भड़काउ भाषण,टिप्पणी बंद होना ही चाहिए ..

वर्तमान समय मे मीडिया, सोसल मीडिया पर कोई भी नेता,व्यक्ति आऐ दिनो भाषण अथवा टिप्पणी करके अपने आप को प्रसिद्ध करने हेतु कुछ भी अनाप सनाप बोल देता है । इसके इन कार्यो से देश की अराजकता, फैलती है और देश का माहोल खराब होता है और देश को अनावश्यक हानि होती है । वैसे भी धर्म के नाम से कई बार छोटी-छोटी बातो पर झगड़ा होना आम हो गया है ।सभी धर्मों के ठेकेदार अपनी-अपनी राजनीति की रोटिया सेंक रहे है । धर्मों  की  आड़   लेकर अपना उल्लू सीधा कर रहे है । सरकारभी इनका साथ दे रही है और भेदभाव भी बरत रही हे । जैसा दिल्ली मे हुआ था । नियम सबके लिए बनाए जाते  है और सब पर लागू भी  होते  हे   इसमे भेदभाव नही होना चाहिए । देश में नफरत की प्रति राखी की ने नई बहस को जन्म दिया है उत्तराखंड के रुड़की के धर्म संसद में भड़काऊ स्पीच नहीं हूं इसके लिए सुप्रीम कोर्ट को हस्तक्षेप करना पड़ा पिछले कुछ सालों में नफरत भरे बयान देकर सुर्खियों बटोरने की प्रवृत्ति बढ़ी है खासतौर से उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड में भड़काऊ भाषण एक परिपाटी बनते जा रहे हैं बड़े नेता भी आए थे भड़काऊ भाषण लिखकर बोलकर इशारों में या फिर किसी अन्य तरीकों से माहौल बिगाड़ने या हिंसा भड़काने का काम करते ही रहते हैं भड़काऊ भाषण के माध्यम से दो समुदाय या समूह के बीच सौहार्द बिगाड़ने की कोशिश आम हो गई है जो चिंताजनक है।
     किसी ऐतिहासिक स्थल मजार मजे दिया मंदिर पर्यटन स्थल में प्रवेश के नियम कानूनों को बताते हुए जबरन प्रवेश की घटना भी बढ़ रही है ताजा मामला आगरा के ताजमहल में से जुड़ा हुआ है जहां पर लोहे का अरमान लेकर धर्मचंद लेकर जा रहे अयोध्या के तपस्वी छावनी के महंत परमहंस को पुरातत्व विभाग के कर्मचारियों ने रोहिल्ला की विवाद बढ़ने से कर्मचारी ने माफी मांग ली लेकिन अब इन मामलों को आना बस तूल दिया जा रहा है ध्वनि प्रदूषण के नियमों का पालन टी आर ए का एक पूरे देश में लाउडस्पीकर मुद्दा बन गया है इस पर संविधान और कानून कि नहीं बल्कि धार्मिक भावनाओं और आस्थाओं की बात हो रही है इन हालात में बीच में सुप्रीम कोर्ट का ऑर्डर का यू भाषा या टिप्पणी पर निर्णय बहुत मायने रखता है सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट चेतावनी दी है कि इस तरह की भाषणों रोके जाएं तो मुख्य सचिव जिम्मेदार होंगे आदेश उत्तराखंड के मुख्य सचिव पर ही लागू नहीं होता वरन देश भर में इसका असर दिखाई देना चाहिए दरअसल इस अदालत को इस तरह का निर्देश इसलिए देना पड़ा कि निगम की नियम कानून के होते हुए अफसरों की ढिलाई के कारण कानूनों के पालन नहीं हो पाता। मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में तात्कालिक जिला अध्यक्ष ने अपने कार्यकाल अवधि में भोपाल में लाउडसकर की आवाज को धीमे करना और बंद करवाने हेतु कई आदेश निकाले किंतु शासन प्रशासन के दबाव में आकर कार्यवाही नागण्य शून्य  रही किंतु उनके कार्यकाल मे कुछ भी एक्शन नही हुआ ।यह बड़ी शर्मनाक बात रही फिर उन प्रशासनिक अधिकारी को डेप्यूटेशन पर केंद्र मे भेजा गया था ।ये सब बाते सरकार से छुपी नही है ।ऐसे बहुत सी बाते है जिनके अधार पर कोर्ट ने आदेश दिया है जो बहुत ही जरूरी भी था । अत: ऐसे समय में और माननीय न्यायालय के आदेश का पालन पूरे देश में मुस्तैदी के साथ लागू  किया जाकर भड़काऊ भाषण,टिप्पणी, पर प्रतिबंध लगाया जाऐ और उंची आवाज से बजाने वाले लाउडस्पीकर पर प्रतिबंध लगाने हेतु माननीय न्यायालय को हस्तक्षेप करना ही पड़ा।
चूंकि सरकार कुछ नही कर पा रही थी म०प्र० सरकार ने कमिश्नरी प्रणाली भोपाल और इंदोर मे लगाई है जिसकीव्यवस्था बनाने सरकार का अत्यधिक धन भी व्यव  हुआ है किन्तु आज तक कोई खास बदलाव नजर नही आया ।इसका भी जबाव प्रशासन को देना होगा नही तो मान० न्यायालय को भी इसमे हस्ताक्षेप करना ही पड़ैगा ।
 'गुरुजीसत्यवादी श्रीरामधुन "


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