सावधान ! आज का सत्यवादी श्रीरामधुन ।
आज का सत्यवादी श्रीरामधुन का कथन है कि वर्तमान समय देश धीरेधीरे विनाश की ओर बढ़ रहा है। बढ़ती आबादी, बढ़ती मंहगाई और बढ़ती बैरोजगारी इसका सबसे बड़ा कारण कहना अनुचित नही होगा। क्या सरकार इस पर कुछ विचार कर रही है कि हम किस ओर जा रहे ? हमारा पतन हो रहा है अथवा प्रोग्रेस हो रही है ?
आज से 15-20 पहले के इतिहास पर नजर डालते है तो आज की वर्तमान मे आबादी,बेरोजगारी, महंगाई बढ़ी है। कोनाकाल मे लाँक डाउन की समयावधि मे लोगो की आर्थिक स्थिति खराब हुई है। गरीबी बढ़ी है। किंतु सरकार की माली स्थिति जरुरत से ज्यादा बढ़ गई है । योजनाओं पर योजनाओं के माध्यम ,करो पर कर आम जनता से वसूल किया जा रहा है और जनता लुट रही है और लूटने वाली है सरकार और उसके नुमाइदें सरकार, अमीरी-गरीबी की खाई बढ़ा रही है जबकि कम करना चाहिए ऐसा नही हो रहा है । मजदूरो को मजदूरी नही मिल रही किन्तु सरकार उस पर राजनीति कर खिलवाड़ कर रही है । अमीरो को दोस्त बनाकर उन्है अनेको लाभदे रही है और कह रही हे "हमने गरीबो को जितना लूट सकते है लूट चुके है अब तुम्हारे हवाले कर रहे है"। आज गरीबी-बेरोजगारी की राजनीति और वोटिंग के खैल मे सरकार सभी आमजनो को उलझा रही है । सत्ता मे कोई भी पार्टी हो वह ऐसा ही करेगी । यह एक कटु सत्य है।
आज से कुछ वर्षो पूर्व मजदूरी मिल जाती थी। जब से आँन लाइन बिजनेस शुरु हुआ है तब से मजदूरी कम हो गई। अब तो रिबोट से मजदूरी करवाई जा रही है। अतः बाजारो से मजदूरी का काम मशीने कर रही है ।मजदूर गायब हो गए है। एसटीडी का धंधा गायब हो चुका है। पान की दूकाने बंद हो गए है । कुछ दिनो बाद चालक के धंधे नोकरी पर भी गाज गिरने वाली है इसी तरह चलता रहा तो गरीबी भी समाप्त हो जाएगी। वैसे भी गरीब को सरकार पाल रही है अन्यथा वे रहते ही नही। गरीब अब सत्ता के वोटिंग कार्ड है। सब कुछ सहने के बाद भी जीवित रहने के लिऐ वोट दैकर सरकारे बनाने मे सहयोग करते रहेंगे। सतयुग, द्वापरयुग, त्रेतायुग मे लोग सत्यवादी थे। मंदिर नही थे। घर महल ही मंदिर हुआ करते थे। जैसे कलियुग ने प्रवेश किया धीरे-धीरे सत्यता का समापन शुरू हो गया । कलियुग के शासनकाल मे सत्य का दम भरने वाला कोई नही है। जो भी सत्यवादी का दम भरता है वही सबसे झूठा व्यक्ति है। इसी वजह से लेखक द्वारा मासिक पत्रीका "आज का सत्यवादी" आर एन आई न० 49082/2012 का प्रकासन किया जा रहा है ।किंतु जनसम्पर्क भोपाल मे व्याप्त भ्रष्ठाचार के कारण और विज्ञापन ना मिलने के कारण टूस्ट की जनहित निशुल्क सेवाओं मे व्यवधान हुआ है चूंकि जनसम्पर्क विभाग से प्राप्त विज्ञापन राशी से टूस्ट चलता था । टूस्ट के पास सबूत है । सत्य यहां पर भी हार गया है और हार गया "आज का सत्यवादी"। इस परिवर्तन युग मे बहुत सी चीजें अपना अस्तित्व खोती जा रही है, बदलती जा रही है।कोरोनाकाल मे तथा उसके बाद से डूईवर वाहन चालको के रोजगार पर बहुत पड़ा है अब तो कुछ दिनो के बाद परमानेंट गाड़ी चलाने हीभूल जाऐगें । चूंकि उनके रोजगार बंद होने वाले है । कोरोनाकाल को धीरे धीरे लोग भूलते जा रहे है जबकि उसकी गाइडलाइन का पालन हमेशा करना चाहिए।
माँ आदिशक्ति दर०धार्मिक एवं परमार्थ टूस्ट भोपाल म०प्र०
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