सुधारने अथवा अपना स्वयं का स्वास्थ इतना बढ़िया बनाने का यत्न करना चाहिए कि वृद्धावस्था रोग अथवा मृत्यु सदा के लिए समाप्त हो जाए । उनके लिए सिर दर्द करने वाली तथा जिन के विषय में उन्हें कुछ भी ज्ञान नहीं है ,ऐसी मान्यता प्राप्त अध्ययन की शाखा के उन्मूलन में उन्हें अपना समय नहीं करवाना चाहिए ।नौ ग्रहों के बारे में भी जाने और समझ ले।
(1) सूर्य :- पेट जलन ह्रदय रोग नेत्र रोग जिगर कोक में बीमारी चर्म रोग अस्थि शत्रुओं से भय अग्नि अस्त्र या बस से पीड़ा स्त्री या पुरुष ओं पुत्रों से पीड़ा चोर सिपाही सिपाही से वह सर से भय आदि आदि
(2) चंद्रमा निद्रा रोग हालत कब अतिचार शीत ज्वर भूख ना लगना स्त्रियों से व्यथा खून खराबी जल्द से वह थकावट आदि आदि
(3) मंगल अधिक प्यास लगना तो जोर-जोर अग्नि वेश्या शस्त्र से पोस्ट नेत्र रोग पेट में पीड़ा हड्डी के भीतर की कमी खुजली चमड़े में और ज्ञापन दे भांग चोरों से भाई मित्र पुत्रों से शत्रुओं से आदि आदि !
(4) शुक्र रक्त की कमी कब और वायु के दोस्त से नेत्र रोग मूत्र रोग जिनेंद्र यों में रोग पेशाब करने में कष्ट गिरी की कमी संभोग में आनंद की कमी शरीर में निर्बलता तथा चेहरे पर कांति हीनता आदि आदि
(5) बुध भ्रांति तर्कशक्ति ना रहे चिंता से मन उल्टा सोचने लगे मन में चिंता वह गलत धारणा हो जाए यह सब क्रांति के लक्षण है कटु बोलना नेत्र रोग गधे का रोग नासिक आरोप वात पित्त कफ ज्वर बीमारी चर्म रोग पीलिया जो शख्स खुजली यह सबूत के कारण होता है
(6) बृहस्पति रसोली अपाइनसाइट अंतरियो का द्वार मै रोग यह सब कब हो जाता है पता ही नहीं हैं कोन सा रोग इस से संबंधित हैं
(7) सब बात और कफ के द्वारा उत्पन्न रोग टांग में दर्द थकान क्रांति शरीर के भीतर बहुत उष्णता हो चोट हृदय रोग से क्यों यह सब राशियों भाव और ग्रह मिलकर कई प्रकार के रोग उत्पन्न करते हैं ।
ज्योतिष विज्ञान एवं लाल किताब
यूं तो ज्योतिष विज्ञान एवं राज किताब में ग्रहों के बुरे प्रभाव को नष्ट करने हेतु अनेक उपायों का वर्णन किया गया है जिन्हें संपन्न करके कोई भी जातक अपनी ऊपर से किसी भी ग्रह के अनिष्ट फलों को दूर कर सकता है फिर भी भी कुछ और उपचार दिया जा रहा है जिन्हें करके कोई भी लाभ उठा सकते हैं
चन्द्र की पीड़ा हेतु
"ओम हिम् नम:शिवाय" का जाप करे ।सफेद पुष्प सोमवार को कुंऐ मे अथवा बहती नदी मे प्रभावित करे ।चाँदी के पात्र मे जल पीऐ । सूर्यास्त के बाद दूध पीना व पिलाना वर्जित है ।सोमवार के दिन बबूल के पेड़ मे दूध पिलाऐ् ।
मंगल की पीड़ा हेतु
मसूर की दाल तथा को मंगलवार को पूरा करें गणेश जी के दर्शन करें गहरे लाल पुष्पों को को बहते जल में प्रभावित करें काली मिर्च में मंगल की होरा में निर्णय निर्जल रहे
बुध की पीड़ा
बुधवार को अमरीकी एवं तुलसी पत्र खाएं और और इलायची जल्द प्रभावित करें बुधवार को एक ही बार हरी मूंग अधिकारियों को दान कर बुधवार की होरा में निर्जल रहे
बृहस्पति की पीड़ा
तारा चमेली के फूल लेकर जल में प्रभावित करें पीले कनेर के पुष्प गुरु की प्रतिमा पर बढ़ाएं स्वर्ण के पात्र में जल पिए पीले पर किसी भी सौभाग्यशाली को देवें गुरु की होरा में निर्जर रहे
शुक्र की पीड़ा
सफेद दोस्तों को नगरी में जमा करें ओम नमः का जाप करें और खिलाड़ी का चयन करें
शनि की पीड़ा हेतु
, कपूर को खोपरे के तेल में मिलाकर सिर में लगा है काले उड़द जल में प्रभावित करें काले उड़द एक मुट्ठी भिखारियों को लोहे के पात्र में जल योजना की वर्तनी की ओर में निर्जल रहे
सूर्य की पीड़ा हेतु उपाय
रविवार दोपहर में दही चावल का सेवन करें 21 कमल के फूलों को गणपति पर चढ़ाएं सूर्य की होरा में चल रहे हैं
राहू की पीड़ा हेतु
सनी की होरा में निर्जल रहे काले धतूरे के पुष्प शिवजी पर जहां वे लोहे के पात्र में जल लादी ग्रहण करना बजे है ।।
केतु की पीड़ा हेतु लोहे के पात्र में जल आदि ग्रहण करना वर्जित है शनि एवं गुरु की कोरा में निर्यात निर्जल रहे इस प्रकार ग्रहों की पीड़ा दान करने हेतु विधान है उपाय पीछे वैज्ञानिक कारण यह है कि उपाय की वस्तुएं किस रंग की होती है संबंधित ग्रह की करने भी उसी रंग की होती है ऐसे ही उपाय से टकराती हैं वैसे ही परिवर्तित हो जाती है क्योंकि यह प्रमाणित है कि जिस वस्तु को हम जिस रंग को हम देखते हैं वह वस्तु वही रंग हमारे और खेती है इस प्रकार इस ग्रह की हानिकारक किरणों से हमारी रक्षा होती है इनके पीछे यही कारण है ।।।
लाल किताब के सुनहरी उपाय
यहां पाठकों को पर्वत परामर्श दिया जाता है कि वह ग्रहों का अध्ययन एवं दोष निवारण गंभीरता एवं विश्वास पूर्वक करें इसके विषय में किसी भी प्रकार से आतंकित होने की आवश्यकता नहीं है आगे बढ़ने सभी बातों को पढ़ें एक बार समझ में ना आने पर सावधानीपूर्वक कोना कोना पढ़ें
कुंडली के छठवां भाग में स्वास्थ्य से संबंधित जो भी ग्रह होते हैं पाए जाते हैं उनको दूर करने के लिए कष्ट निवारण करने के लिए उनके उपाय करना बहुत ही ज्यादा जरूरी है अब यहां पर कुंडली के बारह भाव में जो भी ग्रह पाए जाते हैं या होते हैं तो उनके उपायों का विवरण निम्नानुसार होगा:- पस्ठ भाव मोजूद गृह - --
सूर्य - नाना नानी की ओर से सुखी मुकदमों पर अधिक है शत्रु दफ्तर रहेंगे आगे पर भरोसा रखने वाला बेफिक्र ।
चंद्र- अगर नंबर 4 भाव में चंद्र का शत्रु ग्रह हो तो माता का सुख प्राप्त नहीं होता 24 वर्ष में कुआं नल लगवाना अशुभ परंतु अस्पताल संतान में प्याऊ नल लगवाना उत्तम पिता को दूध पिला में सूर्य मंगल बृहस्पति का दान देना अच्छा फल देगा दूध का दान तभी ना करें
मंगल - यहां मंगल के उपाय से ठीक किया जा सकता है शनि का उपाय सहायक होता है इस घर में मंगल के होने पर केतु शुक्र का प्रभाव मंदा हो जाता है भाइयों की की हानि कराता है उपाय कन्याओं को दूध दान चांदी चावल का दान शुभ फल देगा बच्चों को सोना नहीं पहना ना चाहिए
बुध :- यह उच्च भाव खा रही है सोना धारण करने से लाभ होगा स्वेच्छा धारी कन्याओं से आशीर्वाद लेना शुभ रहेगा उपाय चांदी की अंगूठी उंगली में पहने
गुरू वृहस्पति
केतु के उपाय द्वारा ठीक किया जा सकता है कुत्ता पालें सोना पहने पीपल में पानी दे देंगे
शुक्र
सुख जब का जब भी किसी नर ग्रह के साथ संबंध होता है तो जातक धन कमाता है कन्या अधिक होंगी विद्या में रुकावट वासना कम विवाह देरी से धन की हानि वासना की पूर्ति के लिए स्त्रियों की प्रशंसा करें उपाय चांदी की गोली अपनी जेब में रखें अगर पत्नी बीमार रहे तो गुप्त स्थान हो गए
शनि
छोटा भाई शत्रु बन जाता है बड़े पुत्र का व्यापार फ्री नहीं होता है 28 वर्ष आयु से पहले का विवाह माता पत्नी संतान के लिए अशोक प्रस्ताव देता है 28 वर्ष के बाद का विवाह अच्छा प्रभाव देता है जन्म से वर्क चमड़े के जूते मशीनरी घर में मात्राएं हानि करेंगे उपाय तेल से भरा बर्तन खड़े पानी में दबाए कुत्ता पालने नारियल या बादाम पानी में हाय
राहू - उच्च भाव भाव का राहु धनवान भाग्यवान शत्रु नष्ट नानपुर में किसी की मृत्यु शीघ्र आवारा लोग दोस्त बन जाए करते हैं भाई का बुरा करना अपनी संतान के लिए पूरा होगा उपाय कुत्ता पालना जेब में सिक्के की गोदी रखना भी अच्छा फल देता है
केतु :- भाव 6 मई बैठा हुआ राहु केतु खराब नीच फल देता है बुढ़ापा हल्का करता है मामा और माता का स्वास्थ्य ठीक नहीं रहता है उपाय सोने की अंगूठी बाएं हाथ में पहने और कुत्ता पाले ।
पेड़- पौधो से उपचार :-
प्रकृति ने आमजनो को जब जीवन जीने के लिऐ अनेक साधन जुटाए है तो उसके उपचार भी बतलाऐ है ।
कलौंजी एक विलक्षण गुण रखने वाली और रासायनिक शक्ति वर्धक औषधी सिद्ध हुई है। इन्हीं अनेकानेक गुण रखने के कारण ही संपूर्ण मानव जाति के स्वास्थ का इलाज हो सकता है इसी को दृष्टि में रखकर प्रत्येक रोग को उस रोग के उपचार के लिए कलोंजी के तेल का उपयोग करने की निम्न विधि बतलाई गई है:- प्रकृति से प्राप्त चिकित्सा और उसके उपचार विधि :- "# कलौंजी" #
रोग और उस रोग की चिकित्सा की विधि
(1) दमा खांसी एलर्जी :- इन रोगों की चिकित्सा के लिए एक फौजी को उपयोग करने की विधि यह है कि गर्म पानी में एक चम्मच शहद और तथा आधा चम्मच कलौंजी का तेल मिलाकर सुबह खाली पेट में पी लेना चाहिए फिर रात में भोजन के उपरांत सोने से पूर्व उसी प्रकार आधा चम्मच कलौंजी और एक चम्मच शहद गर्म पानी में मिलाकर इन दोनों का सेवन कर देना चाहिए इस प्रकार 40 दिन तक दो बार किया करें ।
"नीम से हो सकेगा कोरोना का इलाज"
फेफड़ो मे होने वाला संक्रमण रोकती है नीम की छाल :-
"यूनिवर्सिटी ऑफ कोलाराडो में हुई एक नई रिसर्च में कहा गया है कि नींम के झाड़ से कोरोना का इलाज किया जा सकता है यह रिसर्च बायोलॉजी जनर्ल मे प्रकाशित हुई है जर्नल मे कहा गया है कि नींम की झाड़ से ऐसे एंटीवायरस गुण होते हैं जो कोरोना वायरस के मूल रूप और न ए वैरिएन्टस को टारगेट कर सकते हैं । गौरतलब है कि नीम की छाल पहले से ही मलेरिया पेट के छाले ,त्वचा की बिमारीयो आदि के इलाज में काम आती है । कंप्यूटर मॉडलिंग के जरिए यह पता लगाया गया है की नीम की छाल का रस वायरस के स्पाइक प्रोटीन से चिपकने में सक्षम है । इससे कोरोना वायरस इंसानी शरीर के होस्ट सेल्स को संक्रमित नहीं कर पाएगा । फिलहाल खोजा जा रहा है कि छाल के रस से कौन सा केमिकल कोरोना के खिलाफ के काम करता है । ★★★
लोगो ने यह भी जाना घाहा ?
(1) कलौंजी कितने प्रकार के रोगो मे काम आती है ?
(2) कलौजी कहां कहा पाई जाती है ?
(3) कलौंजी से असाध्य रोगो मे कितना लाभ है ?
(4) साइड इफेक्ट के बारे मे भी पूछा ।
2) मधुमेह ( डायबिटीज ) का इलाज मे भी कलौंजी का उपयोग किया जाकर इस बिमारी से छुटकारा पाया जा सकता है । ये छोटे छोटे इलाजो का निदान होना भी जरूरी है ।
कलौंजी की सेवन विधी :- एक कब काली चाय में आधा चाय का चम्मच कलौंजी का तेल मिलाकर सुबह नाश्ते से पहले ही देना चाहिए फिर रात में भोजन करने के पश्चात होने से पहले एक कप चाय के वेकेशन में एक चम्मच कलौंजी मिलाकर पीने से लाभ मिलता है इस प्रकार दिन में दो बार इसका सेवन करना चाहिए चिकनी पदार्थों के उपयोग से बचें इस इलाज के साथ अंग्रेजी दवा का उपयोग ना करें और 20 दिनों के पश्चात मधुमेह की जांच कराएं तो आप देखेंगे कि आपकी शुगर नॉर्मल हो गई है ।
हार्ट अटेक, हृदय रोगो के के उपचार :-
कलौंजी हृदय रोगों के उपचार मैं भी इसका उपयोग किया जाता है और लाभ भी हराया देखने को मिला है इसकी विधि इस प्रकार से है एक कब तुझ में आधा चम्मच कलौंजी का तेल मिलाकर प्रतिदिन दो बार इस्तेमाल करें इस तरह 10 दिनों तक उपचार चलता रहे तो हृदय रोगों के व्यक्तियों को लाभ मिलता है गलिष्ठ भोजन का उपयोग ना करें ।
कैंसर :- कैंसर जैसी बीमारियों में कलौंजी का उपयोग और लाभ भी प्राया देखने को मिला है।
आंतों का कैंसर ब्लड कैंसर कंठ कैंसर आदि अनेक प्रकार के कैंसर रोग से मुक्ति प्राप्त करने के लिए एक गिलास अंगूर के जूस में आधा चम्मच कलौंजी का तेल कैंसर रोग से मुक्ति प्राप्त करने के लिए एक गिलास अंगूर के जूस में आधा चम्मच कलौंजी का तेल मिलाकर दिन में तीन बार सेवन करें सुबह निरादर दोपहर भोजन के पश्चात तथा रात में सोते समय लेना चाहिए ।
लोग यह भी जाना चाहते है :-
(1)कलोंजी और कितने रोगो मे काम आती है !
(2) इसके सेवन से कोई साईड इफेक्ट्स ?
(3) कलौंजी के अलावा और कोई दवा है ?
(4) रोगमुक्त होने की क्या गारेन्टी है ?
कलौंजी बहुत से रोगो मे काम आती हैजिनके बारे मे आगे चलकर बतलाया जावेगा ः
यह पूर्णतया आयुर्वेदिक इलाज है जिसका कोई साइड इफेक्ट्स नही है ।
एलोपैथी महगा ईलाज है । आयुर्वेद, होम्योपैथी इलाज के अलावा प्राकृतिक ईलाज भी है जो सटीक और कारगार है । अतः गुरुजीसत्यवादी श्रीरामधुन के लिखे गए लेख को पढ़ते रहे । यह सेवा जनहित मे निशुल्क है कृपया गूगल पर सर्च करे "श्रीरामधुन"shriramdhuncom. .
वर्तमान समय में देश मे नानाप्रकार की बीमारियां चल रही हे । अभी भी कोरोना संक्रमण बीमारी का समापन नही हुआ है । अभी भी क ई देशो मे लाँकडाउन लग रहा है और लगा हुआ है ऐसे मे हमे अपना ध्यान स्वंम रखना होगा। ता०06-04- 2022 को भारत के मुम्बई मे कोरोना आमेक्रान के पहले केस की पुष्टि होने पर स्वास्थ्य विभाग मे सतर्कता बरतने के लिए एलर्ट जारी ।
गुरुजीसत्यवादी श्रीरामधुन
आज देश मे सारी चीजो का वयवसाहिक करण हो गया है । कोई भी क्षेत्र अछूता नही है ।
आज देश ने अनेको प्रकार से स्वस्थ्य विभाग मे कार्यरत कर्मचारियों को भगवान का दर्जा अलग अलग से दिया है आज वे ही भगवान भी व्यसायिक हो गया है । आज ईलाज मंहगा हो गया है । रोगो के इलाज हेतु गुरुजीसत्यवादी श्रीरामधुन ने अपने लेखो द्वारा पुरानी चीजो का ,दवाओं, जड़ीबूटियों के अलावा हस्तरेखा,कुण्डली, अंकज्योतिष, के द्वारा सरल और सस्ता इलाज बतलाऐ है ।
कलौंजी एक प्रचलित ऐसा प्राकृतिक पोधा है जो सैकड़ों ईलाज मे का आता है ।
लोग यह भी पूछते है :
(1) कलौंजी से हृदय रोग मे भी काम आती है
कृपया उपचार की विधी बतलाऐ ।
कलौंजी ही है जो अनेको उपचारों के काम आती है । हृदयरोगियों को एक कप दूध मे आधा चम्मच कलौंजी का तेल मिलाकर दिन मे दो बार दे ।इस तरह से दस दिन पिलाऐ् । इस बीच उन्हें गलिस्ठ भोजन नही करना चाहिए ।
लोग यह भी पूछते है ?
(2) क्या कलोंजी मधुमय रोगी को भी जा सकती है ?
कलोंजी बहुत सी बिमारीयो मे काम आती है तो मधुमय डायबिटीज रोगी को भी जा सकती है ।विधी इस प्रकार से है -:- एक कप काली चाय आधा चम्मच कलौंजी का तेल मिला कर सुबह खाली पेट मे पीऐ और रात्री मे भोजन करंने के पश्चात सोने से पहले ले ।इस प्रकार से दो बार इसका सेवन करे ।
विशेष टीप:- चिकने पदार्थ और गलिस्ठ भोजन का परहेज करे । जो भी दवाऐ ले रहे है उसे लेते रहे ।
(3) कलौजी हृदय रोगी को भी दी जा सकती है :- एक कप दूध मे आधाचम्मच कलौजी का तेल मिलाकर प्रति दिन दो बार इस्ते माल करे चिकने व आयलीउक्त भोजन का परहेज करे ।
(4) पोलियो और लकवा के रोगीयो को भी करौजी की दवा कारगार है । विधी -एक कप गरम पानीमे आधा चम्मच कलौजी का तेल और एक चम्मच शहद मिलाकर सुबह के समय ले और रात्री मे सोने पहले पीऐ ।
(5) जोड़ो के दर्द - एक चम्मच सिरका,आधा चम्मच कलौजी का तेल,एक चम्मच शहद मिलाकर सुबह शाम पीए ।
(6) अजीर्ण, पेट की जलन व दर्द के लिए -तथा
(((7) मोटापा कम करने के लिए - एक चम्मच अदरक का जूस ,आधा चम्मच कलौजी का तेल मिला कर दिन दो बार ले ।
(8) स्मरण शक्ति बढ़ाने के लिए :- 100ग्राम पौदीना उबाल कर उसमे आधा चम्मच कलौंजी का तेल मिलाकर दो बार सेवन 21 दिनो तक करे ।
(9) ताजगी एवं सुन्दरता के लिए :- आधा चम्मच कलौंजी का तेल मे एक चम्मच जैतून का तेल मिलाकर उसका लेप मुँह पर लाने पर चेहरे पर निखार आता है ।
(10) विशेष गुप्त अंगों पर सूजन आने पर लगाने से लाभ मिलता है।
(11) सिर दर्द :- कलौजी का तेल सर मे तथाकानो के मालिश करने से लाभ मिलेगा।
(12) दिमागी बुखार :- कलौजी की भाँप ले तथा नीबू और कलौजी का मिलाकर 2-3 दिन तक पीऐ ।
13) बवासीर :- रक्त का प्रवाहित, मल विसर्जन ना होने पर कलौजी के आधे चम्मच तेल मे बिना दूध की चाय मे ले ः। गर्म चीजे का परहेज ।
(14) गुर्दा,मूत्रनली एवं मूत्राशय मे पथरी होने पर कलौजी तेल मे दो चम्मच शहद मिलाकर खाली पेट मे पीए ।
(15) पुरुषों से संबंधित कमजोरी :- निद्रा मे वीर्यपात होने पर तथा कमजोरी के कारण एक कप सेव के साथ आधा चम्मच करौजी का तेल के साथ सुबह-शाम पीऐ ।21 दिनों तक सेवन करे ।
(16) खासी,बलगम:- एक कप गर्मपानी दो चय्यच शहद और आधा चम्मच कलौजी का तेल
मिलाकर दो बार सेवन करे ।
(17) जोड़ो का दर्द :- एक चम्मच सिरके ,दो चम्मच शहद और आधा चम्मच कलौजी मिलाकर सेवन करे ।मालिश भी करे ।
(18) अच्छी नींद के लिऐ आधा चम्मच कलौजी के तेल के साथ एक चम्मच शहद दोनो समय ले
(19) पेट दर्द :- एक गिलास मोसम्मी के जूस मे दो चम्मच शहद आधा चम्मच कलौंजी का तैल दिन मे दो बार बीस दिनो तक ले ।
(20) पथरी :- एक कप गरम पानी के साथ दो चम्मच शहद और एक चम्मच कलौंजी का तेल सुह शाम ले ।
(21) इसके अलावा निम्न बीमारियों मे भी कलौजी का तेल काम आता है :- दमा खांसी एलर्जी मधुमेह हृदय रोगों के उपचार उद्योग तथा पुष्पा जोड़ों का दर्द नसों का दर्द अजीत पेट की जलन और तकलीफ स्त्रियों के पुत्रों की महिलाओं के गुप्त, रोगों की चिकित्सा कैंसर स्मरण करके गुर्दे की पथरी* दूरी विशेष स्थान पर आए उनकी चिकित्सा गिल्टी के शो का समय गिरना दिमागी बुखार दस्ताना गुर्दों की तरह की बवासीर 24 संबंधी रोग साधारण पेट में कड़वे जाने क्रीम गुर्दा मूत्र नदी एवं मूत्राशय में पथरी का होना मिर्गी का रोग कान के रोग दांतों के रोग पुरुषों से संबंधित रोग दिल का दौरा पेट के विकार पेशाब में जलन पेट में खून चूसने वाले की गई जोड़ों का दर्द पेशाब में जलन पास में साहित्य अकादमी के लिए दांत और मसूड़ों की पीड़ा जुकाम त्वचा से संबंधित थोड़ा मौर्य के की सुंदरता बवासीर मसा जिगर की राशि पेट की बीमारी मासिक धर्म की पीड़ा अच्छी नींद आने तंदुरुस्ती के लिए त्वचा और चमड़ी का रोग पेट का दर्द पथरी और तथा सफेद दाग विविध प्रकार के पेट दर्द के लिए फिर के बाद से लेकर गंजे गंजे सर पर बाल उगने के लिए गठिया जोड़ दर्द कमर दर्द पुरानी खासी काली खांसी कान के संपूर्ण रोग महिलाओं की मासिक कीड़ा सर्दी जुकाम मर्दाना कमजोरी और राज्य ऑडियो आदि रोगों में काम आती है ।
"ज्योतिर्विद" गुरुजीसत्यवादी श्रीरामधुन
टीलेश्वर माहराज , भोपाल म०प्र०
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