माननीय न्यायालय के पारित आदेश
सभी देशो की न्याय पालिकाओं मे सबसे अच्छी न्याय पालिका हमारे देश की है । इस न्याय पालिका मे भी जो थोड़ी-बहुत जो कमीयां है उनमे संशोधन की प्रक्रिया होती जा रही इसी वजय से बहुत सोच-विचार कर गुरुजीसत्यवादी श्रीरामधुन ने अपने लेखो के माध्मम से "ज्यूडीशियल स्तम्भ" शुरू किया है :-
प्रकरण क्रमांक 1
भोपाल एसडीएम सुनवाई के दौरान अपना एक अहम फैसला सुनाया - फैसले के तथ्य कुछ इस प्रकार से हैं पति की मौत के पहले जेठ के लड़के मदद की जिसको देखते हुए उसे परिवार सहित फ्लैट में रहने की जगह दी लेकिन उसकी पत्नी ने फ्लैट पर कब्जा कर लिया बुजुर्ग महिला की शिकायत के बाद एसडीएम बैरागढ़ मनोज उपाध्याय ने मुंह बोले बेटे को 15 दिन में फ्लैट खाली करने का आदेश दिया है त्रिभुवन पारोली सलैया निवासी शोभा आचार्य उम्र 60 वर्ष ने शिकायत दर्ज कराई है कि उनका आरिफ अपार्टमेंट नीलकंड कॉलोनी ईदगाह हिल्स भोपाल पर फ्लैट है 5 साल पहले उनके पति की मौत हो चुकी थी इसके बाद से जेट का का बेटा कुलदीप आचार्य और उसकी पत्नी चेतना फ्लैट में साथ रहने लगे घर पर आकार देखा की कोई संतान नहीं है कुलदीप में लटकी रहती भी ले ली और बुजुर्ग को घर से निकाल दिया सुनवाई के दौरान कुलदीप ने बताया कि उनके चाचा और चाची ने उन्हें पुत्र मानते हुए मकान में रहने की अनुमति दी थी अब वह मायके वालों के बहकावे में आकर ऐसा आरोप लगा रही है के बाद एसडीएम ने 15 दिनों में मकान खाली करने के आदेश दिए हैं।
प्रकरण क्रमांक 2
केरल हाईकोर्ट ने अवैध धार्मिक और प्रार्थना स्थलों पर कड़ा रुख अपनाया है बोर्ड के संज्ञान में लाया गया था कि राज्य में अस्पतालों से 3 गुना से ज्यादा पूजा स्थल हैं कोर्ट ने कहा कि अवैध रूप से बने धार्मिक स्थलों को बंद किया जाये, जस्टिस पीबी उन्नीकृष्णन की पीठ ने नूरुल इस्लाम संगम की याचिका का निपटारा करते हुए यह आदेश दिया की याचिका में मल पुरम जिले के निलंबूर के पास एक गांव में व्यवसाय इमारत को मस्जिद में बदलने की मांग की गई थी हाईकोर्ट ने 2011 की जनरल जनगणना के आंकड़ों का हवाला देते हुए कहा राज्य में सभी समुदाय के लिए पर्याप्त धार्मिक स्थल और प्रार्थना कक्ष है केरल में 1018 गांव हैं प्रत्याशी पालिका हो और थे निगमों में 29565 अस्पताल और 101140 पूजा स्थल कोर्ट ने कहा अगर धर्मस्थल प्रार्थना स्थलों को बिना दिशानिर्देश अनुमति दी जाती है तो नागरिकों के रहने के लिए जगह ही नहीं होगी।
प्रकरण क्रमाक 3
केरल की कोर्ट कोर्ट ने 74 साल के लेखक और सोशल एक्टिविटी बेस्ड सिविक्स चंदन को एक महिला के साथ छेड़खानी के मामले में यह साधार पर अग्रिम जमानत दे दी क्योंकि उसमें भड़काऊ कपड़े पहने थे कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि अगर किसी महिला ने घटना के वक्त उकसाने वाले कपड़े पहन रखे हो तो किसी पुरुष पर यौन उत्पीड़न से संबंधित धाराएं नहीं लग सकती हैं असल में आरोपी सिविक चंद्रन ने अपने जमानत के दरमियान में उक्त महिला की तस्वीर जमा की थी कोर्ट ने कहा कि आरोपी विपिन चंद्रन ने पीड़िता को जो तस्वीर पेश की है उससे पता चलता है कि शिकायतकर्ता खुद ऐसे कपड़े पहन रही है तो जो कुछ यो उत्तेजित है कोर्ट ने हारो आरोपी चंदन से यह नहीं पूछता पूछा कि आखिर 74 साल की उम्र में उनके पास महिला की कथित उत्तेजित उत्तेजक कपड़ों वाली तस्वीर क्या कह रही है कि यौन उत्पीड़न के एक मामले में लेखक और सामाजिक कार्यकर्ता सिविक चंदन को अग्रिम जमानत देते हुए केरल को कोझीकोड सत्र अदालत ने देखा है कि भारतीय दंड संहिता की धारा 354 ए यौन उत्पीड़न के तहत आरोप प्रथम दृष्टया लागू नहीं होगा यदि महिला ने जॉन उत्तेजक कपड़े पहने हैं तो कथित घटना इस साल 8 फरवरी को कोई भी कोर्ट जिले के कोयल आंटी के पास चंद्रन और अन्य द्वारा बुलाए गए एक शिविर में रह रही थी जब प्रतिभागी शिविर के बाद लौट रहे थे चंद्रन ने कथित तौर पर उसे पकड़ लिया और उसे अनुचित तरीके से छुआ जिला सत्र न्यायाधीश एस कुमार ने कहा धारा 354a को आकर्षित करने के लिए शारीरिक संपर्क और अवांछित और स्पष्ट जोन प्रस्ताव शामिल होने चाहिए जून एहसान के लिए मांग या अनुरध होना चाहिए एक योन रंगीन टिप्पणी होनी चाहिए ऐसे ही एक अन्य मामले में
इससे पहले 2021 में सुप्रीम कोर्ट ने बॉम्बे हाई कोर्ट के उस आदेश पर रोक लगा दी थी जिसमें कहा गया था कि त्वचा से त्वचा संपर्क नहीं होने पर यौन उत्पीड़न नहीं माना जाएगा भारतीय समाज में फैले पूंजीवादी पित्र सत्ता तक मूल्य जिससे एक इंसान इंसाफ बसंत व्यक्ति साफ तौर पर जमा करता है वही मूल्य आज के जज महोदय के दिमाग में घर किया हुआ है यह फैसले इसी बात की पुष्टि करते हैं अपने पहले भी स्त्रियों के साथ होने वाले यौन उत्पीड़न तथा अन्य जातियों के मामले में उल्टे उसी को उल्टा या चरित्रहीन बता देने का प्रसंग तो सुना ही होगा किंतु आज के दौर में मूल्यों को जमीन कितना कितनी कमजोर है इसका अंदाजा इस वाक्य से सहज क लगा सकते हैं अदालत में जज की कुर्सी पर बैठा हुआ पुरुषवादी मानसिकता और नूर लगाते
प्रकरण क्रमांक 4
केरल में भ्रष्टाचार को लेकर किसी भी कार्रवाई से बचने के लिए सरकार ने राजपाल की शक्तियां कम कर दी है इस बारे में विधानसभा के विचार समिति ने लोकायुक्त संशोधन विधेयक पारित कर दिया है संशोधन के तहत मुख्यमंत्री के खिलाफ लोकायुक्त में शिकायत होने पर राज्यपाल के पास फैसला लेने का अधिकार नहीं होगा यह अधिकार आप विधानसभा को दे दिया गया है जबकि मंत्रियों के खिलाफ शिकायत पर सीएम फैसला लेंगे विधायकों के खिलाफ शिकायत का फैसला विधानसभा अध्यक्ष करेगी जनसेवक के खिलाफ लोकायुक्त में शिकायत होने पर अपीलीय अधिकारी कौन होगा इसका फैसला नहीं हुआ है संशोधन विधेयक पर 29 अगस्त को विधानसभा में भी चर्चा होनी है यह फैसला उस समय हुआ जब खुद सीएम विजयन पर राज के फंड के दुरुपयोग का आरोप लगा कार्रवाई से बचने के लिए यह संशोधन लाया गया विपक्ष में संशोधन को संविधान का उल्लंघन बताया है और कहां है कि सुप्रीम कोर्ट के आदेशों के खिलाफ है
प्रकरण क्रमांक 5
छत्तीसगढ़ की बिलासपुर हाईकोर्ट ने अपने फैसले में पत्नी का पति के ऑफिस में बार बार आना और अभद्र भाषा के साथ माहौल खराब करना क्रूरता माना है । साथ ही पत्नी का बिना किसी सबूत के पति की महिला सहकर्मी के साथ अनैतिक संबंध की शिकायत मंत्री से करना भी पत्नी की क्रूरता की श्रेणी में माना जाएगा दरअसल में यह पूरा मामला तलाक से जुड़ा हुआ है पत्नी द्वारा लगातार सताना गाली गलौज वेतन को चुनना से परेशान पति के सलाह का वेतन को निचली अदालत ने मंजूर कर लिया फैसले को पत्नी ने हाईकोर्ट में चुनौती दी थी जिसे लेकर हाईकोर्ट की विशेष सिम पड़ी सामने आई है धमतरी के पूर्व में पदस्थ का विवाह रायपुर निवासी एक विधवा महिला से वर्ष 2010 में हुआ था इसके बाद दोनों से एक बच्चा हुआ समय बीतने के बाद पति का आरोप रहा कि पत्नी उसके पैसों को बर्बाद कर रही है उसके माता-पिता से उसकी उसको मिलने नहीं देती।
एक विशेष प्रकरण
1971 बैच के आईएएस श्री एससी गुप्ता कोयला सचिव पद पर तक पहुंचे और कोयला खदानों के आवंटन के तथा तथा कथित घोटाले में दायर 12 में से 11 मामलों में दोषी ठहराए जाने पर जेल भेज दिए गए यहां चार बातों को रेखांकित करना जरूरी है पहला ज फोन 11 में से पाया गया दूसरी बात 11 में से किसी मामले में अंतिम फैसला करने वाले अधिकारी वे नहीं थे फैसला जांच समिति ने किया था तीसरी बात उनके पास से आए से ज्यादा कमाई गई कोई संपत्ति बरामद नहीं हो पाई एक बार उन्होंने अदालत में यहां तक कहा कि उनके पास वकीलों को देने के लिए पैसे भी नहीं है और चौथी बात यह है कि भ्रष्टाचार के लिए सजा पाए व्यक्ति को आमतौर पर उनके साथी भुला देते हैं लेकिन कुत्ता के मामले में लोगों ने ना केवल उनके उनके पक्ष में आवाज उठाई बल्कि उनके कानून बचाव के लिए पैसे जमा किए रिटायर्ड हो चुके उत्तर 74 साल के हो चुके हैं ।।
समस्या पुराना भ्रष्टाचार निरोधक कानून है जिसे यूपीए सहित विभिन्न सरकारों ने ज्यादा से ज्यादा जटिल बना दिया इसकी एक धारा के अनुसार आपको बिना कोई अपराध किए भी अपराधी माना जा सकता है
"कौन अधिकारी इतना साहसी होगा जो बड़े आर्थिक सुधारों की फाइल पर हस्ताक्षर करेगा "
गुरुजीसत्यवादी श्रीरामधु
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