म०प्र० शासनकाल मे आखिर चल क्या रहा है ?
म०प्र० शासनकाल बहुत अच्छे अच्छे कार्य हो रहे है जो केन्द्र सरकार भी कभी नही कर सकती ? राजनीति की दौड़ मे दौड़ पाना एक चुनौतीपूर्ण कार्य है । इसमे ज्यादा देर टिके रहना ही सफलता का राज है ।इस सफलता को हासिल करने के लिए बहुत कुछ खोना पड़ता है ।क ई लोग अपना जमीर को बेचकर सफल हो जाते है तो क ई लोग असफल हो जाते है इसी वजय से कहा गया है कि " राजनीति मे सब जायज है "।भारत मे प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के कार्यकाल को लगभग 8 वर्ष पूरे हो चुके है । उम्र का पड़ाव का फैसला धीरे-धीरे कम होता जा रहा है।प्रधानमंत्री की दौड़ ये लोग प्रयासरत है :- श्री राजनाथ सिंह,अमित शाह, आदित्यनाथ योगी,शिवराजसिंह ठीक इसी प्रकार से हर प्रदेश के लोग मुख्यमंत्री की दौड़ मे प्रयासरत है।
म०प्र० के मुख्यमंत्री के दावेदार है, ये लोग - शिवराजसिंह के अलावा कैलाश विजयवर्गीय, नरोत्तम मिश्रा, सिधिया,गोपाल भार्गव आदि आदि शामिल है । अथवा कुछ ओर भी इससे अच्छा या बुरा हो सकता है।
म०प्र०ओर छत्तीसगढ़ के बंटवारे मे सबसे ज्यादा नुकसान म०प्र० का हुआ । कोरोनाकाल के बाद तो म०प्र० की हालत,आर्थिक हालत मे सुघार नही हुआ बल्कि महगाई और बेरोजगारी की दशा बद् से बदत्तर हो गई और म०प्र० सरकार कर्ज का बोज बढ़ते ही जा रहा है । आमजनता तो समझ नही पा रही है किंतु बुध्दिजीवी वर्ग सब समझ रहा है।
हमारा देश भी लीज रेंट के बोझ तले दबा हुआ । कई देशो ने इसे समाप्त कर दिया है किंतु भारत ने नही अब यदि यह बंद कर दिया जाता है आमजनो के खाते मे तथा देश की उन्नति मे यह पैसा काम आ सकता है।
भारतीय अपने मकान ,दूकानो व सम्पति कर तो समय पर दे रही है किंतु हमारा देश आखिरकार क्या कर रहा है और इस तरफ उचित कार्यवाही क्यो नही कर रहा है ।यह सच सबके सामने आना ही चाहिए। सही है तो,सही है । यदि झूठ है तो झूठ । कोई बात नही । आमजनता का भ्रम तो दूर होगा । आज-कल-आज-कल देखने मे यह आ रहा है कि सरकारी योजनाओं के चलते सरकार आमजनो से आर्थिक सहायता मांग रही है यह मैसेज आम- जनता तथा अन्य देशो के लिऐ ठीक नही है । जबकि वर्तमान समय चुनावी समय चल रहा है । चुनाव के नजदीक आते-आते प्रलोभन स्वरूप कुछ घौषणाऐ भी की जा रही है । दामो मे भी कमी की जा रही है ।सरकारी अनाज भी रेग्युलर अधिक दिया जा रहा है । ऐसी ऐसी घोषणाएं की जा रही है जो चुनाव से ही संबधित हे । ये सब ठीक नही है । कही ना कही सरकार चुनावी प्रक्रिया अथवा चुनाव कराने से डर रही है ।डरना एक स्वभाविक प्रक्रिया है । डर सबको लगता है । म०प्र०मे त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव कार्यक्रम घोषित । डेड़ माह मे बन जाएगी "गांव की सरकार" । एक अजीबोगरीब घोषणाओं के साथ "समरस पंचायतों" को मिलेगा 15 लाख तक का पुरस्कार" । चार श्रेणीथो मे 50 लाख तक पुरस्कार ।आखिरकार ऐसी घोषणाएं को आम जन के सामने परोसने का आशय् या है ?
म०प्र० के मंदसौर मे एक एक थार्मिक गुरु भहामण्डलेश्रर ने दी सनातन धर्म की दीक्षा दी और एक मुसलमान को हिन्दु राजपूत बनाया और कहामुस्लिमो के पूर्वज राजपूत है और पूरे ब्रह्मांड के लोग सनातनी है ? आखिर ऐसी घटनाएं क्यों हो रही है ? गोबर और गोमूत्र स्नान से इंसान अपने धर्म को भूल जाता है ? यह एक प्रश्न है जिसका जबाव कल-आज-कल मे इतिहास जरूर करेगा ?
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