सत्य के साथ वक्त चलता है !

     वक्त कितना ही खराब चल रहा हो सत्य के साथ चलोगे तो भले ही थोड़ा समय जरुर लगेगा किंतु जीत निश्चित है। इस जीत मे लोभ,लालच,मोह, माया,ममता को भी धीरे-धीरे त्याग करना भी जरुरी है । त्याग का संबंध आंतरिक मन से पैदा होता है आंतरिक मन का मापदंड बाहरी मन पर बार - बार समप्रेषित करने से एक स्थाई विचार उत्पन्न होगा यही पर इंसान की जीत कामयाबी दिलाएगी ।
    कामयाब इंसान धीरे-धीरे अपने नियम और कर्म की राह मे पदभ्रष्ट होने लगता है चूंकि उसकी आवश्यकताऐ बढ़ने लगती हे ।और यही आवश्यकताऐ उसे गर्त की ओर ले जाने लगती है ।और यही गर्त एक अच्छे इंसान की आवश्यकताओ को बढ़ाते रहती है और इंसान ,इंसान नही रहता है । इसान की सोचने समझने की शक्तियों धीरे-धीरे नष्ट होने लगती है ।यह सब एक भ्रमजाल होता है जिसमे से वह चाहकर भी निकल नही पाता है । ऐसे लोग नेता और सरकारी अफसरो की तरह अपना जीवन व्यतीत करने के आदि हो जाते है और मकड़जाल मे उलझकर रह जाते है ।
इनके साथ जो भी इनके दोस्त-रिस्तेदार भी उसी मकड़जाल मे फंसकर वे भी निकल नही पाते है । इस मकड़जाल मे से आज  तक कोई निकल नही पाया है । 
    अतः ऐसे लोग शातिर मदमास होते है । इस बीच उन्हे जुर्म करते करते इतने परांगगत हो जाते है कि इन्है पकड़ पाना बड़ी मुश्किल हो जाता है ये लोग दूसरो कौ फंसा देते है और अपना पाक दामन पर आँच तक नही आने देते है तथा शासक बनकर राज करते रहते हैं।यही से उनका बुरा वक्त शुरू हो ता है । अब इन्हीं के इसारे पर देश चलता है । ऐसे लोग शासन को चलाने मे माहिर होते है । सब बुरे काम करते है फिर भी अच्छे बनने का ढ़ोग करते है ।आज दुनिया मे जितने भी बुरे काम है उन सबकी अगुवाई के अलावा ये नेता और अफसरो के संरक्षण मे होता है । एक चपरासी हो या गांव.का एक  पंच हो, दोनो ही अफसरऔर मंत्री होते है । दोनो की एक ही कैटेगरी है ।
      सरकारी अफसर और वरिष्ठ नेता यह जान ले और समझ ले कि उनकी अव्यवास्थाओ के कारण रोजाना तो नही किंतु सप्ताह मे एक परिवार बढ़ती महंगाई और बेरोजगारी के कारण अपने पूरे परिवार सहित आत्म हत्या करने विवश है फिर भी सरकार कोई एक्शन नही ले रही हे । ऐसे प्रकरण सरकार की असक्षमता के कारण हो रहा है अतः या तो सरकार दोषी है या उनके अफसर !कार्यवही तो होनी चाहिए ? किसी ना किसी को तो ऐसी आत्महत्याओं का जिम्मादारी उठानी ही पड़ेगी । एक ना एक दिन इसका हिसाब देना ही पड़ेगा चूंकिहम हिन्दुस्तानी हिन्दु लोग है और हिन्दु थर्म को मानने वाले लोग है ।अतः ऐसी आत्महत्या करने वाले लोग अपना हिसाब तो लेकर ही रहेगें । आज हम स्वयं देख रहे है कि ऐसे भ्रष्ट अफसर और नेताओं की औलादे कैसे भुगत रही है यह भी सारी दुनिया जानती है और हम समचार पत्रो मे भी पढ़ते रहते है । हमारे देश मे कानून व्यवस्था पर भी समय समय पर उंगलियां भी उठती रहती है । किंतु कुछ दिनो से मान०न्यायालय ने बहुत कुछ कानून मे संशोधन कर जनहित मे अनेको कार्य भी किऐ है जो तारीफे - काबिल है । बिगड़ी हुई व्यवस्था को सुधारने मे थोड़ा समय जरुर लगेगा।
गुरुजीसत्यवादी श्रीरामधुन

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