भरोसा दिलाने की ठोस पहल करना .!
" हजार योध्दाओं पर विजय पाना आसान है, लेकिन जो अपने उपर विजय पाता है,वही सच्चा विजयी है ।" भगवान गौतम बुध्द !
आज दुनिया के बाजार मे भरोसे का बाजार का भाव दिनोदिन गिरते ही जा रहा है। बाजारों मे सभी चीजो पर टेक्स लग रहा है। आज भरोसा शब्द का अर्थ का अनार्थ होता जा रहा है और मकड़जाल की तरह ,कुकुरमुत्ते की तरह ऊगते हुऐ पूरे विश्व को निगलते जा रहा हो। लोगो को भरोसा ही नही हो रहा है कि भगवान ने उनके साथ क्या किया?
जिसके कारण वह इतना दुख उठा रहा है? यहां पर भगवान पर से उठता भरोसा को आप क्या कहेगें? इसका क्या मतलब है ?
ठीक इसी प्रकार से यह "भरोसा" अपना वर्चस्व स्थापित करता हुआ घरोघर मे पैर पसारता हुआ अपनी जड़े मजबूत करते जा रहा है । हर रिस्तो पर से "भरोसा" धीरे धीरे समापन की ओर बढ़ते जा रहा है ।
आज भरोसे को कायम करने के लिए सभी नागरिको से अनुरोध है कि वे अपने भरोसे को कायम रखने के लिऐ पहल करे और लोगो पर बार बार भरोसा करे, ऐसा करने एक ना एक दिन भरोसा का अस्तित्व दिखाई देने लगेगा। अब आपको भरोसा करना ,भरोसे मे रखना दोनो ही मे माहरध हासिल होना चाहिए ताकि भरोसे का अदान-प्रदान स्वतंत्र रूप से हो सके। मंहगाई पहले भी थी और आज भी है और आने वाले समय और भी ज्यादा विकराल रुप धारण करेगी ।
इस 21 वी शदि मे लोगो पर से खास तौर से नेताओ पर से भरोसा उठता जा रहा है । हमारे देश की सरकार मे भ्रष्टाचारो का सबसे अधिक बोलबाला है । हर नेता कुछ ज्यादा ही समझदार हो गया है चाहे वह पढ़ा-लिखा हो या हाईस्कूल परीक्षा फेल वाला व्यक्ति हो । बस हाथ जोड़ना,पैर पड़ने तथा बोलने की कला आना चाहिए बस बन गए नेता ।
आज से कुछ वर्पो पहले देश मे जो भी चल रहा था और आज जो चल रहा है दौनो मे कोई अंतर नही है मात्र जो भी अंतर है वह है हमारी सोच मे पाई जाती है । इसी अंर की खाई को यदि हम पाट देगे तो सारी समस्याओ का निराकरण अपने आप हो जाएगा ।
अतः भरोसा को कभी ना मरने दे । भरोसे के साथ जीऐ और भरोसे के मरे और बीच का जो भी समय बचता है उसमे लोगौ को भरोसा का पाठ पढ़ाऐ ।
"भरोसा " का आशय् व उसके प्रकार इसप्रकार से है :-
विश्वासकरना, यकीनकरना, जान छिड़कना, ऐतबार करना, फैथ करना ,सच्चाई पर अड़े रहना, आशा ,अपेक्षाऐ रखना, आस्था - रखना, आश्रित होना, आत्मविश्वास पैदा करना, उम्मीद रखना, आश्रय, आदि-आदि रूपो मे पाया जाता हो।
गुरुजीसत्यवादी श्रीरामधुन
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