सफेदपोश की ताजपोशी की खुशीया या मातम !

आज का समय मे खुशी मनाए अथवा
मातम मनाऐ कुछ समझ मे नही आ रहा है । आखो का पानी सूख गया है,मन मे अजीब अजीब बाते आ रही और जा रही है । जिधर देखो उधर सन्नाटा का पसरा है । बाजार सूने पड़े
हुऐ है बस किराना की दूकानो मे थोड़ी
बहुत भीड़ दिखाई देती है वह भी रोज
कमाने-खाने वालो की कम भीड़ दिखाई दे रही है । बस सुनाई देता है तो चुनावी शोरगुल मे लाउडस्पीकर की आवाजो के साथ सफेदपोशो की भीड़ मे 4-5 लोगो का हुजूम जो घरोघर पहुंच कर अलख जगाने का कार्य कर रहे । चुनाव का समय आ रहा है वैसै वैसे पैसो की बरसात शुरू हो गई है किंतु इसी कारण सै आने वाला मानसून मे उमस की तपिस मे 2-4 दिनो की बढ़ोत्री होने की संभावना होती जा रही है ।
अब धीरे-धीरे यह सन्नाटा शोरगुल मे तबदील होता जा रहा हे जो सत्ता -
परिवर्तन की ओर इशारा कर रहा है ।
काग्रेस कमलनाथ की रणनीति तारीफे
काबिल है तो वही भाजपा मे गुटबाजी
के दौर मे समीकरण बिगड़ते दिख रहे है । इनका रोडशो और जरूरत से ज्वादा शोरगुल और कार्यकरताओ की अक्कड़बाजी भी इनकी दुशमन बनती नजर आ रही है । पार्टी कोइ भी जीते
आमजनो को कोई फर्क नही पड़ेगा वो तो पहले भी जी रही थी ,आज भी जी
रही है और कल भी वैसी ही जीऐगी ।
फर्क पड़ेगा तो इन नेताओं और उनके
मातहत अधिकारियों को ।
     चुनाव सबंधित जीत-हार तो तय हो चुकी है किंतु यह पहले जैसी नही होगी इन्हे प्रकृति निर्धारित सजा से कोई भी नही बचा सकता है कामडाउन शुरू हो चुका हे अभी भी
थोड़ा सा समय है वे अपनी गलतियों को सुधार सकते है ।माफी और दिल
से किया गया पश्चाताप ही इन्हे बचा सकता है ।सामाजिक और धार्मिक कार्य करने वालो को बहुत सताया है
खून के आंसू रुलाऐ है ,मानसिक अघात् पहुचाया है ।
गुरुजीसत्यवादी श्रीरामधुन

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