मै और मेरी फूलो की माला

मै और मेरी फूलो की माला कहानी वर्षो से चली आ रही है किंतु इस बात पर आज तक किसी ने भी कभी गौर नही किया होगा ? आज मै आपको इसका राज बतलाता हूं :
1* किसी के पास नही है कि वह दूसरो के स्वागत करने मे अपना समय और पैसा बरबाद करेगा ।
2* जिस भी नेता को अपना स्वागत करवाना होता है वह अपने 8-10 चमच्चो के साथ जाता है और साथ मे फूलो की माला लेकर जाता है और अपने आदमीयो से वहांं के उपस्थित लोगों मे बटवा देता है ।वे सब लौग स्वागत् करते है और फोटोवीजन का हिस्सा बनते है । "तेरा,तुझको अर्पण"।
यह एक परम्परा बन गई हैं जो स्वागत्
करने का तरीका बन गया है ।
कुछ-कुछ जगह तो ऐसा ही होता है और कुछ जगह अनोखी परम्पराऐ भी
प्रचलित होती है जिनको अभी बतलाने का कोई औचित्य नही है ।
3* बड़े-बड़े नेता तो आजकल पैसा खर्च कर रोड-शो करते है ।इनके कार्यक्रम मे फूल-माला के स्थान पर फूल बरसाते है तथा प्रतिउत्तर मे नेता
अपना हाथ हिलाते है और ना चाहते भी हंसने की कोशिश करते है । यह 
रोड शो एक ही बार चलता है ।मूल तत्ववाला नेता तो आमजनता के बीच
रहकर हरिजनों के घर खाना का ढ़ोग
करते है । यह सब तो राजनीति मे चलते ही रहता है 
4* चुनाव के समय सरकारी मिशनरी का प्रयोग करते है चुनाव आयोग को पता भी नही चलने देते है । चुनाव आयोग के पदाधिकारी भी अधिकांश कृपापात्र होने के कारण अनदेखा कर देते है ः
5*ऐसे ऐसे अनेको कारण है जो जनहित मे ठीक नही है तभी तो सर-
कारे चल रही है और नेता लोग राज कर रहे है ।
गुरुजीसत्यवादी श्रीरामधुन

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