ज्यूडीशियल स्तम्भ ?
माननीय न्यायालय के पारित आदेश के तहत पेश है कुछ तथ्य :-
1* "9 साल बाद मिला न्याय " निचली अदालत ने ही सुनाई सजा- 9 साल की बच्ची से बलात्कार व हत्या के आरोपी को मृत्यु दंड की सजा बरकरार।
प्रस्तुत मामला 6 गांव माखन थाना अंतर्गत गांव का है आरोपी अनोखी लाल पिता सीताराम ने बालिका का अपहरण कर बलात्कार किया और फिर उसकी हत्या कर दी 2 फरवरी को बालिका का शव एक खेत में मिला था दिए में जांच के बाद आरोपी को गिरफ्तार किया गया था मामला कोर्ट सुनवाई में पहुंचा जहां से शीर्ष अदालत ने पुनः मामले की सुनवाई को आप तो विशेष अदालत ने भेजा था इन धाराओं में सजा धारा 302 में मृत्युदंड और धारा 363 366 377 में 77 वर्ष का कारावास व ₹2000 का अर्थ जान दिया गया था ।
कोर्ट ने की अपनी टिप्पणी दी न्यायालय में ने कहा घटना के समय आरोपी 21 वर्ष का युवक था अब उसकी आयु 31 वर्ष है आरोपी के प्रति दया पूर्वक विचार किया जाना उचित नहीं होगा कोर्ट में मामले को निरंतर श्रेणी का मानकर आरिफ आरोपी को पूर्ण दो स्थिति को देखते हुए आजीवन कारावास का दंड दिया जाना पर्याप्त नहीं माना और मृत्युदंड दिया जाना आवश्यक माना गया है ।
प्रकरण-2-
भोपाल के अपर सत्र एवं विशेष न्यायाधीश पदमा जाटव की अदालत में फैसला सुनाया, जुर्माना भी लगाया ।अलग-अलग मामलों में नाबालिग से दुष्कर्म के तीन आरोपियों को 20 साल की जैल ।
प्रकरण -3-
बड़े फैसले सुप्रीम कोर्ट ने कहा ज्यादातर मामलों में याचिकाएं निष्प्रभावी गुजरात दंगों बाबरी विध्वंस के सभी देश बंद सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को अहम फैसला करते हुए गुजरात दंगे और बाबरी विध्वंस से जुड़े करीब सभी मामलों की सुनवाई बंद कर दी है कोर्ट ने कहा कि गुजरात दंगे के नौ मामले में से आठ का फैसला आ चुका है ।नरोदा गाव मामले के ट्रायल आखिरी चरण में है। सुप्रीम कोर्ट ने तीस्ता तीतलवाड़ की संरक्षण याचिका पर सुनवाई बंद कर दी है। कोर्ट ने कहा कि तिस्ता गिरफ्तार हो चुकी है । कोर्ट ने अयोध्या में बाबरी ढांचे कोटा हाय जाने की जोड़ी अवमानना याचिका की सुनवाई भी बंद कर दी है कोर्ट ने कहा कि याचिकाकर्ता असलम पूरे दुनिया में नहीं है साथ ही 2019 में आए फैसले के कारण आप इस मामले को बनाए रखना जरूरी नहीं है या याचिका उमा भारती मुरली मनोहर जोशी समेत भाजपा के कई नेताओं के खिलाफ दायर की गई थी बहु विवाह हलाला पर होगी सुनवाई ट्रिपल तलाक के बाद सुप्रीम कोर्ट अब मुस्लिमों में बहुविवाह और निकाह हलाला पर सुनवाई करेगा बहु विवाह और निकाह हलाला के खिलाफ लो याचिकाओं पर कोर्ट ने नोटिस जारी कर केंद्र राष्ट्रीय महिला आयोग और अल्पसंख्यक आयोग से जवाब मांगा है एक याचिकाकर्ता तीन बच्चों की मां समीना बेगम है वह दो बार तीन तलाक का शिकार हो चुकी है उसकी याचिका में कहा कि मुस्लिम पर्सनल ला शरीयत आवेदन अधिनियम 1937 की धारा 22 संविधान के अनुच्छेद 14 15 21 वा 25 का उल्लंघन करने वाला घोषित किया जाए क्योंकि या बहुविवाह बा निकाह हलाला को मान्यता देता है ।
महिलाओं के उत्पीड़न के मामले चिंता-जनक है - कानूनी सुरक्षा कवच के बावजूद यौन हिंसा घरेलू उत्पीड़न और दूसरे महिलाओं अपराधों के आंकड़े की बढ़ोतरी की रफ्तार जनता को बढ़ाने वाली है।
एनसीआरबी की रिपोर्ट बताती है कि वर्ष 2020 की तुलना में वर्ष 2021 में देश भर में महिलाओं के खिलाफ अपराध में 15.3 पीसीब देश की राजधानी दिल्ली को महिलाओं के लिए सबसे असुरक्षित बताया गया है राजस्थान के लिए दर्दनाक पहलू यह है कि बलात्कार के मामलों में उसका नंबर देश भर में सबसे ऊपर है बलात्कार के मामलों में मध्यप्रदेश दूसरे नंबर पर हैं इसके बाद यूपी महाराष्ट्र और असम का नंबर आता है राजस्थान में तो सरकार बनेगी या तर्क देती है कि प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज कराना अनिवार्य होने के कारण आंकड़ो में अपराध बढ़े हुए दिखते है।लेकिन यह सच है कि 12 साल से कम उम्र की बच्चियों से बलात्कार के दोषियों को फांसी की सजा तक का प्रावधान होने के बावजूद अपराध थमने का नाम नहीं ले रहा है ऐसे मामलों में बलात्कार पीड़ित को की हत्या तक हो रही है एक तथ्य यह भी है कि महिलाओं से जुड़े अपराध तो तेजी से बढ़ रहे हैं लेकिन दोषियों को सजा की रफ्तार कम होती जा रही है जाहिर है पहले पुलिस की जांच और बाद में न्यायिक प्रक्रिया की धीमी गति ही इसके लिए जिम्मेदार है पुलिस प्रशासन महिला आयोग और मानव अधिकार आयोग जैसे संगठन क्या पीड़ित महिलाओं की मदद के लिए नहीं बने हैं यह सवाल इसलिए उठाना जरूरी है कि महिला अपराधों के आंकड़े जब भी जारी होते हैं सत्ता पक्ष अपने तर्क देता है तो विपक्ष भी विरोध की रस्म अदायगी कर चुप्पी साध लेता है।
साल भर बीतने पर फिर एनसीआरबी नए आंकड़े जारी करती है तो फिर यही रात रात शुरू हो जाता है यह आंकड़े सरकार को आगाह करने वाले होते हैं महिलाओं से जुड़े अपराध का जब भी जिक्र होता है तो इनकी जल में सबसे ऊपर यौन हिंसा व घरेलू हिंसा का नाम आता है ऐसे में यह मानना ही होगा कि सिर्फ कानून सख्त करने से ही अपराधों की रोकथाम नहीं होगी ।
गुरुजीसत्यवादी श्रीरामधुन
संंस्थापक,संंपादक,काउंसलर ,
Comments
Post a Comment