जुबान स्लिप-लिपिकीय भूल होना का- अर्थ का अनार्थ होना ?

        आज पूरे देश मे अधीर रंजन के बयान से एक भूचाल सा आ गया है ।जगह जगह प्रदर्शन हो रहा है । यह स्थिति उस समय हुई जब अधीर रंजन  जब राष्ट्रपति भवन मे माननीय राष्ट्रपति  महोदया से मिलने गए थे तब उनके मुंह से राष्ट्रपति की जगह "राष्टूपत्नि ' शब्द निकल गया वहां पर मोजूद पत्रकार के कैमरे रिकार्ड हो गया । मीडिया ने इसे तूल दिया और यह बात हवा मे घुलनशील होकर पूरे भारत मे नही विश्व मे फैल गई । सभी लोगो ने इसका पुरजोर विरोध किया गया । भारत के सभी प्रांतो मे प्रदशन हुआ ।यहा तक कि सदन की कार्यवाही को भी गित करना पड़ा । सदन मे बहस बाजी हुई । सभी लोगो ने यह आवाज उठाई कि अधिरंजन को माफी मांगना चाहिए किंतु अधिरंजन ने माफी नही मांगी और कहा कि उनसे गलती जरुर हुई है लेकिन उनका यह आशय यह नही था उनकी जुबान स्लिप हो गई थी । 
    अब राजनीति ने अपना असर दिखाना शुरु किया कि अब तो अधिरंजन चोधरी  के साथ पूरी पार्टी अध्यक्ष श्रीमति सोनिया को माफी मांगना पड़ेगा । इस बात को लेकर  स्मृति ईरानी और सोनिया गांधी के बीच मे नोक-झौक हुई और स्मृति इरानी की हिम्मत को दाद भी देना चाहिए । आखिर मे सभी को पराजय और विपक्ष मे बैठने का सौभाग्य प्राप्त होना ही है तब क्या होगा ?  इस सवाल को थौड़ा गंभीरता पूर्वक हिन्दुस्तान मे रहने वाले हिन्दुधर्म भावना के लोगो को तो सोचना चाहिए ? राजनीति मे समय ज्यादा पास किया जाता है और काम की बातो के लिए समय ही नही होता है । उलजूलूल बातो को तूल दिया जाकर समय पास और ध्थान को भटखाने के अलावा कुछ भी नही है । अब प्रशन्न यह उठता है कि  निरर्जन ने जानबूझकर ऐसा कहा है ? किसके कहने पर कहा है और क्यू कहा है ? या फिर उनकी वास्तव मे जुबान स्लिप हुई है ? अथवा वे अहिन्दी भाषी है, ज्यादा उम्र होने के कारण अपनी शैक्षणिक योग्यता कम और गंवारपन के कारण ऐसा हुआ है ? इन सभी पहलू पर ध्यान दिया जाना चाहिए चूंकि राजनीति मे जायज है,कही यह  किसी षड़यंत्र का हिस्सा तो नही ? अतः माफी मांगना तो दूर की बात है बल्कि इसकी जाँच पड़ताल होना चाहिये और सजा दिलाने बाबत कार्यवाही करना चाहिए चूंकि यह छोटी-मोटी बात नही है बल्कि राष्ट्र की गरिमा वाली बात है इसे हल्के मे नही लिया जा सकता है ।
    आज देश ही नही पूरा विश्व जान गया है कि हमारे देश की माननीय राष्ट्रपति जी एक आदिवासी महिला है । गरीब परिवार की है । उन्होने आज तक यहां पहुचने से पहले कितना संघर्ष किया है । 4-5-दिनो से समाचारपत्रो न्यूज चेनल मे जीवनी प्रकाशित हो रहा है इसके साथ -साथ भाजापा ,संघपरिवार की भी तारीफ हो रही है उन्होने इनको महत्व जो दिया है । पार्टी का यह एक पहलू है और दूसरा पहलू अभी देखना और समझना बाकी है चूंकि भारत देश भाजपा पार्टी व उसके कार्यकर्ता ही ईमानदार है बाकी अपोजिशन पार्टीज व आमजनता बेईमान है  । ऐसे समय में विपक्ष को भी सावधानी बरतना चाहिए एक एक रुपए के लिए पूरी ईमानदारी से धनबाद हार्ड तोड़ मेहनत करने के द्वारा व्यक्ति जब अपने प्रतिनिधियों की पुत्र की चोरी से करोड़ों काली कमाई बाहर आते देखता है तो वह कैसे महसूस करता है यह तो जनप्रतिनिधि का चोला पहने काली कमाई में जुड़ने वालों के किस्से आते ही रहते हैं पर ताजा घटनाक्रम पश्चिम बंगाल का है जहां मंत्री पार्थ चटर्जी के निकट सहयोगी और अर्पिता मुखर्जी के घर में से करीब 50 करोड़ की नकदी भंडार और 5 किलो सोना बरामद होने की तस्वीरें सामने आई है ईडी ने यह छापे नहीं मारे होते तो पार्थ चटर्जी का असली चेहरा सामने नहीं आता और वह हमेशा की तरह समाज में निर्णय सिर उठाए सम्मानित होते रहता इतना ही नहीं मौके पर मौके देश में भ्रष्टाचार दूर करने का पाठ पढ़ाते रहते इसी तरह के अन्य मामले में झारखंड में मुख्य सचिव रही पूजा सिंघल के चेहरे का नकाब भी हाल में उतरा लेकिन भ्रष्टाचार के समुद्र में यह तो छोटी-छोटी मछलियां है या सीबीआई की कार्रवाई जरूर सामने आते हैं भ्रष्टाचार की बहती गंगा को रोकने में सक्षम नहीं है खासकर तब जब निकला ऐसी हो कि जांच एजेंसी की कार्रवाई को राजनीतिक दुरुपयोग हालांकि लगातार मिल रहे नोटों के बंडल के बावजूद उनका मान मर्दन होगा कहा नहीं जा सकता क्योंकि समाज में भ्रष्टाचार की जड़ें लगातार कहती गहरी होती जा रही है देखा जाए तो ईडी धन शोधन निवारण अधिनियम के तहत कार्रवाई करती है इस अधिनियम मैं सख्त प्रावधान किए गए हैं लेकिन विडंबना देखिए कि पिछले 17 सालों में सिर्फ 23 लोगों कोही इसके तहत दोषी करार दिया जा सका है यदि ईडी की सक्रियता बढ़ा दी जाए कोई वजह नहीं की बड़ी मछलियां जाल के जांच के जाल में हंसने से बच्चा है फिर भी यह कहते कहने से बुरे नहीं है कि पीढ़ी कम से कम 50 दिन तो अच्छा काम कर ही रही है का फोटो नजर आ रहा है राहत पाने की पाने के लिए कुछ लोगों की कोशिश है को सुप्रीम कोर्ट में भी मार खानी पड़ रही है कार्रवाई की निष्पक्षता को लेकर विपक्ष द्वारा उठाए जा रहे सवाल अपनी जगह है लेकिन बड़ा सवाल यही है कि इन दोनों सवालों से ही पकड़े गए भ्रष्टाचारियों के अपराध कम नहीं हो जाते ईडी और सीबीआई की वर्तमान सक्रियता को देखकर यह भी समझना आसान हो जाता है नख दंत विहीन क्यों होते जा रहा है विपक्ष कि यदि केंद्र सरकार के विरुद्ध मोर्चा लेना है तो अपना दामन साफ रखना ही होगा। 

गुरुजीसत्यवादी श्रीरामधुन

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